आजादी का मतलब हम सब के लिए अलग -अलग है,सबकी अपनी गुलामी अपनी आजादी की अलग ही परिभाषा है।अपने तरीके से आजादी की सीमाएँ तय कर रखी हैं ।जिस पर जितने पहरे उसे उतनी ही आजादी की लालसा ।आजादी मिलने के बाद उस आजादी को बनाये रखना सबसे मुश्किल काम है इसलिए अपनी आजादी को बनाये रखना अति आवश्यक है। सभी अपनी आजादी बरकरार रखे।
आजादी खुल के हसने की,रोने,चीखने-चिल्लाने की आजादी चाहिए ।बच्चे को स्कूल से,नौकर को मालिक से आजादी चाहिए ।सबको अपनी गुलामी से आजाद होना है।पंछी की तरह खुले आसमान में आजादी की सांस लेनी है।तन की आजादी के साथ मन की आजादी भी तो चाहिए ।मन की पीड़ा से आजादी मिलना थोड़ा मुश्किल है।खुद को अभिव्यक्त करने और अपने विचारों से रूबरू कराने की आजादी ।दिमागी आजादी बहुत जरूरी है ये न हुई तो सब बेकार है।इस दिमागी गुलामी ने हमें अंधेरे कमरें में जकड़ रखा है।हमें इन कमरों में विचारों की रोशनी भरकर अंधेरे को मिटाना है।जिससे अंधकार दूर हो और हम आजाद हो सके।जब तक हम इस गुलामी से आजाद न हुये तब तक हमें सही मायनों में आजादी नही मिलेगी ।
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