मकर संक्राति का ये पावन पर्व सूर्य को समर्पित है।सूर्य एक तत्व और महत्वपूर्ण ग्रह भी है।हमारे देश में सूर्य को भगवान की उपाधि दी गयी है।सूर्य धार्मिक और वैज्ञानिक दोनो रूपों में अपनी भूमिका निभाता है।क्योंकि सूर्य ऊर्जा का स्रोत है जिसके बिना जीवन संभव नही है।इसका प्रकाश जीवन को नयी ऊर्जा से भरता है।
इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है और दक्षिण से उत्तर की ओर गति करने लगता है इसी कारण इसे उत्तरायणी पर्व भी कहते है। इस दिन से ही मांगलिक कार्यो की भी शुरूआत हो जाती है।
भारतीय काल गणना के अनुसार वर्ष में १२संक्राति होती है और इनसे सबसे महत्वपूर्ण संक्रान्ति मकर संक्रान्ति है इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और सौर मास की शुरूआत होती है।इस दिन से ही सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरु होता है और दिन धीरे -धीरे बड़े होने लगते है।
मकर संक्रांति का पर्व तो एक ही है पर सभी राज्यों में अलग -अलग नाम और अलग तरीके से मनाते है ,पर सभी जगहों पर सूर्य की पूजा की जाती है।इस दिन तिल ,गुड़ आदि से पूजा होती है।कपड़े ,तिल गुड़ ,मूंगफली का दान देते है।
इस पर्व को मनाने के लिए कई पौराणिक कहानियाँ भी है-
इसी दिन सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर गये थे।क्योंकि शनिदेव मकर राशि के है इसलिए मकर संक्रांति मनाते है।
हमने सुना है कि भागीरथी ही गंगा को धरती पर लाये थे ।उनकी तपस्या से खुश होकर वे उनके पूर्वजों के तर्पण के लिए धरती पर आयीं ।भागीरथी के पूर्वजों के तर्पण के बाद सागर से जा मिली ।आज भी मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में मेला लगता है।
महाभारत के महान योद्धा पितामह भीष्म ने अपनी देह त्यागी थी।
पूरे उत्तर भारत में लोग इसे खिचड़ी के नाम से भी जानते है।इस दिन गंगा स्नान ,तिल गुड़ से पूजा करते है ।पूजादि के बाद सभी घरों मे खिचड़ी खायी जाती है।
खिचड़ी बनने की परंपरा की शुरूआत बाबा गोरखनाथ ने की थी।अलाउद्दीन खिलज़ी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को युद्ध के बाद भोजन बनाने का समय नही मिलता ,जिससे वे भूखे ही सो जाते थे।बाबा जी ने समस्या के समाधान के लिए दाल सब्जी,चावल को एक साथ पकाने की सलाह दी और इसका नाम खिचड़ी रखा।खिचड़ी से नाथ योगियों को भूखा नही रहना पड़ता ।युद्ध मे जीतने के बाद गोरखपुर में इसे मकर विजय दर्शन के रूप मे मनाया जाता है। गोरखपुर मे इस दिन बाबा जी के मंदिर के पास मेला लगता है और उन्हे खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।
मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ायी जाती है ।अहमदाबाद में मकर संक्रांति के दिन अंतराष्ट्रीय पतंगबाजी महोत्सव मनाते है ।
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