Thursday, 10 May 2018

भारत तो बंद था लेकिन बाकी सब धड़ल्ले से चालू था



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भारत बंद दो शब्द जिनकी वजह से ना जाने कितने लोगों को मानसिक और शारीरिक पीड़ा झेलनी पड़ी. एक समुदाय जो अपनी बात मनवाने के लिए सड़कों पर हथियारों के साथ उतर आया. वहीं दूसरे ने भी वही तरीका अपनाया. उन्हें तो बस अपनी बात मनवानी थी, चाहे तरीका कैसा और इरादे कैसे भी हो.
भारत बंद के दौरान एक बात बड़ी ही दिलचस्प थी. भारत तो बंद था, लेकिन बाकी सब धड़ल्ले से चालू था. मेरा मतलब लड़ाई-झगड़े, लोगों को मारना, आग लगाना, बाकी जनता को परेशान करना आदि, सब चालू था. सड़कें वीरान, दुकान बंद करवाने और गाड़ियों को जलाने में भारत बंद नहीं था.
बाबा साहेब की उसूलों को तांक पर रखकर निकल लिए आरक्षण का घंटा बजाने. बात करें पहले भारत बंद कि तो ये बंद दलितों ने 2 अप्रैल को आरक्षण के लिए किया था. इस बंद में हजारों लोग सड़कों पर घूम रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ देशभर को दलित संगठनों ने सड़कों पर उतर कर कोर्ट के फैसले का विरोध करने का फैसला किया था. बिना ये सोचे की बंद की वजह से जाने-अंजाने लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
इस बंद को कई मंत्रियों ने भी सपोर्ट किया. अजीब लगता है उनके ऐसे बिहेवियर पर. उसके बाद कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. कई लोगों की जिदंगी तबाह हुई. जो लोग रोज कमाकर अपने परिवार का पेट पालते हैं, शायद बंद की वजह से भूखा ही सोना पड़ा हो. किसी को इलाज ना मिला कोई चाह कर भी मिल ना पाया हो लेकिन इससे इन्हें क्या लेना देना. ये फिर से मारे गए दलितों के लिए बंद की आंधी लेकर आएंगे.
  इसके बाद एक और बंद होना था 10 अप्रैल को, पूरा सोशल मीडिया इस बंद की चिंगारी को फैलाने में लगा हुआ था. समझदार लोग, बड़े-बड़े पद पर जॉब करने वाले लोग इस बंद के सपोर्ट में थे. ना जाने कितने मैसेज और पोस्ट मैने देखे, जिन्हें देखकर ये अंदाजा हो गया कि हम जितना साइंस और टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रहे हैं, हम सोच में उतना ही पीछे जा रहे हैं. दोनों भारत बंद में एक बात समान थी हिंसा. हमें अपनी बात मनवाने के लिए हिंसा ही करनी आती है.
10 अप्रैल को आयोजित बंद में फिर से हिंसा न फैले इसलिए गृहमंत्रालय दिशा निर्देश तो जारी कर दिए थे. लेकिन फिर भी वह इसे रोकने में नाकाम रहे. पूर्वी क्षेत्रों में हिंसा की आग में कई लोगों को झुलसना पड़ा.
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पुलिस और प्रशासन ने अलर्ट जारी कर धारा 144 लागू कर दी गई. वहीं मध्यप्रदेश में भी स्कूल कॉलेज की छुट्टी कर दी गई है, जबकि कई शहरों में इंटरनेट की सुविधा भी बंद कर दी गई है.
भारत बंद के दौरान देशभर में हिंसा हुई. करीब 12 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. लेकिन क्या फर्क पड़ता है बंद में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वालों को, लोग तो मरते रहते हैं.
दोनों भारत बंद के बाद तो ये यकीन हो गया है कि इंसानियत सिसक-सिसक कर दम तोड़ रही है.




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