Thursday, 17 September 2020

देश के भविष्य के लिए गांव का विकास जरूरी

 


देश के सुनहरे भविष्य के लिए गांव का विकास होना बहुत जरूरी है. जिस तरह मछली को जीवित रहने के लिए जल जरूरी वैसे ही देश के उत्थान के लिए गांव की मजबूती. शहर हो या विदेश लोगों की जड़े आज भी गांवों से जुड़ी हुई हैं. अगर गांव रूपी जड़े कमजोर होंगी तो देश रूपी पेड़ फल-फूल नहीं पाएगा.

महात्मा गांधी कहा करते थे कि भारत गांवों में बसता है. भारत को जानना है तो गांव को जानना होगा. जैसा कि सभी को पता है भारत एक कृषि प्रधान देश है. देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कृषि का बड़ा योगदान है. देश की दो तिहाई जनता खेतीबाड़ी और उससे जुड़े हुए कामों से जीवनयापन कर रही है. फिर भी किसान और गांव उपेक्षित हैं. लोग खेती छोड़ गांव से शहर की ओर आ रहे हैं. इसे रोकने के लिए सरकार को गांवों को विकसित और मजबूत बनाने की योजना बनानी होगी.



स्मार्ट सिटी में पैसे बर्बाद करने से अच्छा गांवों के विकास पर ध्यान दिया जाए,क्योंकि भारत का भविष्य गांव और किसान हैं. पलायन को रोकने के लिए सरकार को ऊसर हो रही जमीन पर गांवों के विकास की फसल के बीज बोने चाहिए, जिससे गांव छोड़कर जाने वाले किसान वापस आ सकें और देश के भविष्य को बचाने में मदद कर सकें.

कोरोना ने सरकार को नई योजनाएं और लोगों को अवसर दिया है कि वह अपने गांव में रहकर नई तकनीकें अपनाकर खेती कर सके. सरकार के 20 करोड़ के पैकेज में किसानों के लिए भी कई योजनाएं हैं, जो गांव के विकास में सहायक होंगी.

आत्मनिर्भर भारत का मूल ग्रामीण विकास में छिपा है. सरकार ने ग्रामीण विकास मंत्रालय वित्त वर्ष 2020-21 में 2,00,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि ग्रामीण भारत के विकास के लिए खर्च करने की घोषणा की. लॉकडाउन में सरकार ने गांवों में मनरेगा के माध्यम से कार्य करवाते हुए इसे रोजगार का जरिया बनाया है, जो वाकई मददगार साबित हो रहा है. ऐसी योजनाएं गांवों की तरक्की के नए रास्ते खोल सकती है.



सरकार गांव की अर्थव्यवस्था, संस्थागत ढांचे को व्य​वस्थित करें. साथ ही गांव में पैदा किए गए अनाज और उत्पादों को बेहतर सप्लाई चेन के जरिए सही जगह तक पहुंचाने के लिए बेहतर इंतजाम हों तो गांव को खुशहाल होने से कोई नहीं रोक सकता. गांव और किसान अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए स्वयं का उत्पादन करने का आत्मबल हासिल करेगा. शिक्षा के अवसर प्रतिस्पर्धी, कौशल युक्त तथा सबके लिए समान हों. बुनियादी जरूरतें पूरी हों.

देश में कोरोना के चलते बड़े-छोटे सभी उद्योग, कामकाज ठप हो गए थे. वहीं खेती का काम बिना रूके जारी था. समस्यों के बाद भी फसलों की बुवाई और कटाई में कोई फर्क नहीं पड़ा. मौजूदा समय में कृषि का कार्य बेहतर हो रहा है. सरकार किसानों की फसलों को अच्छा बाजार दे, ताकि आर्थिक रूप से किसान मजबूत हो सके.



मौजूदा सरकार ने भारत के उज्जवल भविष्य के लिए ग्रामीण विकास की नींव मजबूत कर दी है. सरकार की नई योजनाएं और पैकेज गांवों और किसानों के लिए मददगार साबित होगी और वह देश के निर्माण में मजबूती के साथ खड़े होंगे.

आज गांवों में शौचालय, स्वच्छता, धुआं मुक्त रसोई पहले की तुलना में बेहतर हुई है. अब गांव बुनियादी समस्याओं से मुक्त होकर भविष्य की चुनौतियों से लड़ने के लिए अधिक तैयार हो चुका है. गांव भारत के भविष्य का अहम हिस्सा है, जिसके लिए कार्य होते रहने चाहिए.

Friday, 11 September 2020

महाराष्ट्र सरकार से एक बेबाक लड़की बर्दाश्त नहीं हो रही

 


सोशल मीडिया हो या न्यूज चैनल हर जगह कंगना चर्चा में हैं. कहीं सपोर्ट तो कहीं कंगना को लताड़ मिल रही. पुतले जलाने से लेकर तस्वीर पर चप्पल मारना. लोगों की गलियां और दादागिरी सब का सामना कर रही हैं, बॉलीवुड से सपोर्ट न मिलने पर भी वह डटी हुई हैं.

कंगना से हमेशा सहमत नहीं होती हूं. क्योंकि उनका बड़बोलापन दिमाग की दही कर देता है. लेकिन उनकी हिम्मत और साहस को मेरा सलाम है. महाराष्ट्र में सरकार के खिलाफ बोलना आसान नहीं. सबके बस की बात नहीं होती. किसी के गढ़ में जाकर डटे रहना.

सुशांत की मौत के बाद से ही कंगना ने खुलकर बॉलीवु की धज्जियां उड़ाई हैं. किसी को पब्लिसिटी स्टंट तो किसी ने राजनीति से जुड़ने की बात की. पर यहां कंगना के साथ कोई नहीं दिखा. महाराष्ट्र सरकार को भी कंगना की बेबाकी रास नहीं आई. और कंगना के पीछे नहा-धोकर पड़ गए.

सत्ता के नशे में चूर संजय राउत ने कंगना को हरामखोर तक कह डाला. उन्हें मुंबई न आने की धमकी तक दे डाली. मन नहीं भरा तो उनका ऑफिस गिरा दिया. 30 सिंतबर तक का इंतजार नहीं हुआ. वह अपना कर्म किए जा रही हैं, जिसे जो करना है कर लो. महाराष्ट्र सरकार से एक बेबाक लड़की नहीं बर्दाश्त हो रही है. सब इतने नाजुक हैं कि एक लड़की को हराने के लिए एकजुट है.

फेमिनिज्म का डंका बजाने वाले लोग कंगना को कई तमगों से नवाज रहे हैं. कंगना को कोसा जा रहा है. उन्हें घटिया, बाइपोलर, चुड़ैल, हरामखोर कहने से भी कतरा नहीं रहे. रिया को इंसाफ दिलाने के लिए कैंपेन चलाए जा रहे हैं. रिया के सपोर्टर को लगता है कि टॉर्चर किया जा रहा है. लेकिन कंगना के लिए इनके मुंह से चू भी नहीं निकली.

चाहे वह कंगना हो या रिया, चरित्रहनन किसी का भी हो गलत है. एक महिला को सपोर्ट करने वाले लोग दूसरी महिला को गरियाने से नहीं चूकते. लोग दोहरी मानसिकता में जी रहे हैं. इनका यही दोगलापन महिलाओं के लिए घातक है.

लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल

  कलयुग के आखिरी दिन तक श्री राम का जाप करते हुए बजरंगबली इसी धरती पर मौजूद रहेंगे। ऐसा हमारे ग्रंथों और पौराणिक कहानियों में लिखा है। लखनऊ ...