सोशल मीडिया हो या न्यूज चैनल हर जगह कंगना चर्चा में हैं. कहीं
सपोर्ट तो कहीं कंगना को लताड़ मिल रही. पुतले जलाने से लेकर तस्वीर पर चप्पल मारना.
लोगों की गलियां और दादागिरी सब का सामना कर रही हैं, बॉलीवुड से सपोर्ट न मिलने
पर भी वह डटी हुई हैं.
कंगना से हमेशा सहमत नहीं होती हूं. क्योंकि उनका बड़बोलापन दिमाग की
दही कर देता है. लेकिन उनकी हिम्मत और साहस को मेरा सलाम है. महाराष्ट्र में सरकार
के खिलाफ बोलना आसान नहीं. सबके बस की बात नहीं होती. किसी के गढ़ में जाकर डटे
रहना.
सुशांत की मौत के बाद से ही कंगना ने खुलकर बॉलीवु की धज्जियां उड़ाई
हैं. किसी को पब्लिसिटी स्टंट तो किसी ने राजनीति से जुड़ने की बात की. पर यहां
कंगना के साथ कोई नहीं दिखा. महाराष्ट्र सरकार को भी कंगना की बेबाकी रास नहीं आई.
और कंगना के पीछे नहा-धोकर पड़ गए.
सत्ता के नशे में चूर संजय राउत ने कंगना को हरामखोर तक कह डाला.
उन्हें मुंबई न आने की धमकी तक दे डाली. मन नहीं भरा तो उनका ऑफिस गिरा दिया. 30
सिंतबर तक का इंतजार नहीं हुआ. वह अपना कर्म किए जा रही हैं, जिसे जो करना है कर
लो. महाराष्ट्र सरकार से एक बेबाक लड़की नहीं बर्दाश्त हो रही है. सब इतने नाजुक हैं कि एक लड़की को हराने के लिए एकजुट है.
फेमिनिज्म का डंका बजाने वाले लोग कंगना को कई तमगों से नवाज रहे
हैं. कंगना को कोसा जा रहा है. उन्हें घटिया, बाइपोलर,
चुड़ैल,
हरामखोर
कहने से भी कतरा नहीं रहे. रिया को इंसाफ दिलाने के लिए कैंपेन चलाए जा रहे हैं. रिया के सपोर्टर को लगता है कि टॉर्चर
किया जा रहा है. लेकिन कंगना के लिए इनके मुंह से चू भी नहीं निकली.
चाहे वह कंगना हो या रिया, चरित्रहनन किसी का भी हो गलत है. एक महिला को
सपोर्ट करने वाले लोग दूसरी महिला को गरियाने से नहीं चूकते. लोग दोहरी मानसिकता
में जी रहे हैं. इनका यही दोगलापन महिलाओं के लिए घातक है.
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