Tuesday, 1 June 2021

मई में इन राज्यों पर बरपा कोरोना का कहर

 

मई में इन राज्यों पर बरपा कोरोना का कहर, महाराष्ट्र में हुईं रिकॉर्ड तोड़ मौतें

कोरोना की दूसरी लहर का कहर भारत के लोग कभी नहीं भूल पाएंगें. सालों तक श्मशान घाट पर जलने वाली चिताएं और गंगा किनारे ढेर लगे शव इस महामारी के कहर की गवाही देते रहेंगें. अप्रैल के महीने में इस महामारी ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में लिया. कुछ सही हुए तो कुछ लोगों का पूरा संसार उजाड़ गया. वहीं बात मई महीने की जाए तो देश में इस महीने में कोरोना केसेस में उतार-चढ़ाव देखा गया. महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में मई में कोरोना ने काफी उत्पात मचाया. धीरे-धीरे कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में कमी आ रही है. वहीं बात देश की राजनीति, संस्कृति और ऐतिहासिक रूप से अहम भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश की जाए तो यहां कोरोना का दायरा सिमट रहा हैं और कोरोना मरीजों का ग्राफ धीरे-धीरे नीचे आ रहा है.  आंकड़ों की बात की जाए तो मई के पहले हफ्ते में कोरोना केसेस 28076 सामने आए और धीरे-धीरे 31 मई तक ये आंकड़ा 1432 तक पहुंच गया. वहीं मौतों की बात की जाए तो लगभग 2 हजार से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई. मई में सक्रिय केसेस की संख्या 80 प्रतिशत कम रही.

मई महीने में सबसे अधिक महाराष्ट्र में तबाही हुई है. यहां मई में अब तक की सबसे अधिक 26,531 मौतों की सूचना दी, जो अब तक राज्य में कोरोना से हुई सभी मौतों का 28% थी.  मौजूदा समय में महाराष्ट्र में मृत्यु दर 1.7% है. कुल जांच के मुकाबले पॉजिटिव मरीजों की संख्या 0.88% रह गई है.

मई में कर्नाटक में 47,930 केसेस दर्ज किए गए और 13,632 लोगों की मौतें हुईं. वहीं 29 हजार से ज्यादा लोग ठीक हुए. इसके बाद तमिलनाडु में 27,930 एक्टिव केसेस और 10,186 लोगों की मौतें हुई हैं. वहीं 18 हजार से अधिक लोग ठीक हुए.

पूरे देश में कोरोना को मात देने के लिए वैक्शीनेशन का काम तेजी से किया जा रहा है. आने वाले दिनों में ज्यादातर लोगों को वैक्सीन लग जाएगी और देश में संक्रमण की दर ना के बराबर हो सकती है.

Monday, 5 April 2021

एक दूसरे से है कोरोना और राजनीति का जय-वीरू सा याराना

कोरोना महामारी की एंट्री से करोड़ों लोग बर्बाद हो गए. लाखों लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ सैनिटाइजर से धोना पड़ा. कोरोना का कहर लगभग हर सेक्टर और हर किसी पर बरपा. बिजनेस, आर्थिक स्थिति आदि भी इसकी चपेट में आईं और अरबों का नुकसान झेला. कुछ कंपनियां और व्यापार पर ताला पड़ गया, जिसके खुलने की उम्मीद ना के बराबर ही है. लेकिन एक ऐसी नीति है जिसको सबसे ज्यादा फायदा कोरोना के आगमन से हुआ, जो कोरोना के साए में अच्छे से फल फूल रही है. इस नीति का नाम राजनीति है. कोरोना और राजनीति का साथ तो चोली दामन सा हो गया है. एक-दूसरे के बिना बिल्कुल अधूरे हैं. 
एक ओर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरे देश में डंका बज रहा है तो वहीं राजनीति की रोटियां सेंकने के लिए होने वाली रैलियों में जमकर सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना गाइडलाइन्स की मय्यत निकाली जा रही है. ज्यादा दूर क्यों जाना हाल ही में हुई रैलियों की तस्वीरें और वीडियो पर ही एक नजर डालिए. हमारी बात आपको पूरी सच्ची लगेगी. राजनीति पार्टी कोई भी हो. अपने मौके पर हर कोई जमकर चौका मारता है. चाहे राहुल की रैली हो या परमपूज्य मोदी जी की. अपना स्वैग दिखाने में पीछे नहीं रहते और खुद ही वही गलती कर रहे पार्टी के धुरंधर दूसरी पार्टी की बारात निकालने में लगे रहते हैं. यहां बारात का मतलब कुछ और है शादी वाली तो बिल्कुल नहीं. खैर छोड़िए समझ तो गए ही होंगे. 
कोरोना में लोगों को घर में रहने की सलाह देने वाले राजनेता अक्सर अपनी  दी हुई सलाह खुद ही भूल जाते हैं और जमकर मौज काटते हैं. कोरोना में सभी चीजों का भट्टा बैठ गया है. लेकिन राजनीति एकदम धाकड़ हो रही है, ताजा कोरोना के मामलों की जाए तो आंकड़े लाख के पार हो चुके हैं, लेकिन अभी भी लोगों की लापरवाही वैसी ही बनी हुई तो भइया घर में रहिए काम पर जाइए और मास्क और दो गज दूरी का ध्यान रखिए. क्योंकि आपके  और हमारे लिए घातक है. राजनीति थोड़े हैं, जो साथ में रहकर अपना फायदा और जनता- जनार्दन का खून चूसे. तो कोरोना और राजनीति की दोस्ती जय-वीरू जैसी हो गई है, जब एक मरेगा माने दुनिया से निकल लेगा तब ही हम आजाद होंगें. कोरोना गो बैक…

Thursday, 4 March 2021

#womendayspecial :आज की वुमानिया का स्वैग जरा हटकर

 



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विश्व महिला दिवस को कुछ दिन रह गए हैं. मार्च शुरू होने के बाद से ही हर जगह इस दिवस को लेकर कुछ न कुछ रोज निकल कर सामने आ रहा है. लोग अच्छी खासी तैयारी कर रहे हैं तो हमारे अंदर की भी छोटी औरत चुलबुला गई. हम भी कुछ लिख दिए, जो हमारी नजर से है. हमको पता है आज भी महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं. काफी कुछ बदलना चाहिए. लेकिन कहीं न कहीं बदलाव हो रहे हैं. चीजें और दकियानूसी सोच भी बदल रही है. हर बार औरत ... इसमें हर उम्र की महिला की बात है के लिए कोई खड़ा नहीं होगा और ना ही सामने आएगा, इसलिए अपना भला खुद करना होगा. दूसरों से पहले अपना नजरिया बदलना होगा.

 

तो देख लो समझ आए तो बाकी तो सब ठीक ही है. वैसे ज्ञान नहीं बांट रहे हैं. अगर ऐसा लग रहा है तो फिर कह रहे हैं नजरिया बदलिए.

लद गए वो दिन जब नारी को अबला और कमजोर समझा जाता था. आज की वुमानिया का स्वैग जरा हटकर है. उसे साड़ी पहनकर हूला-हूप करना भी आता है और अपने कल्चर को सहेजना भी उसके बाएं हाथ का काम है.  अब राह के हर मोड़ पर किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है. कइयों का सहारा बनकर हजारों के लिए मिसाल बन रही हैं.

अमृता प्रीतम की तरह कलम से मोहब्बत का पैगाम भी दे सकती है तो गुंजन सक्सेना की तरह दुश्मनों के परखच्चे भी उड़ा सकती हैं. आज की महिला दुर्गा का स्वरूप है. जिस तरह मां दुर्गा के अपने हाथों से सृजन भी करती हैं और समाज के कल्याण भी करती हैं. वैसे ही आज की नारी घर, परिवार, कैरियर, बच्चों, देश की तरक्की, अर्थव्यवस्था,  मनोरंजन की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभा रही है.

भले ही बराबरी की बात करने वाले लोग बराबरी के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ते हैं. लेकिन महिलाओं ने खेल का मैदान हो या अंतरिक्ष की उड़ान या फिर कोई भी क्षेत्र अपना हक बराबरी से ले लिया है.

अब बंद कमरे से निकलने वाली सिसकियों की जगह बुलंद और साहसी हंसी ने ले ली है.

अमृता प्रीतम की तरह कलम से मोहब्बत का पैगाम भी दे सकती है तो गुंजन सक्सेना की तरह दुश्मनों के परखच्चे भी उड़ा सकती है. आज की महिला दुर्गा का स्वरूप है. जिस तरह मां दुर्गा के अपने हाथों से सृजन भी करती हैं और समाज के कल्याण भी करती हैं. वैसे ही आज की नारी घर, परिवार, कैरियर, बच्चों, देश की तरक्की, अर्थव्यवस्था,  मनोरंजन की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभा रही है. हम अब अबला नहीं हैं. कोई भी गलत इंसान हो या परिस्थिति तबला बजाने का दम रखते हैं. अब महिला दिवस की तस्वीर बदलने की बारी है. ऐ दुनिया वालों कब तक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों की हाजरी लगाओगे. औरतों की कलरफुल दुनिया की वेलकम करने की बारी है. ओ वुमानिया अब बदलने की बारी है...

मनमोहन सिंह ने दिया था सबसे लंबा बजट भाषण, ना हो यकीन तो पढ़ लो

आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला बजट पेश कर रही हैं. इससे पहले भी कई वित्त मंत्री आए और उन्होंने अपना बजट पेश किया है. लेकिन...