Saturday, 14 January 2017

Spirit of India : मकर मकर संक्रांति पर ‘खिचड़ी’ ही क्यों बनती है, दही बड़े के चटखारे के साथ लीजिए इंट्रेस्टिंग कहानी का मजा



28 साल बाद मकर संक्रांति पर सर्वार्थ सिद्ध, अमृत सिद्धि के साथ चंद्रमा कर्क राशि में जबकि अश्लेषा नक्षत्र और प्रीति और मानस योग का संयोग बना है। इस मकर सक्रांति सिद्धि योग में गज यानी हाथी पर सुख-समृद्धि का शुभ संदेश लेकर आएगी।
सूर्य के उत्तरायण होने के बाद 16 जनवरी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी. देव अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
मकर मकर संक्रांति का ये पावन पर्व सूर्य को समर्पित है। सूर्य एक तत्व और महत्वपूर्ण ग्रह भी है। हमारे देश में सूर्य को भगवान की उपाधि दी गयी है। सूर्य धार्मिक और वैज्ञानिक दोनो रूपों में अपनी भूमिका निभाता है। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है, जिसके बिना जीवन संभव नहीं है। इसका प्रकाश जीवन को नयी ऊर्जा से भरता है।
                   इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में   प्रवेश करता है और दक्षिण से उत्तर की ओर गति करने लगता है इसी  कारण इसे उत्तरायणी पर्व भी कहते है। इस दिन से ही मांगलिक कार्यो की भी शुरूआत हो जाती है। 
                  
             भारतीय काल गणना के अनुसार वर्ष में १२संक्राति होती है और इनसे सबसे महत्वपूर्ण संक्रान्ति मकर संक्रान्ति है। इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और सौर मास की शुरूआत होती है। इस दिन से ही सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरु होता है और दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगते है।
    मकर संक्रांति का पर्व तो एक ही है पर सभी राज्यों में अलग -अलग नाम और अलग तरीके से मनाते है. सभी जगहों पर सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन तिल ,गुड़ आदि से पूजा होती है। कपड़े ,तिल गुड़ ,मूंगफली का दान देते है।
                    इस पर्व को मनाने के लिए कई पौराणिक कहानियाँ भी हैं
     इसी दिन सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर गये थे।क्योंकि शनिदेव मकर राशि के है इसलिए मकर संक्रांति मनाते है।
शास्त्रों के अनुसार भागीरथी ही गंगा को धरती पर लाये थे। उनकी तपस्या से खुश होकर वे उनके पूर्वजों के तर्पण के लिए धरती पर आयीं। भागीरथी के पूर्वजों के तर्पण के बाद सागर से जा मिली। आज भी  मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में मेला लगता है।
     महाभारत के महान योद्धा पितामह भीष्म ने अपनी देह त्यागी  थी।
          पूरे उत्तर भारत में लोग इसे खिचड़ी के नाम से भी जानते है। इस दिन गंगा स्नान ,तिल  गुड़ से पूजा  करते है ।पूजादि के बाद सभी घरों मे खिचड़ी खायी जाती  है।
खिचड़ी बनने की परंपरा
              खिचड़ी बनने की परंपरा की शुरूआत बाबा गोरखनाथ ने की थी।अलाउद्दीन खिलज़ी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को युद्ध के बाद भोजन बनाने का समय नही मिलता ,जिससे वे भूखे ही सो जाते थे।बाबा जी ने समस्या के समाधान के लिए दाल सब्जी,चावल को एक साथ पकाने की सलाह दी और इसका नाम खिचड़ी रखा।खिचड़ी से नाथ योगियों को भूखा नही रहना पड़ता। युद्ध मे जीतने के बाद गोरखपुर में इसे मकर विजय दर्शन के रूप मे मनाया जाता है। गोरखपुर मे इस दिन बाबा जी के मंदिर के पास मेला लगता है और उन्हे खिचड़ी का भोग लगाया जाता  है।
मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ायी जाती है। अहमदाबाद में मकर संक्रांति के दिन अंतराष्ट्रीय पतंगबाजी महोत्सव मनाते है।

                                                                     

Tuesday, 20 December 2016

फ्रेडी ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया नाम

इस दुनिया में अजीबोगरीब चीजें देखने को मिलती हैं, जिन्हें देखकर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है. इंग्लैंड के इसेक्स में फ्रेडी नाम के डॉग अपनी ऊंचाई के कारण पूरी दुनिया में फेमस हो गया है.
फ्रेडी की ऊंचाई 7 फीट 6 इंच है, जो किसी औसत इंसान से ज्यादा है. 
फ्रेडी ने अपना नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है. ग्रेट डैन नस्ल के डॉग को दुनिया का सबसे बड़ा जीवित डॉग माना गया है.
फ्रेडी अब ऑफिशियल दुनिया का सबसे ऊँचा डॉग है. इसका वजन 92 किलोग्राम है. चार साल के फ्रेडी का पसंदीदा खाना रोस्ट चिकन और पीनट बटर टोस्ट है. वह कभी जमीन पर नहीं बैठता. क्योंकि उसे सोफे पर बैठने की आदत हो गई है. अब तक वह 23 सोफे़ खराब कर चुका है.
फॉर्मर ग्लैमर मॉडल क्लेयर स्टोनमैन फ्रेडी की मालिक हैं, जो उसकी और उसकी बहन फ्लयूर की पूरी देखभाल करती हैं. क्लेयर को डॉग्स पसंद हैं. स्टोनमैन के मुताबिक, ‘मुझे कोई बच्चा नहीं है. इसलिए मैं इन्हें अपने बच्चों की तरह पालती हूं. ये मेरे बच्चे हैं.’

हर साल फ्रेडी की देखरेख में लगभग 10 लाख से भी ज्यादा खर्च होता है.

Friday, 16 December 2016

हर साल बरसी मनाने से नहीं आएगा बदलाव



16 दिसंबर 2012 को दिल वालों की दिल्ली ही नहीं पूरा देश शर्मसार हुआ था. इस सर्द रात में चलती बस में एक लड़की के साथ रेप की दिल दहलाने वाली घटना को अंजाम दिया गया. रेप और मारपीट के बाद उसे और उसके दोस्त को सड़क पर मरने के लिए फेंक दिया गया. घटना के 11 दिनों के बाद निर्भया की मौत हो गई. उन छह आरोपियों के खिलाफ केस चला. इस घटना को आज चार साल हो गए हैं. लेकिन इन चार सालों में अनगिनत लड़कियों के साथ रेप की घटनाएं हुई हैं. इन चार सालों में आज भी निर्भया को इंसाफ की गुहार है.
इस घटना के बाद सारा देश निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए एकजुट हो गया. निर्भया' के सपोर्ट में लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किए ताकि अपराधियों को फांसी हो सके. इंडिया गेट पर बूढ़े से लेकर बेफिक्रे यंगस्टर ने भी जिम्मेदारी के साथ इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया, ताकि निर्भया को इंसाफ मिल सके.
ठंड में पुलिस की लाठियों के साथ ठंडे पानी की बौछार ने भी लोगों का गुस्सा ठंडा नहीं पड़ने दिया.

हर साल बरसी मनाने से नहीं मिलेगा निर्भया को इंसाफ

निर्भया का परिवार अपनी बेटी को न्याय दिलाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन शायद समय के साथ निर्भया को भूलते जा रहे हैं. केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को अपनी खींचतान को किनारे रखते हुए इस मुद्दे और महिलाओं की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है. हर साल बरसी मनाकर या निर्भया को याद करके कैंडिल मार्च करने से बात नहीं बनने वाली.  
जब इंसाफ के इंतजार में निर्भया की मां आशा देवी ने अपना दर्द बयां किया. तो लगा समय की धूल की परत लोगों के दिमाग पर चढ़ गई है. जिस कारण माँ ये कहना पड़ा. उन्होंने कहा, 'चार साल हो गए लेकिन अभी तक मेरी बेटी को न्याय नहीं मिल पाया है. शुरूआत में लोगों का काफी साथ था, लेकिन अब धीरे-धीरे लोग भूलते जा रहे हैं.' माँ ने कहा, 'मेरी बेटी नहीं रही. लेकिन अब यह सब मैं अपने लिए नहीं कर रही हूं. दूसरी बच्चियों के साथ ऐसा ना हो इसलिए जरूरी है कि इन्हें सजा मिले.'
आज भी लड़कियों के साथ रेप की घटनाएं हो रही हैं. उसे देखकर नहीं लगता है कि कोई फर्क पड़ा है. कानून व्यवस्था में जिस बदलाव की जरूरत है वो आज भी नजर नहीं आता. सिर्फ कानून बनाने से कुछ नहीं होगा. उसका सख्ती से पालन भी होना चाहिए.
निर्भया कांड के बाद कानून में संशोधन करके उसे निर्भया एक्ट नाम दिया गया. रेप पीड़ित लड़कियों की मदद के लिए 10 अरब रुपए से निर्भया फंड बनाया गया है. लेकिन अभी तक ठीक से इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है.


Saturday, 5 November 2016

रन मशीन विराट कोहली को हैप्पी वाला बर्थडे मुबारक हो

करोड़ो दिलों की धड़कन बन चुके भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली का आज हैप्पी वाला बर्थडे है. विराट का जन्म 5 नवम्बर 1988 में दिल्ली में हुआ. उनके पिता का नाम प्रेम कोहली और माता का नाम सरोज कोहली है. उनका एक बड़ा भाई विकास और बड़ी बहन भावना है.

HAPPY BITRHDAY VIRAT  




विराट ने क्रिकेट में कम समय में अपनी कभी न मिटने वाली पहचान बनाई है. 

खेल में ही नहीं बल्कि विज्ञापन की दुनिया में भी विराट छाए हुए हैं. विराट के कई नए रिकॉर्ड बनाएं हैं तो वहीं पुराने रिकॉर्ड तोड़े भी हैं.

लाखों लड़कियों को अपना दीवाना बनाने वाले बॉलीवुड की फेमस एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा के दीवाने है. विराट और अनुष्का के रिश्ते ने कई उतार-चढ़ाव का सामना किया है. कभी लिंकअप तो कभी ब्रेकअप की खबरें सुर्ख़ियों में छाई रहीं.

विराट ने सफलता की सीढियों पर चढ़ते हुए कई मुकाम हासिल किए हैं. उनकी इस सफलता का राज सिर्फ और सिर्फ विराट की कड़ी मेहनत और लग्न है.

सबके दिलों पर राज करने वाले विराट के बारे में कुछ खास बातें जानने का हक उनके फैन्स और जो उनके फैन्स नहीं उनको जरुर है.

विराट की खास बातें-
सफलता के झंडे गाड़ने वाले विराट को पहली सफलता 19 वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा होने पर मिली.

उन्होंने शुरुआत में क्रिकेट दिल्ली की ओर से खेलें.

विराट ने ही सबसे तेज शतक बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया.

विराट साल 2008 में अपने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (एकदिवसीय) मैच से शुरुआत की और साल 2011 में टीम इंडिया को वर्ल्डकप जितने में मदद की.

साल 2011 किंग्सटन में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट खेला था. 

साल 2011 विश्व कप के पहले मैच में शतक बनाने वाले पहले भारतीय बने

साल 2012 में विराट ने आईसीसी वनडे प्लेयर में जगह बनायी.

साल 2013 में उन्होंने पहली बार वनडे बल्लेबाज मे शीर्ष स्थान हासिल किया था.

क्रिकेट के साथ वह फैशन इंडस्ट्री में जाना-माना नाम बने हुए हैं.

हाल ही में विराट ने रहमान के साथ एक गाना गाने को रैप किया है.


ये तो हैं विराट के बारे में खास बातें, जिन्होंने सभी को अपना दीवाना बनाया हुआ है. बच्चा हो या जवान सभी के जुबान पर विराट ही विराट हैं. विराट को बर्थडे की खूब सारी बधाई और ढेर सारा प्यार. वह अपनी लाइफ में ऐसे ही नए मुकाम बनाते रहें. 

Friday, 21 October 2016

दुनिया का पहला जीवित भूरा पांडा

पांडा बेहद खूबसूरत जानवर है. इसे एक बार देखने के बाद किसी का भी मन इसे बार-बार देखने को जरूर करेगा. काले और सफेद रंग के पांडा तो आप सभी ने देखे होंगे. लेकिन क्या आपने कभी भूरा पांडा देखा है.
अगर नहीं देखा है तो अब देख लीजिए.
यह दुनिया का इकलौता भूरा पांडा है.
इस पांडा का नाम किजाई है.
किजाई का मतलब होता है- सात साल का.
इसकी माँ ने इसे छोड़ दिया था.
जब यह सिर्फ दो महीने का था.

भूरा पांडा का बचपन

किजाई सेंट्रल चायना में किन्ग्लिंग माउंटेन के नेशनल रिज़र्व में बहुत बुरी हालात में मिला था.
किजाई का बचपन बहुत मुश्किल भरा था.
काले रंग के पांडा उसे झुण्ड में नहीं रहने देते थे.
क्योंकि वह सबसे अलग है और उसका रंग भी काला नहीं है.
पांडा का रंग बदलने का कारण साइंटिस्ट ने जेनेटिक म्युटेशन बताया है.
साइंटिस्ट उसके अकेलेपन को दूर करने के लिए एक पार्टनर की तलाश कर रहे हैं.
किजाई का अलग होना उसके लिए वरदान साबित हुआ है.
उसके अलग होने की वजह से उसे फोपिंग पांडा वैली में रखा गया है.
जहां वह एक सेलिब्रिटी की तरह रह रहा है.
वैली में न तो कोई उसे परेशान करने और उसका खाना चुराने वाला भी कोई नहीं है.
किजाई की देखभाल करने के लिए एक आदमी को रखा गया है जो सुबह छह बजे उठता है और उसके सोने के बाद सोता है.


वह उसके खाने से लेकर सभी जरूरतों को पूरा करता है.
किजाई का वजन 220 पाउंड्स है. वह डेली 44 पाउंड्स बांस खाता है.
वह काले पांडा से थोडा धीमा है लेकिन बहुत ही प्यारा है.
पांडा वैली में सभी पांडा के नाम हैं.
जब इनका नाम पुकारा जाता है तो सभी रीएक्ट करते हैं.
लेकिन किजाई नाम बुलाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है.
शायद उसे सीखने में अभी समय लगेगा.

Wednesday, 14 September 2016

पान की खुशबू ऑस्ट्रेलिया में बिखेर रहे संजय


मुंबई से ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट होने के बाद संजय धोड़ी
शहर में सिर्फ एक चीज को बहुत ज्यादा ही मिस कर रहे थे, वो था रसभरे पान का डेली डोज.
तब संजय ने अपने इस शौक को पूरा करने के लिया ऑस्ट्रेलिया में पहली पान की शॉप खोली.
संजय जब अँधेरी में रहते थे तो वो रोजाना ही रसीले पान का लुत्फ उठाते थे लेकिन ऑस्ट्रेलिया आने के बाद उनकी लाइफ बिल्कुल अधूरी सी हो गई थी. संजय ने ऑस्ट्रेलिया की हर गली-कूचे में पान की दुकान तलाश की, पर उन्हें कहीं नहीं मिली.
संजय अपने करियर को तराशने ऑस्ट्रेलिया आए थे. वह अच्छे बिजनेसमैन बनना चाहते थे. इसलिए संजय ने ग्रोसरी स्टोर के साथ एक छोटी सी पान की दुकान भी खोली.



उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनका यह बिजनेस कैसा चलेगा, चलेगा भी या नहीं. क्योंकि इसके बारे में कोई रिसर्च नहीं की थी.
लेकिन आज सिर्फ संजय की पान शॉप ही पहली शॉप है. यह शॉप्स स्टेशन स्ट्रीट 3/14 पर हैं. उनकी शॉप दुर्गा पान और फालूदा शॉप के नाम से फेमस है.
हर्रिस पार्क के पास संजय ने अपनी दूकान का सेटअप किया है, क्योंकि इस जगह पर भारतीय लोगों की तादाद सबसे ज्यादा होती है. उनकी इस शॉप में उनके बीवी और बेटे मदद करते हैं.
संजय अपनी दुकान में तीन तरह के पान रखते हैं- मीठा, सादा और डार्क चॉकलेट. इनमें मीठा पान सबसे ज्यादा फेमस है. वह इस पान में गरी, गुलकंद, सुपाड़ी, और शहद डालकर देते हैं.
इसके अलावा संजय की फालूदा शॉप में कुल्फी और फालूदा की डिमांड सबसे ज्यादा है.
संजय ने बताया कि सौंफ और गुलकंद ऑस्ट्रेलिया में आसानी से मिल जाते हैं.
संजय के ज्यादातर कस्टमर्स’ पाकिस्तान, इंडिया, बांग्लादेश और साउथ एशियन देशों से हैं. वैसे तो रोज ही यह अच्छी कमाई करती है. लेकिन वीकेंड पर डेली के दिनों से अधिक कमाई होती है.
संजय का कहना है कि पान के शौक़ीन पूरी दुनिया में मिलेंगे. आपको पान यू के और यू एस में भी मिलेंगे. क्योंकि हम भारतीय सारी दुनिया में फैले हुए है. पान का स्वाद ही परदेश में देश की खुशबु बनाए रखता है.
ऑस्ट्रेलियन जब भी पान का स्वाद चखते हैं तो उन्हें ये बिल्कुल अलग और नया ताजगी भरने वाला टेस्ट लगता है. पान को मुंह में रखते ही नए स्वाद घुलने लगते हैं.


Monday, 5 September 2016

Happy Teacher's day उन सभी को जिनसे मैंने सीखा

Happy Teacher's day उन सभी को जिनसे लाइफ की छोटी -छोटी मगर मोटी बातें मैंने सीखी. सिर्फ आजतक टीचर्स को ही हैप्पी टीचर्स डे विश करने को हमारे टीचर या बड़ों ने बताया. उनसब का क्या जो हमें लाइफ के अहम पाठ पढ़ा जाते हैं, बिना किसी मंथली या ट्यूशन फीस लिए. ये सभी लोग अपनी मां, पड़ोसी की मां, कभी राह चलते लोग, कभी पड़ोसवाली आंटी, कभी घंटों तपती धूप में घंटों काम करने वाले मजदूर या फिर वो बच्चे जिन्होंने सिर्फ अभी जीना ही सीखा है टीचर बनकर कुछ ऐसा सीखा जाते हैं, जो हर मोड़ पर या यूँ कहें डेली लाइफ में काम आ ही जाता है.खैर एक बार फिर से सभी को Happy Teacher's day.
''गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है'' स्कूल टाइम में हमने भी टीचर को मस्का लगाने के लिए ये कोटेशन बहुत बार अपनी कॉपी के पन्नों पर सजाई. तब इनका मतलब तो समझ आता था लेकिन कभी सीरियस नहीं हुए. बस यही समझते थे टीचर न हो तो ABCD कोई न सीख पाता. 


मनमोहन सिंह ने दिया था सबसे लंबा बजट भाषण, ना हो यकीन तो पढ़ लो

आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला बजट पेश कर रही हैं. इससे पहले भी कई वित्त मंत्री आए और उन्होंने अपना बजट पेश किया है. लेकिन...