शिखा की 'सनक'
Monday, 12 May 2025
मनमोहन सिंह ने दिया था सबसे लंबा बजट भाषण, ना हो यकीन तो पढ़ लो
Monday, 16 May 2022
लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल
कलयुग के आखिरी दिन तक श्री राम का जाप करते हुए बजरंगबली इसी धरती पर मौजूद रहेंगे। ऐसा हमारे ग्रंथों और पौराणिक कहानियों में लिखा है। लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल। श्रीराम के परमभक्त केसरी नंदन अपने भक्तों की पुकार भी बड़ी जल्दी सुनते हैं। 17 मई से बड़ा मंगल का शुभारंभ हो रहा है।
इस बार 17 मई, 24 मई, 31 मई, सात जून और 14 जून को बड़े मंगल पड़ रहे हैं। लखनऊ में खासतौर से बड़ा मंगल मनाया जाता है। यहीं से इसकी शुरुआत हुई है।
भोलेनाथ के 11वें रुद्रावतार हनुमान इस कलियुग में सबसे ज्यादा जाग्रत और साक्षात देव हैं। कलियुग में शंकरसुमन की भक्ति ही दुखों और मुसीबतों से बचाती है।
पवनपुत्र की भक्ति के साथ ही लखनऊ में शुरू हो जाता है भंडारों का दौर। बड़े मंगल पर चिड़ियों के चहचाहने से पहले ही लोग बड़े मंगल की तैयारी में लग जाते हैं और सूरज के चढ़ने के साथ ही तैयारियां भी पूरी हो जाती हैं।
मारुती नंदन की भक्ति के साथ ही जेठ की दुपहरी में भंडारों में लोगों कतारें लगने लगती हैं। चाहे वह रिक्शा चलाने वाला हो या मजदूर या फिर अपनी चमचमाउवा गाड़ी से उतरने वाला ही क्यों न हो। हर कोई भंडारे की भीड़ में हाथ बढ़ाए नजर आ ही जाएगा।
रास्ते हो या गली-नुक्कड़ कुछ कदमों की दूरी पर ही भंडारे की पूड़ी सब्जी की महक आ जाएगी। नवाबों के समय से शुरू हुए भंडारे की गुड़धनिया की जगह अब कई तरह के पकवानों ने ले ली है। गर्ममममी से राहत देता शलेकिन लोगों की नीयत आज भी वही है।
https://shikha099.blogspot.com/2017/05/blog-post_15.html
400 साल पुरानी बड़ा मंगल की परंपरा से जुड़ी कहानी और इतिहास भी बहुत खास है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भीम को अपने बल का बहुत घमंड हो गया था, जिसे हनुमान जी ने चुटकी में तोड़ दिया था। दूसरी मान्यता के अनुसार हनुमान जी की प्रभु श्री राम से मुलाकात हुई थी।
pc- Anil Jaiswal (सिर्फ इस तस्वीर के लिए बाकी दोनों गूगल की हैं)
Monday, 7 March 2022
ओ वुमानिया अब बदलने की बारी है...
आज सब जने कुछ ना कुछ महिलाओं को लेकर लिख रहे हैं। सम्मान दे रहे हैं। तो हमारे अंदर की भी छोटी और थोड़ी बड़ी औरत चुलबुला गई. हम भी कुछ लिख दिए, जो हमारी नजर से है. हमको पता है आज भी महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं. काफी कुछ बदलना चाहिए. वर्कप्लेस पर आगे बढ़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है . वगैरह वगैरह.
लेकिन कहीं न कहीं बदलाव हो रहे हैं. चीजें और दकियानूसी सोच भी बदल रही है. हर बार औरत ... इसमें हर उम्र की महिला की बात है, आप के लिए हमेशा कोई खड़ा नहीं होगा और ना ही सामने आएगा, इसलिए अपना भला खुद करना होगा. दूसरों से पहले अपना नजरिया बदलना होगा.
तो देख लो समझ आए तो बाकी तो सब ठीक ही है. वैसे ज्ञान नहीं बांट रहे हैं. अगर ऐसा लग रहा है तो फिर कह रहे हैं नजरिया बदलिए.
लद गए वो दिन जब नारी को अबला और कमजोर समझा जाता था. आज की वुमानिया का स्वैग जरा हटकर है. उसे साड़ी पहनकर हूला-हूप करना भी आता है और अपने कल्चर को सहेजना भी उसके बाएं हाथ का काम है. अब राह के हर मोड़ पर किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है. कइयों का सहारा बनकर हजारों के लिए मिसाल बन रही हैं.
भले ही बराबरी की बात करने वाले लोग बराबरी के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ते हैं. लेकिन महिलाओं ने खेल का मैदान हो या अंतरिक्ष की उड़ान या फिर कोई भी क्षेत्र अपना हक बराबरी से लिया है.
अब महिला अमृता प्रीतम की तरह कलम से मोहब्बत का पैगाम भी दे सकती है तो गुंजन सक्सेना की तरह दुश्मनों के परखच्चे भी उड़ा सकती है. आज की महिला दुर्गा का स्वरूप है. जिस तरह मां दुर्गा के अपने हाथों से सृजन भी करती हैं और समाज के कल्याण भी करती हैं.
वैसे ही आज की नारी घर, परिवार, कैरियर, बच्चों, देश की तरक्की, अर्थव्यवस्था, मनोरंजन की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभा रही है. हम अब अबला नहीं हैं. कोई भी गलत इंसान हो या परिस्थिति तबला बजाने का दम भी रखते हैं.
अब बंद कमरे से निकलने वाली सिसकियों की जगह बुलंद और साहसी हंसी ने ले ली है.
महिलाओं की बराबरी की बात करने वालों ने भी महिला आरक्षण को देख के नाक भौं सिकोड़ी है। टीवी के ऐड से लेकर फिल्मों की यही कहानी है। महिलाओं को कमजोर दिखा कर अपनी खाल संवारी है। अमां बंद कर दो अब की वुमानिया कइयों पर भारी है.
अब महिला दिवस की तस्वीर बदलने की बारी है. ऐ दुनिया वालों कब तक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों की हाजरी लगाओगे. औरतों की कलरफुल दुनिया की वेलकम करने की बारी है. ओ वुमानिया अब बदलने की बारी है...
happy women's day....
Tuesday, 1 June 2021
मई में इन राज्यों पर बरपा कोरोना का कहर
मई में इन राज्यों
पर बरपा कोरोना का कहर, महाराष्ट्र में हुईं रिकॉर्ड तोड़ मौतें
कोरोना की दूसरी लहर
का कहर भारत के लोग कभी नहीं भूल पाएंगें. सालों तक श्मशान घाट पर जलने वाली
चिताएं और गंगा किनारे ढेर लगे शव इस महामारी के कहर की गवाही देते रहेंगें.
अप्रैल के महीने में इस महामारी ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में लिया. कुछ सही
हुए तो कुछ लोगों का पूरा संसार उजाड़ गया. वहीं बात मई महीने की जाए तो देश में इस
महीने में कोरोना केसेस में उतार-चढ़ाव देखा गया. महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में मई में कोरोना ने काफी उत्पात मचाया.
धीरे-धीरे कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में कमी आ रही है. वहीं बात देश की
राजनीति, संस्कृति और ऐतिहासिक रूप से अहम भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश की जाए
तो यहां कोरोना
का दायरा सिमट रहा हैं और कोरोना मरीजों का ग्राफ धीरे-धीरे नीचे आ रहा है. आंकड़ों की बात की जाए तो मई के पहले हफ्ते में
कोरोना केसेस 28076 सामने आए और धीरे-धीरे 31 मई तक ये आंकड़ा 1432 तक पहुंच गया.
वहीं मौतों की बात की जाए तो लगभग 2 हजार से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई. मई में
सक्रिय केसेस की संख्या 80 प्रतिशत कम रही.
मई
महीने में सबसे अधिक महाराष्ट्र में तबाही हुई है. यहां मई में अब तक की सबसे अधिक
26,531
मौतों की सूचना दी, जो अब तक राज्य में कोरोना से हुई सभी मौतों का 28% थी. मौजूदा समय में महाराष्ट्र में मृत्यु दर 1.7%
है. कुल जांच के मुकाबले पॉजिटिव मरीजों की संख्या 0.88% रह गई है.
मई
में कर्नाटक में 47,930 केसेस दर्ज किए गए और 13,632 लोगों की मौतें हुईं. वहीं 29 हजार से
ज्यादा लोग ठीक हुए. इसके बाद तमिलनाडु में 27,930 एक्टिव केसेस और 10,186 लोगों की मौतें हुई हैं. वहीं 18
हजार से अधिक लोग ठीक हुए.
पूरे
देश में कोरोना को मात देने के लिए वैक्शीनेशन का काम तेजी से किया जा रहा है. आने
वाले दिनों में ज्यादातर लोगों को वैक्सीन लग जाएगी और देश में संक्रमण की दर ना
के बराबर हो सकती है.
Monday, 5 April 2021
एक दूसरे से है कोरोना और राजनीति का जय-वीरू सा याराना
Thursday, 4 March 2021
#womendayspecial :आज की वुमानिया का स्वैग जरा हटकर
विश्व
महिला दिवस को कुछ दिन रह गए हैं. मार्च शुरू होने के बाद से ही हर जगह इस दिवस को
लेकर कुछ न कुछ रोज निकल कर सामने आ रहा है. लोग अच्छी खासी तैयारी कर रहे हैं तो
हमारे अंदर की भी छोटी औरत चुलबुला गई. हम भी कुछ लिख दिए, जो हमारी नजर से है.
हमको पता है आज भी महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं. काफी कुछ बदलना चाहिए. लेकिन कहीं
न कहीं बदलाव हो रहे हैं. चीजें और दकियानूसी सोच भी बदल रही है. हर बार औरत ...
इसमें हर उम्र की महिला की बात है के लिए कोई खड़ा नहीं होगा और ना ही सामने आएगा,
इसलिए अपना भला खुद करना होगा. दूसरों से पहले अपना नजरिया बदलना होगा.
तो
देख लो समझ आए तो बाकी तो सब ठीक ही है. वैसे ज्ञान नहीं बांट रहे हैं. अगर ऐसा लग
रहा है तो फिर कह रहे हैं नजरिया बदलिए.
लद
गए वो दिन जब नारी को अबला और कमजोर समझा जाता था. आज की वुमानिया का स्वैग जरा
हटकर है. उसे साड़ी पहनकर हूला-हूप करना भी आता है और अपने कल्चर को सहेजना भी
उसके बाएं हाथ का काम है. अब राह के हर
मोड़ पर किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है. कइयों का सहारा बनकर हजारों के लिए
मिसाल बन रही हैं.
अमृता
प्रीतम की तरह कलम से मोहब्बत का पैगाम भी दे सकती है तो गुंजन सक्सेना की तरह
दुश्मनों के परखच्चे भी उड़ा सकती हैं. आज की महिला दुर्गा का स्वरूप है. जिस तरह
मां दुर्गा के अपने हाथों से सृजन भी करती हैं और समाज के कल्याण भी करती हैं.
वैसे ही आज की नारी घर, परिवार, कैरियर, बच्चों, देश की तरक्की, अर्थव्यवस्था, मनोरंजन की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक
निभा रही है.
भले
ही बराबरी की बात करने वाले लोग बराबरी के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ते हैं. लेकिन
महिलाओं ने खेल का मैदान हो या अंतरिक्ष की उड़ान या फिर कोई भी क्षेत्र अपना हक
बराबरी से ले लिया है.
अब
बंद कमरे से निकलने वाली सिसकियों की जगह बुलंद और साहसी हंसी ने ले ली है.
अमृता
प्रीतम की तरह कलम से मोहब्बत का पैगाम भी दे सकती है तो गुंजन सक्सेना की तरह
दुश्मनों के परखच्चे भी उड़ा सकती है. आज की महिला दुर्गा का स्वरूप है. जिस तरह
मां दुर्गा के अपने हाथों से सृजन भी करती हैं और समाज के कल्याण भी करती हैं.
वैसे ही आज की नारी घर, परिवार, कैरियर, बच्चों, देश की तरक्की, अर्थव्यवस्था, मनोरंजन की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक
निभा रही है. हम अब अबला नहीं हैं. कोई भी गलत इंसान हो या परिस्थिति तबला बजाने
का दम रखते हैं. अब महिला दिवस की तस्वीर बदलने की बारी है. ऐ दुनिया वालों कब तक
ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों की हाजरी लगाओगे. औरतों की कलरफुल दुनिया की वेलकम करने
की बारी है. ओ वुमानिया अब बदलने की बारी है...
Sunday, 18 October 2020
पाकिस्तानी मीडिया के सामने कांग्रेस ने किया देश का अपमान
राजनीति के खेल में बीजेपी को नीचा दिखाने के चक्कर में कांग्रेस सांसद
शशि थरूर ने पाकिस्तानी मीडिया के सामने अपने देश की धज्जियां उड़ा दीं. देश की
तुलना पाकिस्तान से की. साथ ही तबलीगी जमात को देश में पीड़ित की संज्ञा दे डाली. इस
पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने थरूर को खरी-खोटी सुनाई है.
दरअसल, थरूर लाहौर थिंक फेस्ट नाम के कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े थे.
इस कार्यक्रम के दौरान ही उन्होंने देश का अपमान किया. थरूर ने कहा कि कोरोना से
बेहतर तरीके से निपटने पर हमें पाकिस्तान से जलन हो रही है. कोरोना महामारी के
दौरान भेदभाव बढ़ा है. साथ ही तबलीगी जमात को पीड़ित बताया.
बीजेपी ने इस मुद्दे पर सिर्फ शशि थरूर के साथ राहुल गांधी पर भी
निशाना साधा है. संबित पात्रा ने कहा है कि थरूर ने जो बयान दिया है उस पर विश्वास
नहीं हो रहा है कि कोई भारत का सांसद, राहुल का गांधी का राइट हैंड ऐसे
प्लेटफॉर्म अपने ही देश का मजाक कैसे उड़ा सकता है?’
उन्होंने आगे कहा कि थरूर भारत सरकार द्वारा कोरोना वायरस के लिए
उठाए गए कदमों की आलोचना करते हैं और पाकिस्तान की तारीफ. भारत में उत्तरपूर्व के
लोगों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं होता है जबकि भारत जैसा लोकतांत्रिक देश कहीं नहीं
है, धिक्कार है थरूर के बयान पर.
तबलीगी
जमात पर पात्रा ने कहा कि उन्हें यहां कट्टरता दिख रही है.
सोनिया गांधी, राहुल गांधी ने एक बार भी पाकिस्तान में हो रहे अल्पसंख्यकों पर
अत्याचार पर सवाल उठाए?
मनमोहन सिंह ने दिया था सबसे लंबा बजट भाषण, ना हो यकीन तो पढ़ लो
आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला बजट पेश कर रही हैं. इससे पहले भी कई वित्त मंत्री आए और उन्होंने अपना बजट पेश किया है. लेकिन...

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आज सब जने कुछ ना कुछ महिलाओं को लेकर लिख रहे हैं। सम्मान दे रहे हैं। तो हमारे अंदर की भी छोटी और थोड़ी बड़ी औरत चुलबुला गई. हम भी कुछ लिख दि...
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वो कहते हैं ना इतिहास अपने आप को दोहराता है. या बाप की आदतें बच्चे में होती हैं. इसका जीता जागता उदाहरण हाल ही में सबने देखा होगा और ...
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डेट और समय ठीक से याद नहीं है. लेकिन एक वर्कशाप में कुछ कठपुतलियों का शो देखा था. कठपुतलियों को देखना मुझे काफी अच्छा लगता है. बचपन...