भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरे देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है.
लेकिन जैसा जन्मोत्सव मथुरा में मनाया जाता है वैसा और कहीं नहीं. दूर-दूर से लोग जन्माष्टमी मनाने के लिए मथुरा आते हैं.
इस बार की जन्माष्टमी और भी ख़ास हो गई है. क्योंकि गृह, नक्षत्रों का संयोग वैसा ही पड़ा है जैसा श्री कृष्ण के जन्म के समय था.
ऐसी मान्यता है कि यह भगवान कृष्ण का 5243वां जन्मोत्सव है.
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को
रोहिणी नक्षत्र में रात के 12 बजे हुआ था.
गुरुवार को दिन में 3 बजकर 21 मिनट से रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी, हर्षण का जयंती योग बना रहा है.
चूंकि कृष्ण का जन्म रात में हुआ था, इसलिए इसका मान 25 और 26 अगस्त के बीच की रात ही माना जाएगा.
रोहिणी नक्षत्र का मान 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 50 मिनट तक रहेगा.ऐसा संयोग हर बार नहीं होता है.
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान तथा द्वारिकाधीश आदि अनेक मंदिरों में जन्माष्टमी गुरुवार को मनाई जा रही है.