श्री कृष्ण की
नगरी द्वारिका महाभारत युद्ध के 36 वर्ष बाद समुद्र में डूब जाती है। द्वारिका के समुद्र में डूबने से पूर्व
श्री कृष्ण सहित सारे यदुवंशी भी मारे जाते है। समस्त यदुवंशियों के मारे
जाने और द्वारिका के समुद्र में विलीन होने के पीछे मुख्य रूप से दो घटनाएं
जिम्मेदार है। एक माता गांधारी द्वारा श्री कृष्ण को दिया गया श्राप और
दूसरा ऋषियों द्वारा श्री कृष्ण पुत्र सांब को दिया गया श्राप।
महाभारत युद्ध के बाद जब युधिष्ठर का राजतिलक हो रहा था तब गांधारी ने युद्ध के लिए
श्रीकृष्ण को दोषी ठहराते हुए श्राप दिया की जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ
है ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा।
एक दिन महर्षि
विश्वामित्र,
कण्व, देवर्षि नारद आदि द्वारका गए। वहां यादव कुल
के कुछ नवयुवकों ने उनके साथ मजाक करने का सोचा। वे श्रीकृष्ण के पुत्र
सांब को स्त्री वेष में ऋषियों के पास ले गए और कहा कि ये स्त्री गर्भवती है। इसके
गर्भ से क्या उत्पन्न होगा?
ऋषियों ने जब
देखा कि ये युवक हमारा अपमान कर रहे हैं तो क्रोधित होकर उन्होंने श्राप दिया कि-
श्रीकृष्ण का यह पुत्र वृष्णि और अंधकवंशी पुरुषों का नाश करने के लिए एक लोहे का
मूसल उत्पन्न करेगा,
जिसके द्वारा
तुम जैसे क्रूर और क्रोधी लोग अपने समस्त कुल का नाश करोगे। इस मूसल के प्रभाव
से केवल श्रीकृष्ण व बलराम ही बच पाएंगे। श्रीकृष्ण को जब यह बात पता चली तो
उन्होंने कहा कि ये बात अवश्य सत्य होगी।
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