पीएम नरेंद्र मोदी के
स्वच्छ भारत मिशन को काफी लाइमलाइट मिली. इस मिशन की ऑफिशियली शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में की गई. पीएम के इस
मिशन को सपोर्ट करने के लिए नेता से लेकर अभिनेता ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया.
खिलाड़ी कुमार ने तो अपनी प्रेम कहानी ही टॉयलेट के नाम कर दी. स्वच्छता को लेकर
ना जाने कितने प्रोग्राम हुए.
कम्युनिकेशन के सभी माध्यमों पर ये मिशन छाया हुआ
है. सोशल मीडिया पर तो तस्वीरों और वीडियो की बाड़ सी आ गई. जगह-जगह सफाई और
शौचालयों के बारे में बातों के साथ काम भी होने लगा. लेकिन ये बात बेहद चौंकाने
वाली है कि यूपी में सार्वजनिक महिला शौचालय नहीं है. लखनऊ की सार्वजनिक जगहों पर
महिला शौचालय नहीं है.
इस मिशन की शुरुआत में करते हुए पीएम ने कहा था, एक स्वच्छ भारत के द्वारा ही देश
2019 में
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर अपनी सर्वोत्तम श्रद्धांजलि दे सकते हैं. इस मिशन का मोटिव 2 अक्टूबर 2019 तक “स्वच्छ भारत” बनाना है.
स्वच्छता के महत्व को समझते हुए प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को
हल करने की बात भी उठाई. आम से लेकर खास लोगों ने मोदी के सपने को साकार करने को
तत्पर हैं.
सार्वजनिक जगहों पर महिला शौचालय ना होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना
करना पड़ता है. पब्लिक टॉयलेट हैं भी तो वहां गंदगी के चलते जाना नामुमकिन सा हो
जाता है. लड़कों के लिए किसी दीवार या पेड़ को पानी देना बड़ा ही आसान हैं. वहीं
महिलाओं के लिए ऐसा करना संभव नहीं, लाज और शर्म के घूंघट के चलते कहीं जगह मिली
तो ठीक नहीं तो पेशाब रोकने से जैसा खतरनाक काम आसान लगता है और घंटों पेशाब को रोक
कर रखती हैं.
शायद उन्हें पता ही नहीं या पता होते हुए अपनी हेल्थ के साथ इतना बड़ा रिस्क लेना
सहज लगता है. अधिक देर तक पेशाब रोकने की वजह से शरीर पर तो बुरा असर पड़ता है. इससे कई
गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. इसलिए इससे होने वाली प्रॉब्लम्स के बारे में एक
बार जरूर जान लें.
इंफेक्शन
जैसा कि सभी को मालूम है कि यूरिन के जरिए विषैले पदार्थ शरीर से बाहर आते
हैं. पेशाब रोकने से ब्लैडर में विषैले पदार्थ इकट्ठे हो जाते हैं, जिससे यूरिनरी
इंफेक्शन होने का खतरा रहता है.
ब्लैडर में सूजन
यूरिन रोकने की वजह से ब्लैडर में सूजन हो जाती है, जिससे पेशाब करते वक्त तेज
दर्द होता है.
गुर्दे में पथरी
यूरिन में कई तरह के यूरिया और अमिनो एसिड जैसे विषैले पदार्थ होते हैं, जिनका
शरीर से बाहर निकलना बहुत जरूरी है. ऐसे में जब हम यूरिन रोक कर रखते हैं तो ये
विषैले पदार्थ किडनी के आस-पास इकट्ठे हो जाते हैं, जिससे गुर्दे में पत्थरी हो
जाती है.
किडनी पर खतरा
शरीर से जब विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते तो यह किडनी को नुकसान पहुंचाता
है और इससे किडनी फेल होने का भी खतरा रहता है.
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