लंकापति रावण इस धरती पर लंकापति रावण से बड़ा
विलेन कोई नहीं है. हमेशा से हम यही सुनते आ रहे हैं कि राम ने रावण का वध करके
सत्य पर असत्य की विजय पताका लहराई. भले ही रावण ने सीता माता का अपहरण करने जैसा
जघन्य अपराध किया हो लेकिन उसके जैसा महाज्ञानी कोई नहीं था. रावण के ज्ञान के आगे
देवता भी नतमस्तक हो गए थे. रावण के बारे में ये खास बातें बताती हैं कि उनके जैसा
महाज्ञानी पुरुष पैदा नहीं हुआ.
वेद और संस्कृत का ज्ञाता
रावण को वेद और संस्कृत का ज्ञान था. रावण ने
शिवतांडव, युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की. साम वेद
के साथ बाकी तीनों वेदों का भी उसे ज्ञान था. वह पदपथ में दक्ष था. यह वेदों को
पढ़नेका तरीका है.
ज्ञान का भंडार रावण
युद्ध में हारने के बाद जब रावण अपनी अंतिम
सांसें ले रहे थे, तब राम ने लक्ष्मण को रावण से ज्ञान लेने को कहा. रावण ने लक्ष्मण से कहा कि अगर आपको
अपने गुरू से ज्ञान प्राप्त करना है तो हमेशा उनके चरणों में बैठना चाहिए. ऐसा आज
भी हो रहा है. गुरु बिना ज्ञान अधूरा है.
स्त्री रोगविज्ञान और बाल चिकित्सा विशेषज्ञ
रावण ने स्त्री रोगविज्ञान और बाल चिकित्सा पर
कई किताबें लिखी थीं. इन किताबों में 100 से अधिक बीमारियों का इला लिखा हुआ है.
इन किताबों की रचना रावण ने पत्नी मंदोदरी के कहने पर की थी.
आयुर्वेद का ज्ञान
रावण को आयुर्वेद में महारत हासिल थी. उसने
आयुर्वेद पर एक किताब लिखी थी. इस किताबी का नाम अर्क प्रकाश है. इसमें आयुर्वेद से जुड़ी कई जानकारियां हैं. आज भी
आँखों की बीमारी से बचाने के लिए दवाएं बनाई जा रही हैं, जो रावण के
नुस्खे पर आधारित है.
संगीत का भी ज्ञान
रूद्र वीणा बजाने में रावण को कोई भी हरा नहीं
सकता था. जब भी रावण का मन खिन्न होता था वह खुद को खुश करने के लिए इसे बजाता था.
रावण ने राम की मदद की
रावण ने राम की मदद युद्ध में की थी. जब श्री
राम को युद्ध से पहले पुल बनाना था. तब उन्हें यज्ञ करना था लेकिन कहानी में
ट्विस्ट ये था कि युद्ध तभी सफल होगा जब माता सीता यज्ञ में साथ बैठेंगी. यज्ञ को
सफल बनाने के लिए रावण माँ सीता को लेकर आए थे. इसके बाद रावण ने राम को विजयी भव
होने का आशीर्वाद दिया था.
कविताएं लिखने में निपुण
रावण युद्ध विद्या में पारंगत होने के साथ एक
अच्छा कवि भी था. कई कविताओं और श्लोकों की रचनाएं थी. रावण ने ही शिवतांडव की
रचना की थी. रावण महादेव का परम भक्त था. ने भगवान शिव को खुश करने के लिए कई
रचनाओं का निर्माण किया.
रावण नहीं था दस सिर वाला
रावण को दस सिरों वाला कहा जाता है. दशहरे में
भी दस सिर वाले पुतले को जलाया जाता है. लेकिन उनके दस सिर नहीं थे. रावण के अंदर
दस सिर जितना दिमाग था. यही कारण था कि रावण को दशानन कहा गया. साथ ही रावण जब
छोटे थे तब उनकी मां ने उन्हें 9 मोतियों वाला हार पहनाया था. उस हार में रावण के
चेहरे की छाया दिखती थी.
रावण की बेटी थी सीता
रामायण भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में
भी ग्रंथ की तरह अपनाई गई है. थाइलैंड की रामायण के मुताबिक, सीता
रावण की बेटी थी, जिसे एक भविष्यवाणी के बाद रावण ने जमीन में
दफन कर दिया था. भविष्यवाणी में कहा गया था कि ‘यही लड़की तेरी
मौत का कारण बनेगी’. उसके बाद माता सीता जनक को मिलीं. रावण ने कभी
भी देवी सीता के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया.
ग्रह नक्षत्रों को बंदी बनाकर रखा
रावण ने इंसानों ही नहीं ग्रहों पर भी अपना
आधिपत्य कर लिया था. मेघनाथ के जन्म से पहले रावण ने ग्रह नक्षत्रों को अपने हिसाब
से सजा लिया था, जिससे होने वाला पुत्र अमर हो जाए. लेकिन आखिरी
समय में शनि ने अपनी चाल बदल ली थी. रावण ने शनि को अपने पास बंदी बनाकर रखा हुआ था.
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