काजोल
और संजय दत्त स्टारर फिल्म दुश्मन का गाना तो याद होगा ही चिट्ठी ना कोई संदेश
हो,,,, कहां तुम चले गए.... कई बार सुना
है लेकिन हर बार कुछ पुरानी यादों का समंदर डूबा ले जाता है...
खैर छोड़िए मुद्दे
से भटक रही हूं... बात गाने की हो रही है. ये गाना लगभग लुप्त हो चुकी गौरेया पर
बिलकुल फिट बैठती है. कहां तुम चले गए चार दिन लगातार या उससे ज्यादा दिन में
गौरेया को ढूंढना उस डॉन की तरह है, जिसके पीछे पड़ी 11 मुल्कों की पुलिस भी ढूंढ
ना सकी...
कहने
को तो आज विश्व गौरैया दिवस है. इस दिवस का मेन मोटिव दुनिया में गौरैया पक्षी के
संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना है. गायब होती गौरैया की संख्या को लेकर ये
दिवस मनाया जाने लगा और साल 2010 में
पहली बार गौरैया दिवस मनाया गया.
आज
भी याद है वो बचपन जब गौरेया को कनकी (टूटे हुए चावल) देने के लिए माई के सामने
बैठ जाती थी कि जब वो चावल को पछोरेंगी तब वो कनकी मेरे हाथ में ही दी जाती है. कनकी
छत पर डालते ही 10-12 गौरेया का आना पक्का ही था और कुछ देर में सारी कनकी गायब.
लेकिन अब तो अगर बासमती चावल भी छत पर डाल आऊं तो गायब ही नहीं होते.. वही छत है,
वही मैं... लेकिन गौरेया नहीं... दो-तीन साल से मैने गौरेया नहीं देखी.
ये
तो मन की बात थी अब आंकड़ों की बात भी कर लें तो गौरैया की संख्या में करीब 60 फीसदी तक कमी आ गई है. शायद जल्द ही
गौरेया सिर्फ बाकी पशु, पक्षियों की तरह बच्चों की किताबों, विकीपीडिया और हमारी
बातों में ही रह जाएगी...
कोई
ज्ञान नहीं बाटूंगी लेकिन हो सके तो देख लो.. कुछ कर लो.. बाकी तो सभी ज्ञानी हैं.
मैंने आज किसी पेपर में पढ़ा था गौरेया का गत्तों से घर बनाने से उनकी वापसी हुई
है तो बिना किसी खर्चे के ये नेक काम करने में क्या जाता है.. अगर कहीं घर में
गलती से घोसला बना लिया हो तो हटाए ना, दाना-पानी रखें. बाकी मर्जी तो अपनी-अपनी..
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