Wednesday, 11 May 2016
Fruits For Fast Weight Loss In Summer
Wednesday, 4 May 2016
Child artist turned insanly hot
Sana Saeed : Sana Abdul Ahad Saeed is an Indian actress and model, who appears in Bollywood films.
She first appeared as a child artist in Kuch Kuch Hota Hai (1998) and continued to do so in films Har Dil Jo Pyar Karega (2000) and Badal (2000).
In 2012, Saeed made her screen debut as an adult in a supporting role in Karan Johar's Student Of The Year, which emerged as a box-office commercial success.
Alia Bhatt : The daughter of filmmaker Mahesh Bhatt and actress Soni Razdan, Bhatt first appeared on screen as a child artist in a minor role in the thriller Sangharsh (1999).
As an adult, she made her acting debut alongside Sidharth Malhotra and Varun Dhawan in Karan Johar's romantic drama Student of the Year (2012).
Shweta Prasad : She started her career as a child actress in Hindi films and television series and went on to play lead roles in Bengali, Telugu and Tamil cinema.
For her performance in the 2002 film Makdee, she won the National Film Award for Best Child Artist.
Hanshika Motwani : Hansika Motwani is an Indian actress who predominantly appears in Tamil and Telugu films.
She appeared in a bollywood film Koi mil gaya as a child artist (2003).
Hansika made her debut as a leading actress in Bollywood with Himesh Reshammiya in Aap Kaa Surroor — a moderate hit.
She made her film debut in the Telugu film Desamuduru (2007), winning the Filmfare Award for Best Female Debut – South.
Urmila Matondkar : Matondkar made her acting debut as a child artist first Bollywood release with the drama Kalyug (1981).
She later gained recognition for her child role in the highly acclaimed drama Masoom (1983), following which she appeared in few other films as a child artist.
Primarily known for her work in Bollywood films, Matondkar has also appeared in Marathi, Tamil, Telugu, and Malayalam language films.
She made her debut as a leading actress in Bollywood hit Narsimha (1991).
Sunday, 1 May 2016
Spirit of India: मकर संक्राति
Thursday, 28 April 2016
Bollywood Star Salman Salim Khan Bio
Born: December 27,1965 Indore, Madhya Pradesh, India
Parents: Sushila Charak Khan, Salim Khan
Siblings : Arbaaz Khan, Sohail Khan, Alvira Khan and Arpita
Zodiac: Capricorn
Height: 5 feet 8 inches
Upcoming Movies: Sultan, Dabang3
Biography: Salman Khan (born Abdul Rashid Salim Salman Khan) is an Indian film actor, producer, television presenter and philanthropist.
The son of actor and screenwriter Salim Khan, Salman began his acting career with Biwi ho to aisi but it was his second film Maine pyar kiya which was a super hit and garnered him Filmfare award for best male debut. Salman has starred in several commercially successful films, such as Bhaghi, Saajan, Hum aapke hain koun, Hum dil de chuke sanam, Karan Arjun, Judwaa, Pyar kiya toh darna kya, Hum saath saath hain, Wanted, Bodyguard, Dabangg, Dabangg 2, Ek tha Tiger, Kick, etc.
He has done over 80 films and is currently known as the 100-crore club member. He is also popular as the host of Big Boss, which he has been presenting for three seasons.
Helen is his stepmother. He heads the charity foundation Being Human and is known for his philanthropic work.
Salman lives in Galaxy Apartments, Bandra Mumbai. He also has a 150-acre plot in Panvel, which has 3 bunglows, swimming pool and gym.
Salman is a dedicated body builder. He has a 42-inch chest, 17-inch biceps and 30-inch waist.In 2004 Salman was as7th Best looking man in world- People Magazine, USA.
In 2008 his life like wax statue installed in London's Madame Tussauds Museum and in 2012 once again his another wax statue was installed in New York's Madame Tussauds Museum.
In 2010 People Magazine, India declared him the sexiest Man Alive.
In 2011,2012, 2013he was declared Times of India's Most Desirable Man.
In 2013 he was declared India's Most Searched Celebrity Online.
Salman topped Forbes India charts for 2014, in terms of fame and revenues.
According to The Forbes 2015 list of Celebrity 100: The World's Top Paid Entertiners2015', Salman was the highest ranked Indian in 71st rank with earnings of $33.5 million.
On April 24 2016 Indian Olympic Association appointed Actor as the Indian Olympic contingent's "goodwill" Ambassador for "Rio Olympic.
Sunday, 11 October 2015
बदलाव
"बदलाव " हम सभी के लिए जरूरी है,चाहे वो स्री ,पुरूष मौसम जानवर कोई भी हो।बदलाव जीवन को सरल बनाता है।आज हम विज्ञान और प्रौघोगिकी के क्षेत्र में तो आगे बढ़ गये हैं पर हम अपनी मूलभूत चीजों में अभी भी पिछड़े हुए है और निरंतर पिछड़ते जा रहे है।न तो बदलाव हुआ और नही विकास ।हम सभी को समान भाव से नही देखते खासतौर पर स्री और पुरूष से संबधित किसी विषय पर। स्री पुरूष सभी प्रकार से समान है ।एक ओर तो पुरूषों को हमारे देश घर,परिवार में सभी कार्यों पर हक है वहीं महिलाओं को समान अधिकार नही है क्योंकि उन्हे उनके मानवीय अधिकारो से दूर रखा जाता है। यही कारण है कि "आधी आबादी "आज भी पिछड़ी हुई है और दिन प्रतिदिन दुर्घटनाओं का शिकार हो रही है।
लड़कियों को सदैव घर की वस्तु की तरह रखा जाता है ,उसे सदैव घर कार्यो मे कुशल रहने की सलाह दी जाती हैऔर सदैव उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है। उन्हे पता ही नही रहता कि सरकार ने उनकी सुविधाओं के लिए कई योजनाएँ बनाई हुई है।
प्रतिदिन महिलाओं के साथ दुखद घटनाएँ घटित होती है जिसका जिम्मेदार उन्हे ही ठहरा देते है। जिससे वे स्वंय को लाचार और बेबस समझने लगती है वे पहले ही दुखी रह़ती है और इस तरह की बातों से उनका मनोबल टूट जाता है और वे अत्याचारों से लड़ने के बजाय उनके सामने घुटने टेक देती है जिससे उन पर निरंतर अत्याचार होते रहते है।
यदि हम अपनी बेटियों के भविष्य को अच्छा बनाना चाहते है तो उन्हे उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा और उनका साथ देना होगा ।उनकी पढ़ाई पर ध्यान देना होगा जिससे वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे और अपने पैरों पर खड़ी हो सके।शिक्षा के साथ उन्हे आत्मविश्वासी बनाये ताकि वे अपने अधिकारों को बखूबी प्रयोग कर सकें ।
जिस तरह एक औरत पूरे परिवार को संभालती है यदि उसे अवसर मिलें तो वह अपने और दूसरों के लिए भी अच्छे कार्य कर सकती है। हमारे देश की कई महिलाओं ने हमारे देश का नाम अपनी उपलब्धियों से रौशन किया है। पी टी ऊषा ,कल्पना चावला ,इंदिरा गांधी ,मदर टेरेसा आदि ने अपने कार्यों से दुनिया में अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करवाया है ।पीढ़ी दर पीढ़ी लोग इनका नाम याद रखेंगे ।
यदि हम भी अपनी बेटियों को समान अधिकार और अवसर दें तो वे अपने कार्यों से खुद को और दुनिया को बदलने का जज्बा रखती है।जब भी इन्हें मौका मिला है तब तब अपने कार्यों से सिद्ध भी किया है।
हर महिला को जागरूक और अपने अधिकारों का स्मरण होना जरूरी है।कई क्षेत्रों में महिलाओं ने उल्लेखनीय कार्य किये है ।हर साल लड़कियों ने बोर्ड परीक्षा में बाजी मारी है।बिजनेस मे भी नये कीर्तिमान बना रही है।
देश को सुचारु रूप से चलाने में महिलाओं की एक अहम भूमिका है।स्री पुरूष गाड़ी के दो पहिए की तरह है एक भी पहिया पीछे छूटा तो संतुलन बिगड़ जाता है। इसलिए हमें सभी को समान अवसर देने चाहिए जिससे महिलाएं भी पुरूषों के साथ आगे बढ़े । घर के विकास के साथ देश के विकास मे भी सार्थक सिद्ध होंगी ।
Monday, 28 September 2015
परवरिश
हम सभी अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देकर उन्हे अच्छा और सफल इंसान बनाना चाहते है।उन्हे हमेशा नेक इंसान बनाने की कोशिश में तत्पर रहतें है।
बच्चे बहुत आकर्षक और कोमल स्वभाव के होते है ,उनकी अलग ही दुनिया होती है। हम सदैव उनके आस पास ऐसा माहौल बनाये रखते है,जिससे वे कभी गलत और बुरी आदतें न सीखें ।इन सभी सावधानियों के बाद भी उनमें बुरी आदतें आ ही जाती है।
हम बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए बिना थके प्रयास करते रहते है।बच्चे कुम्हार की कच्ची मिट्टी की तरह होतें है बचपन में जिस तरह ढाल लो उसी बरतन यानि व्यकितत्व का रूप ले लेता है।बचपन से उन्हे अच्छी बाते बतानी चाहिए ।
बच्चे कोमल ह्रदय के होते है अक्सर वे गलत सही मे भेद नही कर पातें है।बच्चे अपनी कल्पनाओं को ही वास्तविकता समझ लेते है।कभी कभी ये कल्पनाएं उनके अंदर बुरी आदतों को जन्म देती है।ये बुरी आदतें नयी हो तो इन्हें छुड़ाना आसान होता है।
बच्चों की इन आदतों से छुटकारा पाना कठिन है लेकिन समझदारी और सजगता से काम ले तो ये बुरी आदतें आसानी से छुड़ा सकते है।इन्हें धैर्य और शांति से इनका निवारण अति आवश्यक है।
अक्सर बच्चो में झूठ बोलना ,जिद्दी होना,गलत शब्द बोलना आदि आदतें सामान्य होती है। इन आदतों को शुरूआत में और समझदारी से हल करना आवश्यक है ,यही आदतें बड़े होने पर उसके गलत व्यक्तित्व का निर्माण करती है।
अपनी गलतियों को छुपाने के लिए झूठ का सहारा लेते है। अपनी ख्वाहिशों और माँगों को पूरा करने के लिए बच्चे हमेशा जिद् का दामन पकड़ते है और उन्हे पूरा करवा लेते है।
जब बच्चे किसी परिस्थिति से निपट नहीं पाते और हार मान लेते है तो वे चिड़चिड़ेपन मे गलत शब्दों को बोलते है।घबराहट मे नाखून कुतरना और आस्तीन को चबाने लगते है।
बच्चों से इन आदतों को छुड़ाना झुंझलाहट भरा काम है।यदि हम शुरूआत में ही इन आदतों को रोकना शुरु करें तो दोनो के लिए आसान होगा ।
बच्चे के गलती करने पर उसे प्यार से समझाये ,उसे बताये कि किसी भी समस्या को हल कर सकते है।
गलती करने पर ज्यादा सजा न दे ,अक्सर ज्यादा सजा और डांट उनके गुस्से को बढ़ाता है। उसे गलती मानने और सच बोलने के लिए प्रेरित करें ।
गलती मानने पर उन्हे प्यार करे और उनका हौसला बढाये । बुरी आदतें छोड़ने पर उन्हे गिफ्ट दे। जिससे वे खुश रहेगें और आदतें छोड़ने मे सहयोग करेगें ।
बच्चे के अच्छे चरित्र के लिए उन्हे समझदारी से उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करें ताकि आपसे बात करने मे सहज महसूस करे।
बच्चे बहुत मासूम होते है।बच्चे सकारात्मक ऊर्जा से भरे होते है उनपर खुद को थोपे नही । बच्चे सभी के जीवन मे खुशियों और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते है,इन्हें सहेज कर रखना हमारी जरूरत है।
बीते लम्हे
बीते लम्हे जब भी याद आते है चेहरे पर मुस्कान छोड़ जातें है।वो बचपन की शैतानियाँ जब भी याद आती है पल भर में सारी उलझने फुरर हो जाती है।वो बीता हुआ वक्त जब सिर्फ और सिर्फ खेल ही भाता था और पेप्सी पैकेट वाली ही टेस्टी लगती और थोड़ी देर में सारी प्यास बुझ जाती थी।जब भी सफर पर जाते संतरे वाली टाॅफी खाते खाते सारा सफर ही कट जाता था।
गरमी की छुटि्टयो के साथी फिर से कैरम और लूडो हो जाते थे।तब खेल खेल में दोस्ती और लड़ाई हो जाती उसके बाद दोस्ती और दुश्मनी Flames से डिसाइड होती थी।
जब फेसबुक और इंटरनेट नही था दोस्त की फ्रें ड फ्रेंड रिक्वेस्ट दूसरा दोस्त ले जाता था तब दोस्तो का लिस्ट भी लम्बी और ज्यादा करीब होते थे।
जब खुशियाँ साइकिल पे सवार डाकिया अंकल लेकर आते थे।जब एक घर में 5फोन नहीं 5 घरों में एक फोन से सारी बातें होती थी।
जब भी याद आते है वो लम्हे मन में गुदगुदी सी होती है। टीवी पर एक ही चैनल और गिने चुने कायर्क्रम जैसे शक्तिमान जुनियर जी से ही बहुत खुश थे ।आज आॅप्सन तो है पर साथ बैठ कर खुशियों को बांटने का समय किसी के पास नहीं है।छोटी छोटी चीजों से ही खुश हो जाते और पैसो की कीमत उन खुशियों से कम थी।
जब भी याद आता है बीता हुआ वक्त जब ख्वाहिशें बड़ी और उम्मीदे कम थी। तब जिंदगी नादान थी खुशियों का खुला आसमान थी और आने वाले समय का सुनहरा वादा थी।
मनमोहन सिंह ने दिया था सबसे लंबा बजट भाषण, ना हो यकीन तो पढ़ लो
आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला बजट पेश कर रही हैं. इससे पहले भी कई वित्त मंत्री आए और उन्होंने अपना बजट पेश किया है. लेकिन...

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आज सब जने कुछ ना कुछ महिलाओं को लेकर लिख रहे हैं। सम्मान दे रहे हैं। तो हमारे अंदर की भी छोटी और थोड़ी बड़ी औरत चुलबुला गई. हम भी कुछ लिख दि...
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वो कहते हैं ना इतिहास अपने आप को दोहराता है. या बाप की आदतें बच्चे में होती हैं. इसका जीता जागता उदाहरण हाल ही में सबने देखा होगा और ...
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डेट और समय ठीक से याद नहीं है. लेकिन एक वर्कशाप में कुछ कठपुतलियों का शो देखा था. कठपुतलियों को देखना मुझे काफी अच्छा लगता है. बचपन...