Wednesday, 21 March 2018

#WorldPuppetryDay : पुराणों से हुआ कठपुतलियों का जन्म, गायब होने से पहले जान लें खास बातें



डेट और समय ठीक से याद नहीं है. लेकिन एक वर्कशाप में कुछ कठपुतलियों का शो देखा था. कठपुतलियों को देखना मुझे काफी अच्छा लगता है. बचपन में बहुक बार तो नहीं पर गिनती के 6 या 7 बार कठपुतली का नाटक देखा, जिसमें सास गुलाबो और बहू सिताबो की खटपट को दिखाया जाता था. लेकिन आज डिजिटल हो चुकी दुनिया में नाममात्र ही कठपुतली नजर आती हैं. आज 21 मार्च को world puppetry day मनाया जा रहा है.

इंटरनेट के दौर में कठपुतली या पपेट का खेल जैसे कहीं खो गया है. गलती से भी मैने इस शब्द किसी के मुंह से नहीं सुना है. एक दौर ऐसा भी था, जब कठपुतली के खेल को लोग देखने के लिए लोग कोई मौका नहीं छोड़ते थे. कठपुतलियों का खेल हमारे देश भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के हर कोने में छाया हुआ था.

आज विश्व कठपुतली दिवस पर कठपुतलियों के लुप्त होने से पहले जान लेते हैं इतिहास के बारे में.

कई कलाओं में से इस कला का जन्म भी हमारे देश से हुआ. ग्रंथों और पुराणों से इनका जन्म हुआ है. कठपुतली शब्द 
संस्कृत के 'पुत्तलिकाया 'पुत्तिकाऔर लैटिन के 'प्यूपासे मिलकर बना हैजिसका अर्थ है-छोटी गुड़िया. ऐसा माना जाता है कि दूसरी शताब्दी में लिखे तमिल महाकाव्य 'शिल्पादीकरमसे इसका जन्म हुआ. वहीं कई लोग मानते हैं कि चौथी शताब्दी में लिखे 'पाणिनीग्रंथ के पुतला-नाटक और 'नाट्यशास्त्रसे इनका जन्म हुआ.

कठपुतली कला का विस्तार पूरे देश में हुआ और यह अलग-अलग राज्यों की भाषापहनावे और लोक-संस्कृति के रंग में रंगने लगी. अंग्रेजी शासनकाल में यह कला विदेशों में भी पहुंच गई. आज यह कला इंडोनेशियाथाईलैंडजावाश्रीलंकाचीनरूसरूमानियाइंग्लैंडअमरीकाजापान में पहुंच चुकी है.

यूरोप में अनेक नाटकों की तरह ही कठपुतलियों के नाटक भी होते हैं. फ्रांस में तो इस खेल के लिए स्थायी रंगमंच भी बने हुए हैं, जहां नियमित रूप से इनके खेल खेले जाते हैं. फ्रांस में कठपुतलियों का स्टेट्स काफी हाई है, जिसकी वजह से रियल लगती हैं.  

समय के साथ इस कठपुतली कला में काफी बदलाव हुए हैं. पहले इनके प्रदर्शन में लैंप और लालटेन का इस्तेमाल होता था.आज कठपुतली कला के बड़े-बड़े थियेटर में शोज किए जाते हैं.
दुनिया भर में कठपुतली कला इन नामों से फेमस है.



भारत में कठपुतली
राजस्थान की स्ट्रिंग कठपुतलियां दुनिया भर में मशहूर हैं. इसके अलावा उड़ीसाकर्नाटक और तमिलनाडु में भी कठपुतलियों की यही कला प्रचलित है. राजस्थानी कठपुतलियों का ओवल चेहराबड़ी आंखेंधनुषाकार भौंहें और बड़े होंठ इन्हें अलग पहचान देते हैं. 

स्ट्रिंग कठपुतली
भारत में धागा कठपुतली सबसे ज्यादा मशहूर है. कठपुतली के सिरगर्दनबाजूउंगलियोंपैर जैसे हर जोड़ पर धागा बंधा होता हैजिसकी कमान कठपुतली-चलाने वाले के हाथ में होती है.

रॉड कठपुतली
इस तरह की कठपुतली के सिर और हाथ को एक रॉड से नियंत्रित किया जाता है. इसकी शुरुआत इंडोनेशिया में हुई.

कार्निवल कठपुतली
इस तरह की कठपुतली का इस्तेमाल किसी बड़े फंक्शन में किया जाता है. यह बहुत बड़ी कठपुतली होती है. आर्टिस्ट कठपुतली के अंदर जाकर इसे चलाते हैं. इसका बेहतरीन उदाहरण चीन में न्यू ईयर के मौके पर इस्तेमाल होने वाली ड्रैगन कठपुतली है.

दस्ताना (हैंड) कठपुतली
ऐसा माना जाता है कि 17वीं शताब्दी में चीन में इसका जन्म हुआ था. यह कठपुतली एक दस्ताने की तरह हाथ में फिट हो जाती है. कठपुतली का सिर कलाकार के हाथ के बीच की उंगली में और उसके हाथ अंगूठे और पहली छोटी उंगली में डाले जाते हैं.

शेडो कठपुतली
ये सबसे पुरानी शैली की कठपुतली मानी जाती है. कठपुतलियां लैदरपेपरप्लास्टिक या लकड़ी से बनाई जाती हैं. इसके शो प्रकाश व्यवस्था पर निर्भर करते हैंजिससे कठपुतली के हाव-भाव और आकार साफ तौर पर दिखाई देते हैं. इसकी शुरुआत भारत और चीन में मानी जाती है.

Sunday, 18 March 2018

नवरात्र के पहले दिन को खास बनाएगी इस संघर्षशील महिला की कहानी



आज से नवरात्र शुरू हो गए हैं. नौ दिनों तक मंदिरों में भक्तों की भीड़ रहने वाली है. पापी,चंडाली, औरतों और लड़कियों को सताने वाले लोग भी मां के दरबार में जाकर जयकारे लगाएंगे. भले ही घर पर अपनी मां और पत्नी को बेइज्जत करें. लेकिन इन नौ दिनों में हर वो चीज करेंगे, जो अंबे मां को प्रसन्न कर सके. नवरात्र के दिन बड़े ही पावन होते है. इन पावन दिनों को और भी खास बनाया है. कुछ सिंपल दिखने वाली औरतों ने जिन्होंने हर लड़ाई को जीतकर अपनी पहचान बनाई है. नवरात्र के नौ दिनों में ऐसी ही महिलाओं की बात करने वाले हैं.

नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां का स्वरूप इस प्रकार है- सिर पर मुकुट और उसमें त्रिशूल शोभित है. इनके दाएं हाथ में त्रिशूल, बाएं हाथ में कमल सुशोभित है.

ऐसी ही एक महिला हैं, जिनके सिर पर भले ही मुकुट ना हो. लेकिन उन पर मां नर्मदा का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा. जिनकी आवाज एक गूंज बनकर उभरी. जब-जब नर्मदा की बात की जाती है तो मेधा पाटकर की बात जरूर होगी. आइए जानते हैं इनके जीवन का खास हिस्सा.

मेधा पाटकर को 'नर्मदा की आवाज' के रूप में जाना जाता है. मेधा ने 'सरदार सरोवर परियोजना' से प्रभावित होने वाले लगभग 37 हजार गांव के लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ी.

मेधा का जन्म 1 दिसंबर 1954 को मुंबई में हुआ था. मेधा के माता-पिता सोशल वर्कर थे.
मेधा ने टाटा इंस्टी ट्यूट ऑफ सोशल साइंस से सोशल वर्क में एमए कम्पलीट किया और अपने काम में लग गईं. मुंबई से शुरू हुए सफर की पहली सीढ़ी की ओर बढ़ी. झुग्गियों में बसे लोगों की सेवा करने वाली संस्था.ओं से जुड़ गईं।

28 मार्च 2006 को मेधा ने ने नर्मदा नदी के बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला किया. मेधा को पता था कि जिस मंजिल तक वह पहुंचने का रास्ता मुश्किल होने वाला है. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. पूरा समय नर्मदा नदी पर लगाने के लिए उन्होनें अपनी पी.एच.डी की पढ़ाई तक छोड़ दी थी.

17 अप्रैल 2006 को सुप्रीम कोर्ट से नर्मदा बचाओ आंदोलन के तहत बांध पर निर्माण कार्य रोक देने की अपील को खारिज कर दिया. लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी.

नर्मदा बचाओ आंदोलन के अलावा भी मेधा ने कई लड़ाइयां लड़ी हैं. समाज की सेवा के साथ मेधा ने राजनीति में भी एंट्री की. लेकिन राजनीति उन्हें रास ना आई. 13 जनवरी 2014 को उन्होंपने आम आदमी पार्टी में सम्मि लित होने के घोषणा की. लोकसभा चुनाव 2014 में मेधा उत्त र-पूर्व मुंबई से आम आदमी पार्टी के उम्मीीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था.

मेधा के कार्यों के लिए पुरस्कारों से भी नवाजा गया, जो इस प्रकार हैं.
साल    पुरस्कार
1991-सही आजीविका पुरस्कार
1992- गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार
1995- बीबीसी, इंग्लैंड द्वारा सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक प्रचारक के लिए ग्रीन रिबन अवार्ड
1999- एमनेस्टी इंटरनेशनल, जर्मनी से मानव अधिकार डिफेंडर का पुरस्कार
1999- विजील इंडिया मूवमेंट से एम.ए. थॉमस नेशनल ह्यूमन राइट्स अवार्ड
1999- बीबीसी के व्यक्ति का वर्ष
1999- दीना नाथ मंगेशकर पुरस्कार
1990- शांति के लिए कुंडल लाल पुरस्कार
2013- भीमा बाई अम्बेडकर पुरस्कार

2014- सामाजिक न्याय के लिए मदर टेरेसा पुरस्कार

हैशटैग में खेला स्वच्छ भारत मिशन... यूपी की राजधानी में नहीं महिला शौचालय

पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को काफी लाइमलाइट मिली. इस मिशन की ऑफिशियली शुरुआत 2 अक्टूबर  2014 को राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में की गई. पीएम के इस मिशन को सपोर्ट करने के लिए नेता से लेकर अभिनेता ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. खिलाड़ी कुमार ने तो अपनी प्रेम कहानी ही टॉयलेट के नाम कर दी. स्वच्छता को लेकर ना जाने कितने प्रोग्राम हुए. 


कम्युनिकेशन के सभी माध्यमों पर ये मिशन छाया हुआ है. सोशल मीडिया पर तो तस्वीरों और वीडियो की बाड़ सी आ गई. जगह-जगह सफाई और शौचालयों के बारे में बातों के साथ काम भी होने लगा. लेकिन ये बात बेहद चौंकाने वाली है कि यूपी में सार्वजनिक महिला शौचालय नहीं है. लखनऊ की सार्वजनिक जगहों पर महिला शौचालय नहीं है.

इस मिशन की शुरुआत में करते हुए पीएम ने कहा था, एक स्वच्छ भारत के द्वारा ही देश 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर अपनी सर्वोत्तम श्रद्धांजलि दे सकते हैं.  इस मिशन का मोटिव 2 अक्टूबर 2019 तक स्वच्छ भारतबनाना है.

स्वच्छता के महत्व को समझते हुए प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को हल करने की बात भी उठाई. आम से लेकर खास लोगों ने मोदी के सपने को साकार करने को तत्पर हैं.
सार्वजनिक जगहों पर महिला शौचालय ना होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पब्लिक टॉयलेट हैं भी तो वहां गंदगी के चलते जाना नामुमकिन सा हो जाता है. लड़कों के लिए किसी दीवार या पेड़ को पानी देना बड़ा ही आसान हैं. वहीं महिलाओं के लिए ऐसा करना संभव नहीं, लाज और शर्म के घूंघट के चलते कहीं जगह मिली तो ठीक नहीं तो पेशाब रोकने से जैसा खतरनाक काम आसान लगता है और घंटों पेशाब को रोक कर रखती हैं.

शायद उन्हें पता ही नहीं या पता होते हुए अपनी हेल्थ के साथ इतना बड़ा रिस्क लेना सहज लगता है. अधिक देर तक पेशाब रोकने की वजह से शरीर पर तो बुरा असर पड़ता है. इससे कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. इसलिए इससे होने वाली प्रॉब्लम्स के बारे में एक बार जरूर जान लें.
 इंफेक्शन
जैसा कि सभी को मालूम है कि यूरिन के जरिए विषैले पदार्थ शरीर से बाहर आते हैं. पेशाब रोकने से ब्लैडर में विषैले पदार्थ इकट्ठे हो जाते हैं, जिससे यूरिनरी इंफेक्शन होने का खतरा रहता है.
ब्लैडर में सूजन
यूरिन रोकने की वजह से ब्लैडर में सूजन हो जाती है, जिससे पेशाब करते वक्त तेज दर्द होता है.
गुर्दे में पथरी
यूरिन में कई तरह के यूरिया और अमिनो एसिड जैसे विषैले पदार्थ होते हैं, जिनका शरीर से बाहर निकलना बहुत जरूरी है. ऐसे में जब हम यूरिन रोक कर रखते हैं तो ये विषैले पदार्थ किडनी के आस-पास इकट्ठे हो जाते हैं, जिससे गुर्दे में पत्थरी हो जाती है.
किडनी पर खतरा
शरीर से जब विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते तो यह किडनी को नुकसान पहुंचाता है और इससे किडनी फेल होने का भी खतरा रहता है.


Monday, 12 February 2018

हार कर बाजीगर बनें जग के पालनहार, ऐसे हुई थी पहले शिवलिंग की उत्पत्ति



देवों के देव महादेव के भक्तों के लिए आज महाशिवरात्रि का दिन सबसे खास है. भोलेनाथ के भक्त उन्हें खुश करने के लिए सबकुछ करते हैं. भोलेनाथ की पूजा में शिवलिंग का विशेष महत्व है. 

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिवलिंग पूजा का विशेष महत्व है. छोटे से छोटे मंदिर में शिवलिंग जरुर होता है. इसी से पता चलता है शिवलिंग कितना अहम रोल प्ले करता है. भगवान शिव अनंत काल और सर्जन के प्रतीक हैं.

भगवान शिव को लिंग के रूप में देखा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं लिंग की उत्पत्ति कैसे और क्यों हुई नहीं तो कोई बात नहीं मै हूं ना.

शिवलिंग, महादेव के ज्ञान और तेज का प्रतिनिधित्व करता है. शक्ति के चिह्न के रूप में लिंग की पूजा होती है. भगवान शिव को देवआदिदेव भी कहा जाता है, जिसका मतलब है कोई रूप ना होना.

सबसे पहले तो शिवलिंग का अर्थ जान लीजिए. शिवका अर्थ है-कल्याणकारीऔर लिंगका अर्थ है-सृजन.

मान्यताओं की मानें तो  लिंग एक विशाल लौकिक अंडाशय है, जिसका अर्थ है ब्रह्माण्ड. इसे पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है, जहां 'पुरुष' और 'प्रकृति' का जन्म हुआ है.

लिंगमहापुराण के अनुसार, सबसे पहले शिवलिंग की स्थापना कहां हुई. इसकी स्टोरी काफी दिलचस्प है.

ये है पहले शिवलिंग की सॉलिड स्टोरी

हुआ यूं कि एक बार जग के पालनहार विष्णु और परमपिता ब्रह्मा एक-दूसरे को अपना-अपना टशन दिखा रहे थे. दोनों अपने मुंह मिया मिट्ठू बन रहे थे. जैसा कि हम इंसान अक्सर खुद को साबित करने के लिए एक-दूसरे को नीचे गिराने की कोशिश करते हैं वैसा ही कुछ ये दोनों भी कर कर रहे थे एक दूसरे को श्रेष्ठता के बारे में बता रहे थे. लेकिन टशन के चक्कर में ये झगड़ा बहुते आगे बढ़ गया.  

इन दोनों के झगड़े का निपटारा करने के लिए देवों के देव महादेव को अपना पासा 
फेंकना पड़ा.

अग्नि की ज्वालाओं से लिपटा हुआ एक विशाल लिंग दोनों देवों के बीच आकर स्थापित हो गया. और सॉलिड आवाज के साथ शिव ने कहा जो जो इस पत्थर का अंत ढूंढ लेगा, उसे ही ज्यादा शक्तिशाली माना जाएगा.

इसके बाद दोनों फटाफट अपनी-अपनी मंजिल की ओर निकल गए और लिंग के रहस्य का पता लगाने में जुट गए. भगवान ब्रह्मा उस लिंग के ऊपर की तरफ बढ़े और भगवान विष्णु नीचे की ओर जाने लगे. हजारों वर्षों तक जब दोनों देव इस लिंग का पता लगा पाने में नाकाम रहे तो वह अपनी हार कबूलते हुए फिर उसी जगह पर पहुंचे जहां पर उन्होंने उस विशाल लिंग को देखा था. लिंग के पास पहुंचते ही दोनों देव उस लिंग से ओम स्वर की ध्वनि सुनाई देने लगी. इस स्वर को सुनते ही दोनों समझ गए कि ये हम लोगों का बॉस है.

विष्णु जी ने तो अपनी हार मान ली लेकिन ब्रह्मा जी अभी भी अपने टशन में थे. खुद को कलाकार साबित करने के लिए झूठ बोल दिए, फिर क्या रायता फैल गया. विष्णु जी को आशीर्वाद और ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया. विष्णुजी तो हार के भी बाजीगर बन गए. लेकिन ब्रह्मा जी को ना पूजे जाने का श्राप बैठे-बिठाए मिल गया.

तभी भोलेनाथ ने सस्पेंस खत्म करते हुए अपनी पहचान बताई. शिव ने कहा- मैं शिवलिंग हूं और न ही मेरा कोई अंत हैं और न ही कोई शुरुआत. उसके बाद वह वहीं शिवलिंग के रुप में स्थापित होकर वहां से अंतर्ध्यान हो गए. इसे ही भगवान शिव का सबसे पहला शिवलिंग माना जाता है.




Monday, 15 January 2018

घोटालों की तरह लंबी है गांधी परिवार के अवैध रिश्तों की लिस्ट, पढ़ते-पढ़ते आ जाएगा चक्कर


गाँधी परिवार के बारे में देश का बच्चा-बच्चा जानता है. चाचा नेहरु से लेकर राहुल गाँधी को किसी इंट्रोडक्शन की जरूरत नहीं है. जवाहर लाल, इंदिरा गाँधी,संजय गाँधी, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी को सभी जानते है. लेकिन ये जैसे दिखते हैं वैसे बिलकुल नहीं है. इनके सफेद कपड़ों में इतना काला मैल लगा है, जिसका अंदाजा आम इंसान लगा भी नहीं सकता है. 

गाँधी परिवार के चरित्र की बात की जाएं तो ये कहना गलत नहीं होगा कि इन्हें चरित्रहीनता विरासत में मिली है. इस परिवार की काले कारनामों की लिस्ट जरूरत से ज्यादा लंबी है.

काले कारनामों की लिस्ट की शुरुआत मोतीलाल से होती है. मोतीलाल की पहली पत्नी का देहांत काफी कम उम्र में हो गया था. इसके बाद मोतीलाल ने स्वरुप रानी से शादी की, जिससे उन्हें दो बेटी विजयलक्ष्मी और कृष्णा को जन्म दिया.  

स्वरुप रानी के मोतीलाल के बॉस मुबारक अली के साथ अवैध संबंध थे. लोगों की मानें तो नेहरु इनके नाजायज रिश्ते का फल थे. मोतीलाल जवाहरलाल के नाम मात्र पिता थे. वहीं मोतीलाल के भी दो मुस्लिम बेटे शेख अब्दुल्लाह और सईद हुसैन थे, जिनसे मोतीलाल मिलने जाया करते थे.

जवाहरलाल नेहरु को ये हुनर उनके पिता मोतीलाल से मिला था. जवाहरलाल नेहरु की शादी तो कमला कौल से हुई लेकिन रिश्ते कहीं और ही निभाए गए. एम ओ मथाई ने अपनी किताब REMINISCENES OF THE NEHRU AGE  में जवाहर के अवैध संबंधों का खुलासा किया. जवाहर का शारदा माता से अफेयर था. इन दोनों के प्रेम ने एक बेटे को भी जन्म दिया. एडविना के प्यार के खातिर नेहरु देश छोड़ने के लिए भी तैयार थे. इनके किस्से तो बहुत हैं.

मोतीलाल की बेटी विजयलक्ष्मी को अपने सौतेले भाई से प्यार हो गया उसके बाद वह सईद हुसैन के साथ भाग गई.  दोनों के मिलन ने एक बेटी को जन्म दिया. बाद में विजयलक्ष्मी ने आरएस पंडित से शादी की. इस शादी से नैनतारा और रीता नाम की बेटियों को जन्म दिया.  

वो कहते हैं ना खरबूजा खरबूजे को देख कर रंग बदलता है तो कमला नेहरु भी कहां पीछे रहने वाली थीं.

कमला का जवाहर के नाजायज पिता मुबारक के बेटे मंजूर अली से अवैध संबंध था.  इन दोनों के अवैध रिश्तों का रिजल्ट इंदिरा गाँधी थी. कमला का फिरोज खान के साथ भी अवैध रिश्ता था.  

इस पम्परा को आगे बढ़ाते हुए इंदिरा गाँधी ने फिरोज खान के साथ रिश्ता कायम किया. दोनों ने गाँधी बन राजीव को जन्म दिया. फिरोज के अलावा इंदिरा का मोहम्मद यूनुस से अवैध संबंध था और दोनों ने संजय गाँधी को जन्म दिया.  इसके अलावा इंदिरा के कई और अफेयर रह चुके है.

फिरोज के भी कई महिलाओं के साथ अवैध संबंध थे.

सोनिया ने अपने बॉयफ्रेंड फ्रांको को भूलाकर राजीव गाँधी से शादी कर ली.  

अब बारी थी इस रॉयल फैमिली के युवराज राहुल गाँधी की. ultadin.com के एक लेख के अनुसार, राहुल ने 2006 में अपने विदेशी मित्रों के साथ 
मिलकर एक लड़की का रेप किया था. इस केस को पुलिस ने भी दर्ज करने से मना कर दिया.  इसके बाद से ही लड़की और परिवार लापता है.  

राहुल जो अभी तक घोड़ी नहीं चढ़े हैं. दो लड़कियों के साथ प्यार का रायता फैला चुके हैं. राहुल अफगान की नोल और उसके बाद वेरोनिकुए कार्तेल्ली से मिले. वेरोनिकुए को राहुल अभी भी प्यार की चटनी चटा रहे हैं.

इनके घोटालों की तरह ही इनके काले रिश्तों ने भी कंफ्यूज कर दिया है कि कौन किसका बाप और कौन किसका बेटा है.


Tuesday, 9 January 2018

एक्सट्रा चीज़ के साथ पिज्जा खाने वालों इतिहास जानकर चकरा जाओगे



आज की इस मॉडर्न लाइफस्टाइल में लोगों की पहली पसंद फास्ड फूड है. फास्ड फूड के शौकीन इस पूरी दुनिया में मौजूद हैं. दोस्तों के साथ पार्टी हो या छोटी भूख का इलाज अक्सर लोग पिज्जा खाना ही पसंद करते हैं. घर बैठे ही एक कॉल पर गरमा-गरम मंगा सकते हैं. बच्चों का ऑल टाइम फेवरेट फूड है. पिज्जा चाव से खाने वालों क्या जानते हैं, पिज्जा का इतिहास.

पहली बार कब और कैसे ये दुनिया में आया और करोड़ों लोगों का फेवरेट बन गया. पिज्जा दुनिया की सबसे टेस्टी डिशेज में से एक माना जाता है.
उसके बाद तो पिज्जा के दीवाने हर तरफ फैल गए. पिज्जा आज के जमाने में हर इंसान का खास व्यंजन बन चुका है. आज लोगों के लिए पिज्जा खाना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि अब हर जगह पिज़्ज़ेरिया खुलने की वजह से लोग कभी भी खा सकते है.

पिज्जा का आविष्कार

पिज्जा का अविष्कार सबसे पहले इटली में हुआ था. सबसे पहला पिज्जा ब्रेड, खजूर, तेल और हर्ब्स को मिलाकर तैयार करके मिट्टी के ओवन में पकाया गया था.

मार्गरिटा पिज्जा

अट्ठारवीं सदी में पिज्जा नेपोलिस में काफी मशहूर हो गया था, जो लोग बड़े शहरों में रहते थे. उनके लिए पिज्जा एक सस्ता और आसानी से पकने वाला व्यंजन था, जिसकी वजह से लोग इसे काफी पसंद करने लगे थे.

ऐसा माना जाता है 18वीं शताब्दी में राजा अम्बर्टो 1 और रानी मार्गरिटा इटली के दौरे पर निकले थे, जहां राफेल एस्पोसिटो नाम के एक पिज्जा विक्रेता को बुलाया गया था. जिसने रानी मार्गरिटा के लिए एक खास पिज्जा बनाया, जिसमें टमाटर, चीज़ और बहुत सारी टॉपिंग का इस्तेमाल किया गया था.

रानी मार्गरिटा को वह पिज्जा इतना पसंद आया कि एस्पोसिटो ने बाद में उस पिज्जा को मार्गरिटा पिज्जा का नाम दे दिया गया.

इजिप्ट, इराक और रोमानिया के बाद पिज्जा स्पेन, इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका में भी काफी मशहूर हो गया था.

अमेरिका में द्वितीय विश्वट युद्ध के समय पिज्जा सबसे ज्यादा खाया जाने लगा खाना था, वहां के लिए पिज्जा अब कोई पारंपरिक व्यंजन नहीं रह गया था बल्कि फास्ट फूड में शामिल हो गया था.

गेनेरो लोम्बार्डीने सन 1905 में पहला पिज़्ज़ेरिया न्यूयॉर्कमें खोला था.

मरीनारा पिज्जा

मरीनारा पिज्जाको ला मरीनारापिज्जा के नाम से भी जाना जाता था. मार्गरिटा पिज्जा के बाद कोई पिज्जा दुनियाभर में मशहूर हुआ था तो वो मरीनारा पिज्जा था.

टमाटर, लहसुन, चीज़ और ऑरिगेनो को मिलाकर यह पिज्जा सबसे पहले सपनी अर्डस नाम के विक्रेता ने यूरोप में तैयार किया था. मरीनारा सॉस का नाम मारिनर्स सॉस से उत्त्पन हुआ था. 

Tuesday, 26 December 2017

इस साल इन सितारों की सजी डोली और बजी शहनाई



साल 2017 को खत्म होने में कुछ ही दिन बचे हैं. इस साल के खत्म होने से पहले एक बार फिर से उन हसीन लम्हों को लाए हैं. इस साल कई सेलिब्रिटी शादी के बंधन में बंध गए. कुछ स्टार्स ने पूरे शोर-शराबे के साथ तो कुछ ने चोरी-छिपे हाथों में मेहंदी और मांग में सिंदूर सजाया. इस साल इन फिल्मी सितारों ने की सजी डोली और चढ़े घोड़ी.  

अनुष्का शर्मा

साल की सबसे शॉकिंग और हार्ट ब्रेकिंग शादी रही विराट कोहली और अनुष्का की. ना जाने कितने दिल टूट गए. विराट और अनुष्का सबकी नजरों से दूर 11 दिसंबर को इटली जाकर शादी की, उसके बाद सोशल मीडिया के जरिए सारे फैंस को ये खुश खबरी दी.   

भारती सिंह

सबको गुदगुदाने वाली भारती और कॉमेडी शो के राइटर हर्ष लिम्बाचिया ने 3 दिसम्बर 2017 को गोवा में ग्रैंड वेडिंग 
रखी थी जहां, टीवी इंडस्ट्री की कई बड़ी हस्तियां शामिल थीं. हाल ही में दोनों की हनीमून तस्वीरें शेयर की थीं.

नील नितिन मुकेश

बॉलीवुड के मोस्ट हैंडसम नील ने भी शादी करके हजारों लड़कियों का दिल तोड़ दिया था. यह शादी 9 नवम्बर को हुई थी. रुकमणि के साथ नील की शादी अरेंज मैरिज थी.

सागरिका घाटगे

23 नवम्बर 2017 को अपने करीबी दोस्त और परिवार की मौजूदगी में सागरिका और जहीर खान ने शादी की.

सोफिया हयात  

24 अप्रैल को सोफिया ने अपने मंगेतर Vlad Stanescu से शादी की थी. Vlad रोमानिया के रहने वाले हैं और वो इंटीरियर डिजाइनर हैं. इस शादी में सोफिया के केवल करीबी शामिल हुए थे.

सामंथा रूथ प्रभु

वैसे तो कई शादियां हो चुकी हैं. लेकिन यह अब तक की सबसे महंगी शादी थी. सामंथा रूथ प्रभु शुक्रवार को साउथ के सुपरस्टार नागार्जुन के बेटे नागा चैतन्य के साथ 6 अक्टूबर को शादी की थी.
                                                                                                 मंदना करीमी

बिग बॉस फेम और एक्ट्रेस मंदना भी इस साल शादी के रिश्ते में बंध गए. गौरव गुप्ता को 2 साल डेट करने के बाद मंदाना ने 25 जनवरी 2017 में शादी की थी. ये शादी ज्यादा दिन तक चल नहीं सकी और अब उनके रास्ते अलग हो गए हैं.

पाओली डैम

फिल्म 'हेट स्टोरी' की लीड एक्ट्रेस पाओली ने बंगाली रीति-रिवाज से 4 दिसंबर को अपने बॉयफ्रेंड अर्जुन देब का हाथ थाम लिया था.

अमृता पुरी

अमृता ने अपने बॉयफ्रेंड इमरुन सेठी से बैंकॉक में 11 नवंबर को शादी की.

इलियाना डिक्रूज

इलियाना डीक्रूज की शादी की खबर से हर कोई सकते में है. उसी तरह इलियाना ने भी अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही शादी की है. हालांकि इस बात को भी इलियाना ने अपने फैंस के सामने अलग तरीके से रखा है. उन्‍होंने सीधे तौर पर अपनी शादी का खुलासा नहीं किया है.

मनमोहन सिंह ने दिया था सबसे लंबा बजट भाषण, ना हो यकीन तो पढ़ लो

आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला बजट पेश कर रही हैं. इससे पहले भी कई वित्त मंत्री आए और उन्होंने अपना बजट पेश किया है. लेकिन...