मैं कुछ तुझ जैसी,
तू कुछ मुझ जैसी,
तुझे देख कर मुझे लगा,
तेरा मुझसे है नाता पुराना,
पहले तू कुछ रूकी,
मैं कुछ ठिठकी...
जब एक मोड़ के मुसाफिर हुए,
तो हुईं बातें सबकी..
समय बीता हम हो गए
दांत काटी रोटी जैसे,
तू कुछ सोचे मैं कह दूं,
मैं बोलूं तू पूरी बात समझ ले..
सबको लगता हमें देखकर
हम हैं बहनें या तो पुरानी सहेली..
पर जब बातें होती मुस्कुरा देते दोनों
और कहते अभी कुछ दिन पहले थे अजनबी
अब बंध गए हैं अनोखे से रिश्ते में
मैं कुछ तुझ जैसी, तू कुछ मुझ जैसी..--- शिखा राजपूत
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