Sunday, 11 October 2015

बदलाव

"बदलाव " हम सभी के लिए जरूरी है,चाहे वो स्री ,पुरूष मौसम जानवर कोई  भी हो।बदलाव जीवन को सरल बनाता है।आज हम विज्ञान और प्रौघोगिकी के क्षेत्र में तो आगे  बढ़ गये हैं पर हम अपनी मूलभूत चीजों में अभी भी पिछड़े हुए है और निरंतर पिछड़ते जा रहे है।न तो बदलाव हुआ और नही विकास ।हम सभी को समान भाव से नही देखते खासतौर पर स्री और पुरूष  से संबधित किसी विषय पर। स्री पुरूष सभी प्रकार से समान है ।एक ओर तो पुरूषों को हमारे देश घर,परिवार में सभी कार्यों पर हक है वहीं  महिलाओं को समान अधिकार नही है क्योंकि उन्हे उनके मानवीय अधिकारो से दूर रखा जाता है। यही कारण है कि "आधी आबादी "आज भी पिछड़ी हुई है और दिन प्रतिदिन दुर्घटनाओं का शिकार हो रही है।
     लड़कियों को सदैव घर की वस्तु की तरह रखा जाता है ,उसे सदैव घर कार्यो मे कुशल रहने की सलाह दी जाती हैऔर सदैव उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है। उन्हे पता ही नही रहता कि सरकार ने उनकी सुविधाओं के लिए  कई योजनाएँ  बनाई हुई है।
      प्रतिदिन महिलाओं के साथ दुखद घटनाएँ घटित होती है जिसका  जिम्मेदार उन्हे ही ठहरा देते है।  जिससे वे स्वंय को लाचार और बेबस समझने लगती है वे पहले ही दुखी रह़ती है और इस तरह की बातों  से उनका  मनोबल टूट जाता है और वे अत्याचारों से लड़ने के बजाय उनके सामने घुटने टेक देती है जिससे उन पर निरंतर अत्याचार होते  रहते है।
  यदि हम अपनी बेटियों के भविष्य को अच्छा बनाना चाहते है तो उन्हे उनके अधिकारों से अवगत कराना  होगा और उनका  साथ देना होगा ।उनकी पढ़ाई पर ध्यान देना होगा जिससे वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहे और अपने पैरों पर खड़ी हो सके।शिक्षा के साथ उन्हे आत्मविश्वासी बनाये ताकि वे अपने अधिकारों को बखूबी प्रयोग कर सकें ।
  जिस तरह एक औरत पूरे परिवार को संभालती है यदि उसे अवसर मिलें तो वह अपने और दूसरों के लिए भी अच्छे कार्य कर सकती है। हमारे देश की कई महिलाओं ने हमारे देश का नाम अपनी उपलब्धियों से रौशन किया है। पी टी ऊषा  ,कल्पना चावला ,इंदिरा गांधी ,मदर टेरेसा आदि ने अपने कार्यों से दुनिया में अपना नाम इतिहास के पन्नों  में दर्ज करवाया है ।पीढ़ी दर पीढ़ी लोग इनका नाम याद रखेंगे ।
  यदि हम भी अपनी बेटियों को समान अधिकार और अवसर दें तो वे अपने कार्यों से खुद को और दुनिया को बदलने का जज्बा रखती है।जब भी  इन्हें मौका मिला है तब तब अपने कार्यों से सिद्ध  भी किया है।
हर महिला को जागरूक और अपने अधिकारों का स्मरण होना जरूरी है।कई क्षेत्रों में महिलाओं ने उल्लेखनीय कार्य किये है ।हर साल लड़कियों ने बोर्ड परीक्षा में बाजी मारी है।बिजनेस मे भी नये कीर्तिमान बना रही है।
  देश को सुचारु रूप से चलाने में महिलाओं की एक अहम भूमिका है।स्री  पुरूष गाड़ी के दो पहिए की तरह है एक भी पहिया पीछे छूटा तो संतुलन बिगड़ जाता है। इसलिए हमें सभी को समान अवसर देने चाहिए जिससे महिलाएं भी पुरूषों के साथ आगे बढ़े । घर के विकास के साथ देश के विकास मे भी सार्थक सिद्ध होंगी ।

डुनिथ वेल्लालेज खेल की सच्ची भावना की मिसाल

एशिया कप 2025 जहां निगेटिविटी और विवादों में घिरा रहा। वहीं, 22 वर्षीय डुनिथ वेल्लालेज ने खेल की सच्ची भावना सबके सामने पेश की। एक ओर सभी को...