Friday 10 February 2017

टेडी डे : रूठों को मनाएगा गोलू मोलू भालू

आज का दिन टेडी डे के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. टेडी बियर्स धरती पर दिए जाने वाले सबसे प्यारे तोहफे होते हैं. इनमें बचपन और  मासूमियत का एहसास होता है. टेडी किसी रूठे को मनाने के लिए दिए जा सकते हैं और किसी का दिल जीतने के लिए भी दिए जाते हैं.
लड़कियों को टेडी से बहुत प्यार होता है. अगर आप उनके पास प्यारु सा भालू लेके जाएंगे तो वह खुशी में पागल भी हो सकती हैं या नहीं भी हो सकती हैं.


Thursday 9 February 2017

चॉकलेट डे पर घोले प्यार की मिठास


मूड चाहे कैसा भी हो लेकिन चॉकलेट खाने के बाद मूड एकदम शानदार हो जाता है. इसी वजह से प्यार उत्सव के तीसरे दिन चॉकलेट डे मनाया जाता है. 

लड़के –लड़कियों बच्चों-बूढ़ों सभी को चॉकलेट पसंद होती है. लेकिन लड़कियों को चॉकलेट कुछ ज्यादा ही पसंद होती है.

चॉकलेट खाने के बाद खुशी का ठिकाना नहीं होता और लोग इसकी मिठास में डूब जाते हैं. 
अगर कुछ गिले-शिकवे होते हैं. लोग उन्हें भी भूल जाते हैं.

आजकल लोग चॉकलेट के साथ गिफ्ट्स भी देते हैं. मार्केट में अब तो हर मूड के हिसाब से चॉकलेट मिलती है जिनके अपने फायदे होते हैं. इसलिए अगर आप पार्टनर को चॉकलेट देने जा रहे हैं तो उसके मूड और सेहत के हिसाब से ही उसे चॉकलेट दें.


खासकर ये दिन कपल के लिए खास होता है. अगर लड़ाई हो गई हो तो चॉकलेट डे पर एक चॉकलेट से अपनी बाबू सोना को मना सकते हैं.

वेटिकन सिटी और भगवान शिव का सॉलिड कनेक्शन, तो ये ज़रूर पढ़ लो



दुनिया में कई धर्म और संस्कृति के लोग हैं. धर्म कोई भी हो लेकिन उसका उद्भव सनातन धर्म यानी हिन्दू धर्म से ही हुआ है. ऐसा इतिहासकारों का मानना है. इतिहासकार पी.एन.ओक के मुताबिक, सभी धर्मों की उत्पत्ति हिन्दू धर्म से हुई है. ओक ने कई दावों से यह सिद्ध भी किया है. ओक ने कई उदाहरण भी पेश किए हैं, जिनमें से रोम का वेटिकन सिटी भी एक है.
ओक ने कहा, ‘वेटिकन वास्तव में संस्कृत शब्द 'वाटिका' से आया है और ईसाई धर्म 'कृष्णा नीति' से आया है.

ईसाई धर्म से बहुत पहले ही वेटिकन यानी कि वैदिक केन्द्र जैसे शब्द का अस्तित्व था.

ओक का दावा है कि वेटिकन सिटी भगवान शिव के शिव लिंग के आकार का है. यह पहले शिव मंदिर था.


हिन्दूओं के पवित्र प्रतीक शिवलिंग और वेटिकन शहर के प्रांगण की रचना में हैरान करने वाली समानता है.

शिव के माथे पर तीन रेखाएं (त्रिपुंड) और एक बिन्दु होती है. ये रेखाएं शिवलिंग पर भी समान रूप से अंकित होती हैं.

जिन तीन रेखाओं और एक बिन्दु का जिक्र यहां कर रहे हैं वह पिआजा सेन पिएट्रो के रूप में वेटिकन शहर के डिजाइन में भी मौजूद है.
रोम के वेटिकन शहर में खुदाई के दौरान एक शिवलिंग मिला था, जिसे ग्रिगोरीअन एट्रुस्कैन म्यूजियम (Gregorian Etruscan Museum) में रखा गया है.

इन सब के अलावा इस्लाम और ईसाई के धर्म के लोग जिस आमीन को बोलते हैं. वह भी ब्रह्मांड के सुर ओमका ही एक रूप है.

यह दुनिया धर्म के एक मजबूत आधार पर खड़ी है. इस दुनिया में अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं, जिनकी मान्यताएं एक-दूसरे से पूरी तरह भिन्न है. लेकिन सभी धर्मों को कहीं न कहीं हिन्दू धर्म जोड़ता है. हिन्दू धर्म में देवों के देव महादेव का सर्वोच्च स्थान है. शिव से सारी दुनिया का सृजन हुआ है.  


Tuesday 7 February 2017

इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये...

‘इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये... ये गाना अक्सर ऑटो वाले भईया फुल वॉल्यूम में बजाते हैं. जैसे-जैसे गाना आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे ऑटो की स्पीड भी तेजी से बढ़ने लगती है. शायद उनको भी कोई पसंद होगा पर इश्क का इजहार न हो पाया होगा. इसलिए ऑटो में ज्ञान बांटते फिर रहे हैं. उनकी स्टोरी भी बड़ी कमाल की है. फिर कभी फुर्सत में लंबी प्रेम कहानी को शॉर्ट स्टोरी शेयर करूंगी.

मुद्दे पर आते हैं सीधी बात नो बकवास... प्यार उत्सव की अगली कड़ी में रोजवा देने के बाद प्रपोजवा डे यानी इश्क का इजहार करने का दिन है. आज भी कई आशिक स्थल इन प्यार के पंछियों से गुलजार होंगे. भाई और बहन लोग कार्ड सिलेक्शन कर लिए होंगे या कर रहे होंगे. बस अब कहने की बारी है.

प्यार हुआ है तो उसका इकरार भी होना चाहिए. आपका दिल चाहे कितना भी डर रहा हो अगर इस वैलेंटाइन डे अपने पार्टनर के साथ सेलिब्रेट करना है तो प्रपोज तो करना पड़ेगा भाया.

प्रपोज डे का इंतजार ये खास लोग बड़ी सिद्दत से करते हैं. भले ही इस 
चक्कर में सारे काम छूट जाएं लेकिन इंतजार करना नहीं छोड़ेगे. कुछ तो ऐसे हैं जो हर साल इस दिन का वेट करते हैं. पर कह कुछ नहीं पाते. दिल की बात अपने दिलदार से कहने में कैसी शर्म.

प्यार हुआ अब इकरार की बारी है. इश्क का रास्ता मुश्किल है लेकिन मंजिल मालूम हो तो सब चलता है.

NOTE:  प्यार इश्क और मोहब्बत तो ठीक है लेकिन उसका इजहार और इकरार से पहले ये जानना बहुत ही आवश्यक है कि बंदा या बंदी आप में इंटरेस्टेड है या नहीं... वरना भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है... डीप में 


‘गुलाब डे’ से होती ‘प्यार उत्सव’ की शुरुआत, जल्दी करें कहीं मौका कोई और न ले उड़े


आज से ‘प्यार उत्सव’ का श्री गणेश हो गया है. यह उत्सव आशिकों की लाइफ के सबसे हसीन दिनों में से एक होता है. लेकिन समाज के ठेकेदारों को इस 8 दिन के उत्सव में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. खैर इनका क्या कर सकते ये ठेकेदार अपना काम कर रहे हैं और इस लाइलाज रोग के मरीज इस भागदौड़ भरी लाइफ में भी अपना काम करने में बिजी रहते हैं.
इस उत्सव की शुरुआत रोज डे यानी गुलाब दिन से होती है. 

स्कूल से लेकर कॉलेज की कैंटीन में, कालोनी के पार्क से लेकर बड़े-बड़े आशिक स्थलों तक, गली के नुक्कड़ से लेकर कूड़े और पान मसाला से सराबोर सड़कों पर ये प्यार के पंछी फड़फड़ाते नजर आ ही जाएंगे.

छोटी दुकान से लेकर बड़ी शॉप में आज गुलाबों की बहार है. मार्केट से लेकर फेसबुक की टाइमलाइन तक हर जगह बस गुलाब ही गुलाब नजर आ रहा है.

इस प्यार की नवइय्या को पार लगाने का काम करता है, ये छोटू सा प्यारा सा गुलाब. लोग आज के दिन अपने प्यारे या प्यारी को रोज देकर अपनी फीलिंग्स का इजहार करते हैं. साथ ही जो इस नाव पर पहले से सवार हैं रोजवा देकर अपने रिश्ते को और स्ट्रांग बनाते हैं. गुलाब के साथ अपने बाबू, सोना को गिफ्ट्स और चॉकलेट देकर इजहार करते हैं.

गुलाब डे पर दो तरह के काम किए जाते एक तो प्यार का इजहार, जिसे लाल गुलाब देकर और दूसरा अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकते तो पीला गुलाब देकर दोस्ती कर लेते हैं.

‘कुछ नहीं से कुछ तो’ ऐसा कई प्यार में बीमार लोग सोचते हैं. प्यार नहीं तो उससे दोस्ती का ही सहारा मिल जाए. इस सिचुएशन में इस तरह सोचने वालों को बस ये गाना डाउनलोड कर सुन लेना चाहिए. गाने के बोल इस प्रकार हैं- ‘जब प्यार किया तो डरना क्या प्यार किया कोई चोरी नहीं तो छुप आहें भरना क्या.’

आहें भर भी रहें हैं तो हम क्या कर सकते हैं. बस यही कह सकती हूँ ‘देर न हो जाए कहीं देर न हो जाए, कोई और उसे रोज न दे जाए.’  

NOTE : देर मत करिए क्योंकि आज के दिन कोई और भी आपके बाबू, सोना पर चील की नजर रखे हुए होगा, जो सिर्फ एक गुलाब देने का मौका तलाश कर रहा होगा.
ये तो थी रोज डे की बात अब अगले प्रोग्राम यानी डे के लिए कल तक सब्र चाटना पड़ेगा.

प्यार उत्सव की प्यारी लिस्ट

07 फरवरी रोज डे
08 फरवरी प्रपोज डे
09 फरवरी चॉकलेट डे
10 फरवरी  टैडी डे
11 फरवरी  प्रॉमिस डे
12 फरवरी  हग डे
13 फरवरी  किस डे

14 फरवरी  वेलेंटाइन डे

Wednesday 1 February 2017

ब्रह्मा जी की सर्जना में आया ट्विस्ट जब ‘वाणी की देवी’ ने की एंट्री


बसंत ऋतु की एंट्री होते ही प्रकृति में नई चेतना और उमंग भर जाती है. इंसान से लेकर पशु-पक्षी भी एक्साइटेड हो जाते हैं. हर दिन नयी उम्मीदों वाली आशा का सूर्योदय होता है. अगले दिन फिर नई उमंग के साथ शानदार एंट्री करता है. वैसे तो माघ का पूरा महीना स्पेशल एनर्जी देता है. लेकिन बसंत पंचमी का पर्व कण-कण में उत्साह भर देता है. प्राचीनकाल से इस दिन को ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती के हैप्पी बर्थडे के रूप में मनाया जाता है. आज के दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं.

जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू और बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है. चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं.

बसंत पंचमी की पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में मनायी जाती है. इस दिन पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं.
प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें बसंत लोगों का फेवरेट मौसम था. इस मौसम में बागों में, खेतों मे सरसों का सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता.

इस ऋतु का वेलकम करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था, इस दिन विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह बसंत पंचमी का कहलाता था.

बसंत पंचमी की स्टोरी

जग के पालनहार विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों और खासतौर पर मनुष्य की रचना की. अपनी बनाई गई रचना से ब्रह्मा जी खुश नहीं थे. उन्हें कुछ कमी लग रही थी तो क्या. पालनहार से परमीशन लेकर ब्रह्मा जी ने कमण्डल से जल छिड़का. जल छिड़कने के बाद कहानी में आया ट्विस्ट और पृथ्वी में कम्पन होने लगा.

वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई. यह शक्ति कोई और नहीं बल्कि चतुर्भुजी सुंदर स्त्री थी, जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था. अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी.

ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने की रिक्वेस्ट की. जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई. जलधारा में कोलाहल, पवन चलने से सरसराहट होने लगी. तब ब्रह्मा ने उन्हें वाणी की देवी सरस्वती कहा.

देवी सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है. ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं.

ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-

प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।

ये परम चेतना हैं. सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं. हममें जो आचार और मेधा है, उसका आधार सरस्वती ही हैं. इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है.
शास्त्रों के अनुसार, श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी.

बसंत पंचमी का पौराणिक महत्व

त्रेता युग में जब रावण ने सीता माता का किडनैप किया. उसके बाद प्रभु श्रीराम ने माता की खोज में दक्षिण की ओर बढ़े. इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें से एक दंडकारण्य भी था. यहीं शबरी ने राम की भक्ति में लीन होकर उन्हें चख-चखकर मीठे बेर खिलाये. दंडकारण्य का गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है. गुजरात के डांग जिले में शबरी मां का आश्रम था. वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे. आज भी लोग उस शिला को पूजते हैं, जिस पर श्रीराम आकर बैठे थे. शबरी माता का मंदिर भी है.


लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल

  कलयुग के आखिरी दिन तक श्री राम का जाप करते हुए बजरंगबली इसी धरती पर मौजूद रहेंगे। ऐसा हमारे ग्रंथों और पौराणिक कहानियों में लिखा है। लखनऊ ...