Friday 28 June 2019

पिता का जूता बड़ा होकर बना बैट, जानिए कैलाश विजयवर्गीय का जूता कांड



वो कहते हैं ना इतिहास अपने आप को दोहराता है. या बाप की आदतें बच्चे में होती हैं. इसका जीता जागता उदाहरण हाल ही में सबने देखा होगा और इस पर काफी बातें भी की होंगी. हम बात कर रहे हैं बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय की, जिनका जूता कांड पुराना जरूर है लेकिन बेटे आकाश विजयवर्गीय की वजह से एक बार फिर चर्चा में है.

पिता की तरह आकाश विजयवर्गीय भी इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं. फिलहाल आकाश जेल की हवा खा रहे हैं. बीते दिनों इंदौर में नगर निगम के कर्मचारियों की बल्ले से पिटाई की, जिसका वीडियो और तस्वीरें काफी वायरल हो चुकी हैं.

इस कांड के कुछ घंटे बाद ही विधायक आकाश विजयवर्गीय को गिरफ्तार कर लिया गया था. कोर्ट ने आकाश विजयवर्गीय की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है.


आकाश की इस हरकत पर कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ा ही अजीब बयान दिया, जिसकी किसी ने आलोचना तो किसी ने समर्थन किया. कैलाश विजयवर्गीय कहा कि आकाश शांत स्वभाव के हैं. उन्हें गुस्सा आया है, इसका मतलब है कि किसी गरीब के साथ अन्याय हुआ है.

अब बात करते हैं कैलाश विजयवर्गीय की. बात कुछ 24-25 साल पुरानी है जब कैलाश इंदौर शहर के महापौर हुआ करते थे. साल 1994 में उन्होंने किसी बात पर गुस्सा आ गया और कैलाश ने जूता उतार के हाथ में ले लिया और पुलिस अधिकारी (सीएसपी) प्रमोद फडनीकर पर जूता तान दिया.


दरअसल, पानी की समस्या को लेकर कैलाश विजयवर्गीय बस्तीवासियों के साथ निगमायुक्त निवास पर प्रदर्शन करने पहुंचे थे. इस हरकत के बाद पुलिस उन्हें टांगाटोली कर थाने ले गई थी.

जूता कांड के बात राजनीति के समंदर में ज्वार-भाटा आना तो लाजमी था. राजनीति काफी गरमा गई थी. उस समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हुआ करते थे.

Wednesday 26 June 2019

फिर मना लीजिए अफसोस, शरणार्थी पिता-पुत्री की नदी के किनारे मिली है लाश



हाल ही में विश्व शरणार्थी दिवस को पूरी दुनिया ने सेलिब्रेट किया है. 
शरणार्थियों को सुरक्षा और अपनेपन का भरोसा दिलाने के हर कारगर प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन एक बार फिर शरणार्थियों के साथ होने वाले गलत व्यवहार की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. 

ऐसा ही कुछ चार साल पहले भी हुआ था, जब तीन साल के सीरियाई बच्चे एलन कुर्दी के शव को देखकर पूरी दुनिया ने अफसोस जताया था. मामला कुछ-कुछ वैसा ही बस जगह बदल गई है. 

लोगों को एक बार फिर अफसोस जाहिर करने का मौका मिल गया है. दक्षिणी अमेरिका और उत्तरी मैक्सिको में बहने वाली नदी रियो ग्रैंड के किनारे मैक्सिको के ऑस्कर अल्बर्टो मार्टिनेज रैमिरेज (25) और उनकी 23 महीने की बेटी वलेरिया का शव नदी के किनारे मिला है. खबरों के अनुसार, रविवार के दिन बाप अपनी बेटी को पीठ पर लाद नदी तैरकर पार कर रहा था, लेकिन दोनों डूब गए, उनका शव रियो ग्रैंड नदी के किनारे औंधे मुंह पड़ा हुआ मिला. 


यह तस्‍वीर फोटो जर्नलिस्‍ट जूलिया ली डक ने ली है.अमेरिका की डोनाल्‍ड ट्रंप सरकार ने सीमा को लेकर नीतियों को बहुत अधिक सख्त कर दिया है. लिहाजा, बेहतर जिंदगी की तलाश में शरणार्थी सीमा पार करने के लिए और खतरनाक रास्ते तलाशने के लिए मजबूर हैं.

वैसे भी कहा जाता है कि एक तस्वीर हजारों शब्दों के बराबर होती है. तस्वीर देखकर किसी की आंखों में आंसू आना लाजमी है. 23 महीने की बेटी का सिर बाप की टी-शर्ट में है. उसका एक हाथ पिता की गर्दन के पास है. 

शायद बाप को डर होगा कि उसकी बेटी कहीं पानी के बहाव में बह ना जाए. बाप कुछ भी करके अपनी बेटी को खोना नहीं चाहता, परिस्थितियों ने साथ तो दिया लेकिन जीने का नहीं साथ मरने का. 

वैसे भी कहा जाता है कि एक तस्वीर हजारों शब्दों के बराबर होती है. लेकिन ये तस्वीर कई पन्ने भरने के बाद भी अधूरी रह जाएगी, ना जाने कितनी ख्वाहिशें, दर्द, प्यार सब बह गया और रह गया बस नदी के किनारे औंधी दो लाशें.

Monday 24 June 2019

टूट गया बुआ-बबुआ का रिश्ता, इन पार्टियों के गठबंधन को भी दे चुकी हैं जोर का झटका



बसपा सुप्रीमो ने सपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया है और उन्होंने ऐलान किया है कि वह अकेले ही विपक्षी पार्टियों से लोहा लेंगी. सपा-बसपा गठबंधन की बात करें तो मायावती ने 24 साल पुरानी दुश्मनी पर मिट्टी डालकर दोस्ती का हाथ बढ़ाकर एक-दूसरे के साथी बने थे, लेकिन ये साथ लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही कमजोर पड़ गया और आखिरकार बुआ-भतीजे का रिश्ता बरकरार नहीं रह पाया और गठबंधन टूट गया.
बीते रविवार को मायावती ने भतीजे अखिलेश यादव के लिए अलग ही रुख अपनाया और जमकर हमला बोला. सपा ऐसी पहली पार्टी नहीं है, जिसके साथ मायावती ने गठबंधन किया और बाद में खटास आई. आइए जानते हैं ऐसी पार्टियों के बारे में.

गठबंधन और पार्टियां

सपा से तोड़ा नाता

शुरू से शुरू करें तो बसपा की नींव 1984 रखी गई. 1993 में पहली बार गठबंधन का स्वाद चखा. बसपा ने मुलायम सिंह यादव की सपा के साथ मिलकर 1993 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव लड़ा. सपा 256 सीटों पर चुनाव लड़कर 109 पर जीत दर्ज की, वहीं बसपा 164 सीट पर लड़ी और 67 सीटें जीतीं. नतीजों के बाद मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने. मायावती 1 जून 1995 को वो मुलायम सरकार से समर्थन वापस लेने की तैयारी करने लगीं. इसके बाद ही 2 जून को लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड हुआ, जिसके बाद सपा-बसपा के रास्ते अलग हो गए.


बीजेपी से तोड़ा नाता

गेस्ट हाउस कांड के बाद 3 जून 1995 को मायावती ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बनी. मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती ने बीजेपी नेता पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर हमला बोला. लगातार टारगेट होने के चलते बीजेपी ने बसपा सरकार से 17 अक्टूबर 1995 को समर्थन वापस ले लिया.


कांग्रेस गठबंधन
1996 में बसपा ने कांग्रेस का हाथ थामा. लेकिन विधानसभा चुनाव में इसका कोई फायदा नहीं मिला और मायावती ने गठबंधन तोड़ दिया. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने से सरकार नहीं बनी और राष्ट्रपति शासन लग गया.

भाजपा से फिर मिलाया हाथ

बसपा ने 1997 में बीजेपी के साथ एक बार फिर हाथ मिलाया. इसके लिए दोनों पार्टियों के बीच 6-6 महीने के सीएम फॉर्मूले पर सहमति बनाई. लेकिन मायावती ने कल्याण सिंह को बतौर सीएम एक महीने भी काम करने नहीं दिया और 10 अक्टूबर 1997 को बसपा ने कल्याण सिंह सरकार से सर्मथन वापस ले लिया.


बीजेपी से नाता तोड़ा

2002 में विधानसभा चुनाव में बसपा और बीजेपी दोनों पार्टियों के बीच ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले पर सरकार बनाने के लिए सहमति हुई. मायावती मुख्यमंत्री बनीं और 1 साल 117 दिन की सरकार चलाने के बाद इस्तीफा दे दिया. इस तरह बीजेपी से एक बार फिर गठबंधन टूट गया.


जेडीएस गठबंधन

2018 में कर्नाटक में बसपा ने जेडीएस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और एक विधायक जीतने में सफल रही. ऐसा माना जा रहा था बसपा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी, लेकिन मायावती ने गठबंधन नहीं करने का ऐलान किया.


2018 में छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी के साथ बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था. नतीजे के बाद मायावती ने जोगी के साथ गठबंधन तोड़ लिया.

Thursday 20 June 2019

जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व शरणार्थी दिवस, इतिहास और महत्व है काफी रोचक




20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस’ (World Refugee Day) के तौर पर मनाया जाता है. दुनिया भर में शरणार्थियों की मदद और उनकी स्थिति के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इसे मनाया जाता है. इस बार रिफ्यूजी डे की थीम ‘#StepWithRefugees’  है. वर्ल्ड रिफ्यूजी डेमनाने का मुख्य उद्देश्य शरणार्थी के साहस, शक्ति और संकल्प के प्रति सम्मान व्यक्त करना है.
इसलिए मनाया जाता है वर्ल्ड रिफ्यूजी डे
हर साल बड़ी संख्या में लोग पलायन करते हैं. प्रताड़ना, संघर्ष और हिंसा झेलने के बाद अपना देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ता है. इन शरणार्थियों को कई देशों में उन्हें पनाह मिलती. वहीं कई देशों से बाहर भी कर दिया जाता है.
वर्ल्ड रिफ्यूजी डे की शुरुआत
20 जून को वर्ल्ड रिफ्यूजी डे के तौर पर मनाया जाता है. 4 जून 2000 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मनाने की घोषणा की. इसे मनाने के लिए 17 जून तारीख तय की गई.
2001 में संयुक्त राष्ट्र ने पाया कि इस वर्ष 1951 के शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित कन्वेंशन (1951 Convention relating to the Status of Refugees) के 50 साल पूरे होंगे, जिसके बाद यह दिन 17 की बजाय 20 जून को मनाया जाने लगा.
हर साल म्यांमार, लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान, मलेशिया, यूनान और अफ्रीकी देशों के लाखों नागरिक दूसरे देशों में शरणार्थी के रूप में शरण लेते हैं. संयुक्त राष्ट्र की संस्था युएनएचसीआर (UNHCR) रिफ्यूजी लोगों की सहायता करती है.

Wednesday 19 June 2019

भारत की शरण में विश्व के एकमात्र निर्वासित प्रधानमंत्री हैं लोबसांग सांगे



लोगों का अपने देश से पलायन करना एक ज्वलंत समस्या है. हर साल कितने ही लोगों को अपने देश, घर और मिट्टी से अलग होना पड़ता है. उन्हें अपना देश छोड़कर किसी और देश की शरण में जाना पड़ता है. आम लोगों को तो इस दर्द से गुजरना पड़ता है. लेकिन एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें अपना देश छोड़कर भारत की शरण लेनी पड़ी.
ये प्रधानमंत्री अपने देश से करीब 405 किलोमीटर दूर भारत में रहते हैं. इनका नाम है लोबसांग सांगे (Lobsang Sangay) है, जो निर्वासित तिब्बती हैं.
लोबसांग के बारे में
लोबसांग सांगे जन्म से भारतीय हैं और उनके पास अमेरिका की नागरिकता भी है. सांगे केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रधानमंत्री हैं.
दुनिया भर में शरणार्थी का जीवन जी रहे तिब्बतियों ने तिब्बती राजनेता और धर्मगुरु दलाई लामा के संन्यास के बाद 2011 में सांगे को पहली बार प्रधानमंत्री चुना.
सांगे 2016 में दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए.
सांगे ने 28 फरवरी, 2016 को तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
चीन-भारत सहित दुनिया का कोई देश सांगे को प्रधानमंत्री नहीं मानता.
60 साल पहले 1959 में दलाई लामा के नेतृत्व में डेढ़ लाख तिब्बती तिब्बत छोड़कर भारत आ गए और आज भी वे अपने देश नहीं लौट सके हैं. तिब्बती भारत में रहकर निर्वासित सरकार चला रहे हैं.



Wednesday 12 June 2019

अलीगढ़ केस: देर से जागीं स्वरा भास्कर, लोगों ने ट्विटर पर लगाई क्लास



 ट्रोलिंग और बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर को चोली दामन का साथ है. मुद्दा कोई भी हो स्वरा अपनी बेबाक राय ट्वीट करने में जरा भी देर नहीं करती हैं. आसिफा रेप केस हो या मीटू से ऐसे ना जाने कैसे मुद्दों पर अपनी बात कही. लेकिन इस बार स्वरा ने देर कर दी, जिसकी वजह से वह एक बार फिर ट्रोल हो गईं.

दरअसल, अलीगढ़ में हुई दो साल की गुड़िया की हत्या से पूरे देश में रोष है. कोई सरकार तो कोई प्रशासन को दोष दे रहा है. बॉलीवुड के कई सेलिब्रिटी ने इस पर गुस्सा जताया है. स्वरा ने भी ट्वीट कर अपना गुस्सा जाहिर किया तो लोगों ने भी अपना गुस्सा ट्रोल कर बयां किया.

स्वरा का ट्वीट

अभी एक ब्रेक के बाद रूस के लौटी हूं. सोशल मीडिया से भी ब्रेक लिया था. अलीगढ़ खबर भयानक है. 2 साल की बच्ची की नृशंस हत्या, विनाशकारी. हत्यारों को दंडित किया जाना चाहिए. एक मिसाल सेट की जानी चाहिए ताकि इस तरह के अपराध को दोहराया ना जाए. मेरी सहानुभूति और परिवार को सहायता.

स्वरा के ट्वीट करते ही लोगों ने नाराजगी जाहिर कर दी.
एक ने लिखा- यहां भी एक्टिंग. रूस में इंटरनेट नहीं चल रहा था क्या और अपनी तस्वीरें पोस्ट करने के लिए तो तुम खूब ट्वीट कर रही थी.
एक यूजर ने स्वरा से ट्वीट कर पूछा- इस बार आप शर्मिंदा नहीं हुई?
एक यूजर ने लिखा- धर्म देख कर रिएक्शन शर्मनाक है. ऐसे लोग देश, समाज के लिए दुर्भाग्य हैं.
ऐसे ना जानें कितने ट्वीट लोगों ने किए तो सिर्फ टीजर है.

अलीगढ़ मामला

अलीगढ़ ज़िले की टप्पल तहसील में एक ढाई साल की बच्ची की हत्या कर उसके क्षत-विक्षत शव को कूड़े में फेंक दिया गया था. उसके जिस्म पर तेजाब भी डाला गया था. बच्ची 30 मई से लापता थी. 2 जून को बच्ची का शव बरामद हुआ. आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं.

लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल

  कलयुग के आखिरी दिन तक श्री राम का जाप करते हुए बजरंगबली इसी धरती पर मौजूद रहेंगे। ऐसा हमारे ग्रंथों और पौराणिक कहानियों में लिखा है। लखनऊ ...