Friday 19 October 2018

विस्फोटक बल्लेबाज सहवाग का आज है जन्मदिन, रिकॉर्ड ने बनाया मुल्तान का सुल्तान





इंटरनेशनल क्रिकेट में धाक जमाने वाले वीरेंद्र सहवाग का आज हैप्पी बर्थडे है. 20 अक्टूबर 1978 को जन्मे वीरू ने क्रिकेट की दुनिया में कई झंडे गाड़े, जो आज भी मस्त होकर लहरा रहे हैं. भले ही सहवाग के विस्फोटक शॉट्स क्रिकेट मैदान में देखने को मिलें, लेकिन वीरू अपने ट्वीट से सबको हिट करते रहते हैं.

सहवाग ने पहला वनडे 1999 में और पहला टेस्ट मैच 2001 में खेला. क्रिकेट की दुनिया में कदम रखने के बाद सहवाग को कई नामों से बुलाया जाने लगा. वीरू के फैंस उन्हें मुल्तान का सुल्तान, नफजगढ़ का सुल्तान के नामों से बुलाते हैं. सहवाग ने अपने करियर में कई रिकॉर्ड बनाए और तोड़े हैं. वीरू ने आखिरी मैच मार्च 2013 में खेला था. 

वीरू के सदाबहार करियर पर नजर डाली जाए तो 104 टेस्ट और 251 वनडे मैच खेले. सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में 47.34 के औसत और 82.34 के स्ट्राइक रेट से 8586 रनों के साथ ही वनडे क्रिकेट में 35.05 की औसत और 104.33 के धमाकेदार स्ट्राइक रेट से 8273 रन जोड़े.

वैसे तो वीरू ने कई विस्फोटक रिकॉर्ड बनाए हैं. लेकिन इन रिकॉर्ड का जिक्र ना हो तो बेइमानी होगी वीरू के फैंस से.
दो तिहरे शतकों के लिए आज भी याद किया जाता है वे अकेले ऐसे भारतीय क्रिकेटर हैं, जिनके नाम यह रिकॉर्ड दर्ज है. दुनिया में केवल चार ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने अपने करियर में दो-दो तिहरे शतक जड़े हैं.

सहवाग ने एक तिहरा शतक 28 मार्च 2004 को को पाकिस्तान के मुल्तान टेस्ट के दौरान जड़ा था, जिसने उन्हें मुल्तान का सुल्तानबना दिया था. इस तिहरे शतक में सहवाग ने 309 रनों की पारी खेली थी.

इसके अलावा 2008 में सहवाग ने जो तिहरा शतक जड़ा था, उसमें उन्होंने 319 रनों की पारी खेली थी.  2008 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चेन्नई के एम चिदंबरम स्टेडियम में सहवाग ने 319 रनों की पारी में 42 चौके और 5 छक्के लगाए थे.


Thursday 18 October 2018

लंकापति रावण से बड़ा विलेन कोई नहीं, लेकिन ये अच्छाइयां जरुर जाननी चाहिए




लंकापति रावण इस धरती पर लंकापति रावण से बड़ा विलेन कोई नहीं है. हमेशा से हम यही सुनते आ रहे हैं कि राम ने रावण का वध करके सत्य पर असत्य की विजय पताका लहराई. भले ही रावण ने सीता माता का अपहरण करने जैसा जघन्य अपराध किया हो लेकिन उसके जैसा महाज्ञानी कोई नहीं था. रावण के ज्ञान के आगे देवता भी नतमस्तक हो गए थे. रावण के बारे में ये खास बातें बताती हैं कि उनके जैसा महाज्ञानी पुरुष पैदा नहीं हुआ.

वेद और संस्कृत का ज्ञाता

रावण को वेद और संस्कृत का ज्ञान था. रावण ने शिवतांडव, युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की. साम वेद के साथ बाकी तीनों वेदों का भी उसे ज्ञान था. वह पदपथ में दक्ष था. यह वेदों को पढ़नेका तरीका है.

ज्ञान का भंडार रावण

युद्ध में हारने के बाद जब रावण अपनी अंतिम सांसें ले रहे थे, तब राम ने लक्ष्मण को रावण से ज्ञान लेने  को कहा. रावण ने लक्ष्मण से कहा कि अगर आपको अपने गुरू से ज्ञान प्राप्त करना है तो हमेशा उनके चरणों में बैठना चाहिए. ऐसा आज भी हो रहा है. गुरु बिना ज्ञान अधूरा है.

स्त्री रोगविज्ञान और बाल चिकित्सा विशेषज्ञ

रावण ने स्त्री रोगविज्ञान और बाल चिकित्सा पर कई किताबें लिखी थीं. इन किताबों में 100 से अधिक बीमारियों का इला लिखा हुआ है. इन किताबों की रचना रावण ने पत्नी मंदोदरी के कहने पर की थी.

आयुर्वेद का ज्ञान

रावण को आयुर्वेद में महारत हासिल थी. उसने आयुर्वेद पर एक किताब लिखी थी. इस किताबी का नाम अर्क प्रकाश है. इसमें  आयुर्वेद से जुड़ी कई जानकारियां हैं. आज भी आँखों की बीमारी से बचाने के लिए दवाएं बनाई जा रही हैं, जो रावण के नुस्खे पर आधारित है.

संगीत का भी ज्ञान

रूद्र वीणा बजाने में रावण को कोई भी हरा नहीं सकता था. जब भी रावण का मन खिन्न होता था वह खुद को खुश करने के लिए इसे बजाता था.

रावण ने राम की मदद की

रावण ने राम की मदद युद्ध में की थी. जब श्री राम को युद्ध से पहले पुल बनाना था. तब उन्हें यज्ञ करना था लेकिन कहानी में ट्विस्ट ये था कि युद्ध तभी सफल होगा जब माता सीता यज्ञ में साथ बैठेंगी. यज्ञ को सफल बनाने के लिए रावण माँ सीता को लेकर आए थे. इसके बाद रावण ने राम को विजयी भव होने का आशीर्वाद दिया था.

कविताएं लिखने में निपुण

रावण युद्ध विद्या में पारंगत होने के साथ एक अच्छा कवि भी था. कई कविताओं और श्लोकों की रचनाएं थी. रावण ने ही शिवतांडव की रचना की थी. रावण महादेव का परम भक्त था. ने भगवान शिव को खुश करने के लिए कई रचनाओं का निर्माण किया.

रावण नहीं था दस सिर वाला

रावण को दस सिरों वाला कहा जाता है. दशहरे में भी दस सिर वाले पुतले को जलाया जाता है. लेकिन उनके दस सिर नहीं थे. रावण के अंदर दस सिर जितना दिमाग था. यही कारण था कि रावण को दशानन कहा गया. साथ ही रावण जब छोटे थे तब उनकी मां ने उन्हें 9 मोतियों वाला हार पहनाया था. उस हार में रावण के चेहरे की छाया दिखती थी.

रावण की बेटी थी सीता

रामायण भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी ग्रंथ की तरह अपनाई गई है. थाइलैंड की रामायण के मुताबिक, सीता रावण की बेटी थी, जिसे एक भविष्यवाणी के बाद रावण ने जमीन में दफन कर दिया था. भविष्यवाणी में कहा गया था कि यही लड़की तेरी मौत का कारण बनेगी’. उसके बाद माता सीता जनक को मिलीं. रावण ने कभी भी देवी सीता के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया.

ग्रह नक्षत्रों को बंदी बनाकर रखा

रावण ने इंसानों ही नहीं ग्रहों पर भी अपना आधिपत्य कर लिया था. मेघनाथ के जन्म से पहले रावण ने ग्रह नक्षत्रों को अपने हिसाब से सजा लिया था, जिससे होने वाला पुत्र अमर हो जाए. लेकिन आखिरी समय में शनि ने अपनी चाल बदल ली थी. रावण ने शनि को  अपने पास बंदी बनाकर रखा हुआ था.

Sunday 14 October 2018

मिसाइल मैन की लाइफ देती है सफलता की ऊंचाइयों को छूने की प्रेरणा




भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का आज जन्मदिन है. 15 अक्टूबर 1931 को जन्मे कलाम साहब की शख्सियत बेहद शानदार, जानदार और जबरदस्त थी, जिससे आज भी लोग मोटिवेट होते हैं. लोगों की मदद के लिए वे हमेशा तैयार रहते थे. कलाम ने अपने जीवन में कई कार्य किए.



'अग्नि' मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक कलाम साल 2002 में हमारे देश के 11 वें राष्ट्रपति बने. पांच साल पूरे होने के बाद वह शिक्षा और सार्वजनिक सेवा में लौट आए थे. 1962 में कलाम इसरो पहुंचे. कलाम ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते हुए भारत का अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया. 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया. कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया.



कलाम एक मछुआरे के बेटे थे और जीवन का शुरुआती सफर में अखबार बेचते थे. मेहनत और लगन से वह देश के मशहूर वैज्ञानिक, राष्ट्रपति बने. वह हमेशा युवाओं में नया करने का जोश भरते रहे. आज भी लोग उनकी किताबों को पढ़कर जिंदगी की बारीकियों को सीख रहे हैं. उन्होंन लगभग दो दर्जन किताबें लिखी हैं.  
कलाम का जीवन सभी को प्रेरणा देते है कि कितनी भी मुश्किलें आए. लेकिन लगातार कोशिशें और संघर्ष इंसान को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा देता है.



27 जुलाई, 2015 को कलाम आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर देने गए थे और इसी दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था.

लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल

  कलयुग के आखिरी दिन तक श्री राम का जाप करते हुए बजरंगबली इसी धरती पर मौजूद रहेंगे। ऐसा हमारे ग्रंथों और पौराणिक कहानियों में लिखा है। लखनऊ ...