Tuesday 20 December 2016

फ्रेडी ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया नाम

इस दुनिया में अजीबोगरीब चीजें देखने को मिलती हैं, जिन्हें देखकर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है. इंग्लैंड के इसेक्स में फ्रेडी नाम के डॉग अपनी ऊंचाई के कारण पूरी दुनिया में फेमस हो गया है.
फ्रेडी की ऊंचाई 7 फीट 6 इंच है, जो किसी औसत इंसान से ज्यादा है. 
फ्रेडी ने अपना नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है. ग्रेट डैन नस्ल के डॉग को दुनिया का सबसे बड़ा जीवित डॉग माना गया है.
फ्रेडी अब ऑफिशियल दुनिया का सबसे ऊँचा डॉग है. इसका वजन 92 किलोग्राम है. चार साल के फ्रेडी का पसंदीदा खाना रोस्ट चिकन और पीनट बटर टोस्ट है. वह कभी जमीन पर नहीं बैठता. क्योंकि उसे सोफे पर बैठने की आदत हो गई है. अब तक वह 23 सोफे़ खराब कर चुका है.
फॉर्मर ग्लैमर मॉडल क्लेयर स्टोनमैन फ्रेडी की मालिक हैं, जो उसकी और उसकी बहन फ्लयूर की पूरी देखभाल करती हैं. क्लेयर को डॉग्स पसंद हैं. स्टोनमैन के मुताबिक, ‘मुझे कोई बच्चा नहीं है. इसलिए मैं इन्हें अपने बच्चों की तरह पालती हूं. ये मेरे बच्चे हैं.’

हर साल फ्रेडी की देखरेख में लगभग 10 लाख से भी ज्यादा खर्च होता है.

Friday 16 December 2016

हर साल बरसी मनाने से नहीं आएगा बदलाव



16 दिसंबर 2012 को दिल वालों की दिल्ली ही नहीं पूरा देश शर्मसार हुआ था. इस सर्द रात में चलती बस में एक लड़की के साथ रेप की दिल दहलाने वाली घटना को अंजाम दिया गया. रेप और मारपीट के बाद उसे और उसके दोस्त को सड़क पर मरने के लिए फेंक दिया गया. घटना के 11 दिनों के बाद निर्भया की मौत हो गई. उन छह आरोपियों के खिलाफ केस चला. इस घटना को आज चार साल हो गए हैं. लेकिन इन चार सालों में अनगिनत लड़कियों के साथ रेप की घटनाएं हुई हैं. इन चार सालों में आज भी निर्भया को इंसाफ की गुहार है.
इस घटना के बाद सारा देश निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए एकजुट हो गया. निर्भया' के सपोर्ट में लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किए ताकि अपराधियों को फांसी हो सके. इंडिया गेट पर बूढ़े से लेकर बेफिक्रे यंगस्टर ने भी जिम्मेदारी के साथ इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया, ताकि निर्भया को इंसाफ मिल सके.
ठंड में पुलिस की लाठियों के साथ ठंडे पानी की बौछार ने भी लोगों का गुस्सा ठंडा नहीं पड़ने दिया.

हर साल बरसी मनाने से नहीं मिलेगा निर्भया को इंसाफ

निर्भया का परिवार अपनी बेटी को न्याय दिलाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन शायद समय के साथ निर्भया को भूलते जा रहे हैं. केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को अपनी खींचतान को किनारे रखते हुए इस मुद्दे और महिलाओं की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है. हर साल बरसी मनाकर या निर्भया को याद करके कैंडिल मार्च करने से बात नहीं बनने वाली.  
जब इंसाफ के इंतजार में निर्भया की मां आशा देवी ने अपना दर्द बयां किया. तो लगा समय की धूल की परत लोगों के दिमाग पर चढ़ गई है. जिस कारण माँ ये कहना पड़ा. उन्होंने कहा, 'चार साल हो गए लेकिन अभी तक मेरी बेटी को न्याय नहीं मिल पाया है. शुरूआत में लोगों का काफी साथ था, लेकिन अब धीरे-धीरे लोग भूलते जा रहे हैं.' माँ ने कहा, 'मेरी बेटी नहीं रही. लेकिन अब यह सब मैं अपने लिए नहीं कर रही हूं. दूसरी बच्चियों के साथ ऐसा ना हो इसलिए जरूरी है कि इन्हें सजा मिले.'
आज भी लड़कियों के साथ रेप की घटनाएं हो रही हैं. उसे देखकर नहीं लगता है कि कोई फर्क पड़ा है. कानून व्यवस्था में जिस बदलाव की जरूरत है वो आज भी नजर नहीं आता. सिर्फ कानून बनाने से कुछ नहीं होगा. उसका सख्ती से पालन भी होना चाहिए.
निर्भया कांड के बाद कानून में संशोधन करके उसे निर्भया एक्ट नाम दिया गया. रेप पीड़ित लड़कियों की मदद के लिए 10 अरब रुपए से निर्भया फंड बनाया गया है. लेकिन अभी तक ठीक से इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है.


लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल

  कलयुग के आखिरी दिन तक श्री राम का जाप करते हुए बजरंगबली इसी धरती पर मौजूद रहेंगे। ऐसा हमारे ग्रंथों और पौराणिक कहानियों में लिखा है। लखनऊ ...