Thursday 12 December 2019

फैंस को करना होगा इंतजार, सिल्वर स्क्रीन पर साथ नजर नहीं आएंगें गली बॉय और रणबीर कपूर





बॉलीवुड के दो डैसिंग एक्टर रनबीर कपूर और रणवीर सिंह सिल्वर स्क्रीन पर साथ नजर नहीं आएंगें. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डायरेक्टर राजकुमार संतोषी 1994 में आई कल्ट क्लासिक अंदाज अपना अपना का सीक्वल बनाने वाले हैं, जिसमें सलमान खान, आमिर खान, करिश्मा कपूर और रवीना टंडन ने लीड रोल निभाया था. इस खबर के साथ ही बॉलीवुड में चर्चा थी कि इस फिल्म के सीक्वल में रणवीर सिंह और रनबीर कपूर लीड रोल में फैंस को गुदगुदाएंगें.

खबरों की मानें तो यह फिल्म अगले साल यानी 2020 में सिनेमाघरों में दस्तक दे सकती है. लेकिन पिंकविला के सोर्स के मुताबिक, रनबीर और रणवीर अंदाज अपना अपना 2 में नजर नहीं आएंगें. दोनों एक्टर्स को इस सीक्वल के बारे में कोई जानकारी नहीं है, ना ही फिल्म के लिए अप्रोच किया गया है. 

वहीं दूसरी तरफ प्रोडक्शन हाउस के करीबी सोर्स के 
मुताबिक, अभी फिल्म के सीक्वल पर कोई काम नहीं हो रहा है. खैर, रनवीर और रणबीर के फैंस को इन दोनों की धमाकेदार जोड़ी को साथ देखने के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा.

इन दिनों रणबीर कपूर अयान मुखर्जी की फिल्म ब्रह्मास्त्र की शूटिंग कर रहे हैं. इस फिल्म में रणबीर के अपोजिट आलिया भट्ट नजर आएंगी. वहीं रनवीर सिंह कई प्रोजेक्ट में बिजी हैं. वह कबीर खान की फिल्म 83 में नजर आएंगें, अगले साल वह रोहित शेट्टी की फिल्म सूर्यवंशी में स्पेशल केमियो में दिखाई देंगें. इस फिल्म अक्षय कुमार लीड रोल में नजर आएंगें. 

इन टॉप 5 एक्टर्स ने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को दी नई उड़ान




भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री ने मौजूदा समय में अपनी पकड़ मजबूत कर चुकी है. आज भोजपुरी एक्टर्स किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है. यूपी, बिहार ही नहीं मुंबई इंडस्ट्री भी इनके काम की तारीफ करते नहीं थकती. भोजपुरी फिल्म जगत में कई एक्टर्स ऐसे हैं, जिन्होंने कम समय में खुद को और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का परचम लहराया है, जिनमें से रवि किशन, खेसारी लाल यादव, पवन सिंह, दिनेश लाल यादव और आम्रपाली दुबे ने अपनी अलग पहचान बनाई है. 

अभिनेता से नेता बने रवि किशन ने अपनी एक्टिंग से फैंस के दिलों पर राज किया है. भोजपुरी ही नहीं रवि किशन ने बॉलीवुड फिल्मों में भी दमदार रोल किए हैं. साथ ही रवि किशन ने 2006 में मोस्ट कंट्रोवर्सल शो बिग बॉस का भी हिस्सा रह चुके हैं. रवि किशन ने 2019 की लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की गोरखपुर सीट से सांसद चुने गए हैं. रवि किशन ने कन्यादान, गंगा जइसन माई हमार जैसी हिट फिल्में दीं.

बिग बॉस सीजन 13 में वाइल्ड कार्ड एंट्री करने वाले सुपरस्टार खेसारी लाल यादव फिल्मों और गानों से धमाल मचाए हुए हैं. खेसारी की पहली फिल्म 'साजन चले ससुराल' थी. इसके बाद खेसारी की कई फिल्में आईं. अब तक वह 70 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं. उनका गाना 'ठीक है' काफी पसंद किया गया.

दिनेश लाल यादव ने कम समय में ही अपनी पहचान बनाई है. दिनेश के रियल नाम से ज्यादा रील नाम ‘निरहुआ’ से जाने जाते हैं. दिनेश लाल यादव के म्यूजिक एल्बम ‘निरहुआ सटल रहे’ ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं. एक्टिंग के साथ निरहुआ ने राजनीति में भी किस्मत आजमाई है. फिल्मों और गानों की तरह निरहुआ यहां भी हिट रहे.

पवन सिंह
पवन सिंह को भोजपुरी फिल्मों का सलमान खान कहा जाता है. फिल्मों और गानों से गर्दा उड़ाने वाले पवन सिंह का गाना लॉलीपोप लगेलु काफी मशहूर हुआ. फिल्मों की बात करें तो प्रतिज्ञा, धड़कन, भोजपुरिया राजा जैसी हिट फिल्मों में काम किया है.

आम्रपाली दुबे
भोजपुरी फिल्मों में जहां मेल एक्टर्स ने दबदबा बनाया वहीं फीमेल एक्टर्स ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी. वैसे तो कई फीमेल एक्टर्स हैं, लेकिन आज बात आम्रपाली दुबे की, जिन्होंने मेल एक्टर के सामने अपनी चमक फीकी नहीं पड़ने दी. इन दिनों यू-ट्यूब पर निरहुआ और आम्रपाली का गाना टेबल पे लेबल मिली छाया हुआ है.


Wednesday 11 December 2019

नागरिकता संशोधन बिल 2019 पास या फेल?



नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद पूरे देश में कहीं जश्न तो कहीं जंग का माहौल है. इस बिल के पास होने से हिंदू शरणार्थियों ने जमकर जश्न मनाया. कहीं मिठाइयों के डिब्बे खोले गए तो कहीं दिये जलकर अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं. साथ ही लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त कर रहे थे. 

वहीं असम, गुवाहाटी में जन आक्रोश देखने को मिल रहा है. इस बिल को लोकसभा में 311 पक्ष और 80 विपक्ष और राज्यसभा में 125 पक्ष और 99 विपक्ष ने वोट किए.
नागरिकता संशोधन बिल 2019 जिसे लेकर पूरे देश में हो हल्ला है. 

आइए जानते हैं क्या है नागरिकता संशोधन बिल.
संशोधन लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से पारित होने के बाद अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक Citizenship Amendment Bill (CAB) कानून बनकर लागू हो जाएगा. इसके बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा. 

वहीं कैब 2019 के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी.

कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां कैब का विरोध कर रही हैं. सरकार के अनुसार, धार्मिक उत्पीड़न की वजह से इन देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को कैब के माध्यम से सुरक्षा दी जा रही है.

इस बिल के पास होने से मोदी सरकार ने एक बार फिर इतिहास रचा है. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे काला दिन कहा है. कैब बिल से पहले भी मोदी सरकार ने कई बार जनता के दिल में जगह बनाई है.

मोदी सरकार ने तीन तलाक समाप्त किया, कश्मीर से धारा 370 हटाई, राम मंदिर का समाधान जैसे कई ऐतिहासिक मसलों को हल निकाला है. इसके अलावा इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (सेकंड एमेंडमेंट) बिल, 2019 के माध्यम से इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (कोड) में अनेक संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस संशोधन के तहत कंपनी के पूर्व प्रमोटर्स के अपराधों के लिए उसके नए खरीदारों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं चलाया जाएगा.


Tuesday 12 November 2019

ईर्ष्यालु पति ने ली पत्नी की जान, ऋतिक रोशन की थी फैन



बॉलीवुड स्टार के लिए फैंस अपनी दीवानगी जाहिर करने के लिए हर तरीका अपनाते हैं. कभी उनके जैसे कपड़े पहनना तो कभी उनकी तस्वीरें अपने कमरे के हर कोने में सजाना. लेकिन ऋतिक रोशन की फैन होना एक लड़की को भारी पड़ गया.
अमेरिका में 33 साल के एक आदमी ने अपनी पत्नी की जलन की वजह से हत्या कर दी और खुद भी एक पेड़ से लटकर जान दे दी. दरअसल, उसकी पत्नी बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन की फैन थी. वह अपनी पत्नी को ऋतिक की फिल्में देखने से भी मना करता था. ईर्ष्यालु पति को ये बर्दाश्त नहीं हुआ.
द न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, आरोपी दिनेश्वर बुद्धिदत न्यूयॉर्क स्थ‍ित क्वींस होम में अपनी पत्नी डोने डोद्वॉय के साथ रहता था. दोनों की शादी जुलाई, 2019 में हुई थी. दिनेश्वर ने डोने की चाकू मारकर हत्या की. हत्या के बाद दिनेश्वर ने पत्नी की बहन को मैसेज कर हत्या के बारे में बताया. उसके बाद दिनेश्वर ने अपनी जान दे दी.
 डोने की दोस्त 52 वर्षीय माला रामधानी के अनुसार, डोने को ऋतिक पर क्रश था. वह उसे बहुत पसंद करती थीं, जिससे दिनेश्वर को जलन होती थी. डोने, ऋतिक की हर फिल्म देखना चाहती थी, जब भी वह ऋतिक की फिल्म देखती दिनेश्वर टीवी बंद करने को कहता था.
इससे पहले भी कई बार डोने, दिनेश्वर की हिंसा का शिकार हो चुकी थीं. 21 अगस्त को दिनेश्वर को पत्नी पर हमला करने के लिए गिरफ्तार किया गया था.


ब्रेकिंग न्यूज बने अक्षय कुमार और रोहित शेट्टी, झगड़े का वीडियो वायरल


खिलाड़ी कुमार और फिल्मों में गजब का एक्शन और गाड़ियों की चटनी बनाने वाले डायरेक्टर रोहित शेट्टी की जबरदस्त हाथापाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. अरे फैंस को परेशान होने की तो बिल्कुल भी जरुरत नहीं है. भले ही वीडियो में दोनों का झगड़ा इतना बढ़ गया कि पुलिस को मामला शांत करने आना पड़ा.

कई वेबसाइट भी अक्षय कुमार और रोहित शेट्टी की हाथापाई वाली हैडिंग और वीडियो से गुलजार है. ऐसी हैडिंग देखने के बाद दोनों के फैंस की बेचैनी भी लाजमी है. लेकिन यहां मामला कुछ और ही है.

बात परेशान होने की तो बिल्कुल भी नहीं है. अक्षय कुमार ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ये वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में अक्षय और रोहित झगड़ते नजर आ रहे हैं वीडियो के कैप्शन में अक्षय ने लिखा, "ब्रेकिंग न्यूज- एक  ऐसा झगड़ा, जो आपका दिन बना सकता है."

अक्षय के इस वीडियो पर लोग रिएक्शन दे रहे हैं.इन दिनों अक्षय अपकमिंग फिल्म सूर्यवंशी की शूटिंग में बिजी हैं. ये वीडियो भी सूर्यवंशी की शूटिंग के सेट का है. ये फिल्म अगले साल 27 मार्च को रिलीज होगी. फिल्म में अक्षय कुमार और कैटरीना कैफ मुख्य लीड रोल में नजर आएंगें.   


Friday 5 July 2019

मनमोहन सिंह ने दिया था सबसे लंबा बजट भाषण, ना हो यकीन तो पढ़ लो



आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला बजट पेश कर रही हैं. इससे पहले भी कई वित्त मंत्री आए और उन्होंने अपना बजट पेश किया है. लेकिन एक ऐसे वित्त मंत्री थे जिनका रिकॉर्ड अभी तक कोई नहीं तोड़ सका है.

वैसे तो लोग उन्हें कम बोलने के लिए जानते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री होते हुए इतना कम बोला की लोग उनकी मिसालें देने लगे. लेकिन ये उन दिनों की बात है जब उन्होंने इतना लंबा भाषण दिया किया कि उनका रिकॉर्ड कोई तोड़ ही नहीं पाया. जान तो गए होंगे अगर नहीं जान पाए तो दिक्कत कहां है.

आजादी से लेकर अब तक 88 केंद्रीय बजट पेश किए जा चुके हैं. हम बात कर रहे थे रिकॉर्ड की. दरअसल, मनमोहन सिंह ने सबसे लंबा बजट भाषण वित्तमंत्री रहते हुए दिया था. मनमोहन सिंह ने ये भाषण 1991 में दिया था और 18,177 शब्दों में सबसे लंबा बजट भाषण दिया था. वहीं बात करें सबसे छोटे भाषण की तो 1977 में एचएम पटेल ने 800 शब्दों में भाषण दिया.

आइए जानते हैं बजट से जुड़ी खास बातें

आजादी के बाद पहला केंद्रीय बजट 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक के लिए पेश किया गया था. उसके बाद 26 नवंबर 1947 में वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पहला बजट पेश किया.

जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तीन ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किया.

साल 2000 तक केंद्रीय बजट संसद में शाम 5 बजे पेश किया जाता था, लेकिन 2001 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सुबह 11 बजे बजट पेश कर नई परंपरा शुरू की. 

पहले फरवरी के अंतिम दिन बजट पेश होता था, जिसे मोदी सरकार ने बदलकर 1 फरवरी कर दिया.

budget 2019

Friday 28 June 2019

पिता का जूता बड़ा होकर बना बैट, जानिए कैलाश विजयवर्गीय का जूता कांड



वो कहते हैं ना इतिहास अपने आप को दोहराता है. या बाप की आदतें बच्चे में होती हैं. इसका जीता जागता उदाहरण हाल ही में सबने देखा होगा और इस पर काफी बातें भी की होंगी. हम बात कर रहे हैं बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय की, जिनका जूता कांड पुराना जरूर है लेकिन बेटे आकाश विजयवर्गीय की वजह से एक बार फिर चर्चा में है.

पिता की तरह आकाश विजयवर्गीय भी इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं. फिलहाल आकाश जेल की हवा खा रहे हैं. बीते दिनों इंदौर में नगर निगम के कर्मचारियों की बल्ले से पिटाई की, जिसका वीडियो और तस्वीरें काफी वायरल हो चुकी हैं.

इस कांड के कुछ घंटे बाद ही विधायक आकाश विजयवर्गीय को गिरफ्तार कर लिया गया था. कोर्ट ने आकाश विजयवर्गीय की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है.


आकाश की इस हरकत पर कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ा ही अजीब बयान दिया, जिसकी किसी ने आलोचना तो किसी ने समर्थन किया. कैलाश विजयवर्गीय कहा कि आकाश शांत स्वभाव के हैं. उन्हें गुस्सा आया है, इसका मतलब है कि किसी गरीब के साथ अन्याय हुआ है.

अब बात करते हैं कैलाश विजयवर्गीय की. बात कुछ 24-25 साल पुरानी है जब कैलाश इंदौर शहर के महापौर हुआ करते थे. साल 1994 में उन्होंने किसी बात पर गुस्सा आ गया और कैलाश ने जूता उतार के हाथ में ले लिया और पुलिस अधिकारी (सीएसपी) प्रमोद फडनीकर पर जूता तान दिया.


दरअसल, पानी की समस्या को लेकर कैलाश विजयवर्गीय बस्तीवासियों के साथ निगमायुक्त निवास पर प्रदर्शन करने पहुंचे थे. इस हरकत के बाद पुलिस उन्हें टांगाटोली कर थाने ले गई थी.

जूता कांड के बात राजनीति के समंदर में ज्वार-भाटा आना तो लाजमी था. राजनीति काफी गरमा गई थी. उस समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हुआ करते थे.

Wednesday 26 June 2019

फिर मना लीजिए अफसोस, शरणार्थी पिता-पुत्री की नदी के किनारे मिली है लाश



हाल ही में विश्व शरणार्थी दिवस को पूरी दुनिया ने सेलिब्रेट किया है. 
शरणार्थियों को सुरक्षा और अपनेपन का भरोसा दिलाने के हर कारगर प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन एक बार फिर शरणार्थियों के साथ होने वाले गलत व्यवहार की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. 

ऐसा ही कुछ चार साल पहले भी हुआ था, जब तीन साल के सीरियाई बच्चे एलन कुर्दी के शव को देखकर पूरी दुनिया ने अफसोस जताया था. मामला कुछ-कुछ वैसा ही बस जगह बदल गई है. 

लोगों को एक बार फिर अफसोस जाहिर करने का मौका मिल गया है. दक्षिणी अमेरिका और उत्तरी मैक्सिको में बहने वाली नदी रियो ग्रैंड के किनारे मैक्सिको के ऑस्कर अल्बर्टो मार्टिनेज रैमिरेज (25) और उनकी 23 महीने की बेटी वलेरिया का शव नदी के किनारे मिला है. खबरों के अनुसार, रविवार के दिन बाप अपनी बेटी को पीठ पर लाद नदी तैरकर पार कर रहा था, लेकिन दोनों डूब गए, उनका शव रियो ग्रैंड नदी के किनारे औंधे मुंह पड़ा हुआ मिला. 


यह तस्‍वीर फोटो जर्नलिस्‍ट जूलिया ली डक ने ली है.अमेरिका की डोनाल्‍ड ट्रंप सरकार ने सीमा को लेकर नीतियों को बहुत अधिक सख्त कर दिया है. लिहाजा, बेहतर जिंदगी की तलाश में शरणार्थी सीमा पार करने के लिए और खतरनाक रास्ते तलाशने के लिए मजबूर हैं.

वैसे भी कहा जाता है कि एक तस्वीर हजारों शब्दों के बराबर होती है. तस्वीर देखकर किसी की आंखों में आंसू आना लाजमी है. 23 महीने की बेटी का सिर बाप की टी-शर्ट में है. उसका एक हाथ पिता की गर्दन के पास है. 

शायद बाप को डर होगा कि उसकी बेटी कहीं पानी के बहाव में बह ना जाए. बाप कुछ भी करके अपनी बेटी को खोना नहीं चाहता, परिस्थितियों ने साथ तो दिया लेकिन जीने का नहीं साथ मरने का. 

वैसे भी कहा जाता है कि एक तस्वीर हजारों शब्दों के बराबर होती है. लेकिन ये तस्वीर कई पन्ने भरने के बाद भी अधूरी रह जाएगी, ना जाने कितनी ख्वाहिशें, दर्द, प्यार सब बह गया और रह गया बस नदी के किनारे औंधी दो लाशें.

Monday 24 June 2019

टूट गया बुआ-बबुआ का रिश्ता, इन पार्टियों के गठबंधन को भी दे चुकी हैं जोर का झटका



बसपा सुप्रीमो ने सपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया है और उन्होंने ऐलान किया है कि वह अकेले ही विपक्षी पार्टियों से लोहा लेंगी. सपा-बसपा गठबंधन की बात करें तो मायावती ने 24 साल पुरानी दुश्मनी पर मिट्टी डालकर दोस्ती का हाथ बढ़ाकर एक-दूसरे के साथी बने थे, लेकिन ये साथ लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही कमजोर पड़ गया और आखिरकार बुआ-भतीजे का रिश्ता बरकरार नहीं रह पाया और गठबंधन टूट गया.
बीते रविवार को मायावती ने भतीजे अखिलेश यादव के लिए अलग ही रुख अपनाया और जमकर हमला बोला. सपा ऐसी पहली पार्टी नहीं है, जिसके साथ मायावती ने गठबंधन किया और बाद में खटास आई. आइए जानते हैं ऐसी पार्टियों के बारे में.

गठबंधन और पार्टियां

सपा से तोड़ा नाता

शुरू से शुरू करें तो बसपा की नींव 1984 रखी गई. 1993 में पहली बार गठबंधन का स्वाद चखा. बसपा ने मुलायम सिंह यादव की सपा के साथ मिलकर 1993 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव लड़ा. सपा 256 सीटों पर चुनाव लड़कर 109 पर जीत दर्ज की, वहीं बसपा 164 सीट पर लड़ी और 67 सीटें जीतीं. नतीजों के बाद मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने. मायावती 1 जून 1995 को वो मुलायम सरकार से समर्थन वापस लेने की तैयारी करने लगीं. इसके बाद ही 2 जून को लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड हुआ, जिसके बाद सपा-बसपा के रास्ते अलग हो गए.


बीजेपी से तोड़ा नाता

गेस्ट हाउस कांड के बाद 3 जून 1995 को मायावती ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बनी. मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती ने बीजेपी नेता पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर हमला बोला. लगातार टारगेट होने के चलते बीजेपी ने बसपा सरकार से 17 अक्टूबर 1995 को समर्थन वापस ले लिया.


कांग्रेस गठबंधन
1996 में बसपा ने कांग्रेस का हाथ थामा. लेकिन विधानसभा चुनाव में इसका कोई फायदा नहीं मिला और मायावती ने गठबंधन तोड़ दिया. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने से सरकार नहीं बनी और राष्ट्रपति शासन लग गया.

भाजपा से फिर मिलाया हाथ

बसपा ने 1997 में बीजेपी के साथ एक बार फिर हाथ मिलाया. इसके लिए दोनों पार्टियों के बीच 6-6 महीने के सीएम फॉर्मूले पर सहमति बनाई. लेकिन मायावती ने कल्याण सिंह को बतौर सीएम एक महीने भी काम करने नहीं दिया और 10 अक्टूबर 1997 को बसपा ने कल्याण सिंह सरकार से सर्मथन वापस ले लिया.


बीजेपी से नाता तोड़ा

2002 में विधानसभा चुनाव में बसपा और बीजेपी दोनों पार्टियों के बीच ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले पर सरकार बनाने के लिए सहमति हुई. मायावती मुख्यमंत्री बनीं और 1 साल 117 दिन की सरकार चलाने के बाद इस्तीफा दे दिया. इस तरह बीजेपी से एक बार फिर गठबंधन टूट गया.


जेडीएस गठबंधन

2018 में कर्नाटक में बसपा ने जेडीएस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और एक विधायक जीतने में सफल रही. ऐसा माना जा रहा था बसपा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी, लेकिन मायावती ने गठबंधन नहीं करने का ऐलान किया.


2018 में छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी के साथ बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था. नतीजे के बाद मायावती ने जोगी के साथ गठबंधन तोड़ लिया.

Thursday 20 June 2019

जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व शरणार्थी दिवस, इतिहास और महत्व है काफी रोचक




20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस’ (World Refugee Day) के तौर पर मनाया जाता है. दुनिया भर में शरणार्थियों की मदद और उनकी स्थिति के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इसे मनाया जाता है. इस बार रिफ्यूजी डे की थीम ‘#StepWithRefugees’  है. वर्ल्ड रिफ्यूजी डेमनाने का मुख्य उद्देश्य शरणार्थी के साहस, शक्ति और संकल्प के प्रति सम्मान व्यक्त करना है.
इसलिए मनाया जाता है वर्ल्ड रिफ्यूजी डे
हर साल बड़ी संख्या में लोग पलायन करते हैं. प्रताड़ना, संघर्ष और हिंसा झेलने के बाद अपना देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ता है. इन शरणार्थियों को कई देशों में उन्हें पनाह मिलती. वहीं कई देशों से बाहर भी कर दिया जाता है.
वर्ल्ड रिफ्यूजी डे की शुरुआत
20 जून को वर्ल्ड रिफ्यूजी डे के तौर पर मनाया जाता है. 4 जून 2000 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मनाने की घोषणा की. इसे मनाने के लिए 17 जून तारीख तय की गई.
2001 में संयुक्त राष्ट्र ने पाया कि इस वर्ष 1951 के शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित कन्वेंशन (1951 Convention relating to the Status of Refugees) के 50 साल पूरे होंगे, जिसके बाद यह दिन 17 की बजाय 20 जून को मनाया जाने लगा.
हर साल म्यांमार, लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान, मलेशिया, यूनान और अफ्रीकी देशों के लाखों नागरिक दूसरे देशों में शरणार्थी के रूप में शरण लेते हैं. संयुक्त राष्ट्र की संस्था युएनएचसीआर (UNHCR) रिफ्यूजी लोगों की सहायता करती है.

Wednesday 19 June 2019

भारत की शरण में विश्व के एकमात्र निर्वासित प्रधानमंत्री हैं लोबसांग सांगे



लोगों का अपने देश से पलायन करना एक ज्वलंत समस्या है. हर साल कितने ही लोगों को अपने देश, घर और मिट्टी से अलग होना पड़ता है. उन्हें अपना देश छोड़कर किसी और देश की शरण में जाना पड़ता है. आम लोगों को तो इस दर्द से गुजरना पड़ता है. लेकिन एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें अपना देश छोड़कर भारत की शरण लेनी पड़ी.
ये प्रधानमंत्री अपने देश से करीब 405 किलोमीटर दूर भारत में रहते हैं. इनका नाम है लोबसांग सांगे (Lobsang Sangay) है, जो निर्वासित तिब्बती हैं.
लोबसांग के बारे में
लोबसांग सांगे जन्म से भारतीय हैं और उनके पास अमेरिका की नागरिकता भी है. सांगे केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रधानमंत्री हैं.
दुनिया भर में शरणार्थी का जीवन जी रहे तिब्बतियों ने तिब्बती राजनेता और धर्मगुरु दलाई लामा के संन्यास के बाद 2011 में सांगे को पहली बार प्रधानमंत्री चुना.
सांगे 2016 में दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए.
सांगे ने 28 फरवरी, 2016 को तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
चीन-भारत सहित दुनिया का कोई देश सांगे को प्रधानमंत्री नहीं मानता.
60 साल पहले 1959 में दलाई लामा के नेतृत्व में डेढ़ लाख तिब्बती तिब्बत छोड़कर भारत आ गए और आज भी वे अपने देश नहीं लौट सके हैं. तिब्बती भारत में रहकर निर्वासित सरकार चला रहे हैं.



लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल

  कलयुग के आखिरी दिन तक श्री राम का जाप करते हुए बजरंगबली इसी धरती पर मौजूद रहेंगे। ऐसा हमारे ग्रंथों और पौराणिक कहानियों में लिखा है। लखनऊ ...