Monday 16 May 2022

लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल

 


कलयुग के आखिरी दिन तक श्री राम का जाप करते हुए बजरंगबली इसी धरती पर मौजूद रहेंगे। ऐसा हमारे ग्रंथों और पौराणिक कहानियों में लिखा है। लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल। श्रीराम के परमभक्त केसरी नंदन अपने भक्तों की पुकार भी बड़ी जल्दी सुनते हैं। 17 मई से बड़ा मंगल का शुभारंभ हो रहा है।


इस बार 17 मई, 24 मई, 31 मई, सात जून और 14 जून को बड़े मंगल पड़ रहे हैं। लखनऊ में खासतौर से बड़ा मंगल मनाया जाता है। यहीं से इसकी शुरुआत हुई है।


भोलेनाथ के 11वें रुद्रावतार हनुमान इस कलियुग में सबसे ज्यादा जाग्रत और साक्षात देव हैं। कलियुग में शंकरसुमन की भक्ति ही दुखों और मुसीबतों से बचाती है।


पवनपुत्र की भक्ति के साथ ही लखनऊ में शुरू हो जाता है भंडारों का दौर। बड़े मंगल पर चिड़ियों के चहचाहने से पहले ही लोग बड़े मंगल की तैयारी में लग जाते हैं और सूरज के चढ़ने के साथ ही तैयारियां भी पूरी हो जाती हैं।


मारुती नंदन की भक्ति के साथ ही जेठ की दुपहरी में भंडारों में लोगों कतारें लगने लगती हैं। चाहे वह रिक्शा चलाने वाला हो या मजदूर या फिर अपनी चमचमाउवा गाड़ी से उतरने वाला ही क्यों न हो। हर कोई भंडारे की भीड़ में हाथ बढ़ाए नजर आ ही जाएगा।


रास्ते हो या गली-नुक्कड़ कुछ कदमों की दूरी पर ही भंडारे की पूड़ी सब्जी की महक आ जाएगी। नवाबों के समय से शुरू हुए भंडारे की गुड़धनिया की जगह अब कई तरह के पकवानों ने ले ली है। गर्ममममी से राहत देता शलेकिन लोगों की नीयत आज भी वही है।



https://shikha099.blogspot.com/2017/05/blog-post_15.html


400 साल पुरानी बड़ा मंगल की परंपरा से जुड़ी कहानी और इतिहास भी बहुत खास है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भीम को अपने बल का बहुत घमंड हो गया था, जिसे हनुमान जी ने चुटकी में तोड़ दिया था। दूसरी मान्यता के अनुसार हनुमान जी की प्रभु श्री राम से मुलाकात हुई थी।


pc- Anil Jaiswal (सिर्फ इस तस्वीर के लिए बाकी दोनों गूगल की हैं)

 

 

Monday 7 March 2022

ओ वुमानिया अब बदलने की बारी है...



आज सब जने कुछ ना कुछ महिलाओं को लेकर लिख रहे हैं। सम्मान दे रहे हैं। तो हमारे अंदर की भी छोटी और थोड़ी बड़ी औरत चुलबुला गई. हम भी कुछ लिख दिए, जो हमारी नजर से है. हमको पता है आज भी महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं. काफी कुछ बदलना चाहिए. वर्कप्लेस पर आगे बढ़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है . वगैरह वगैरह.


लेकिन कहीं न कहीं बदलाव हो रहे हैं. चीजें और दकियानूसी सोच भी बदल रही है. हर बार औरत ... इसमें हर उम्र की महिला की बात है, आप के लिए हमेशा कोई खड़ा नहीं होगा और ना ही सामने आएगा, इसलिए अपना भला खुद करना होगा. दूसरों से पहले अपना नजरिया बदलना होगा.


तो देख लो समझ आए तो बाकी तो सब ठीक ही है. वैसे ज्ञान नहीं बांट रहे हैं. अगर ऐसा लग रहा है तो फिर कह रहे हैं नजरिया बदलिए.


लद गए वो दिन जब नारी को अबला और कमजोर समझा जाता था. आज की वुमानिया का स्वैग जरा हटकर है. उसे साड़ी पहनकर हूला-हूप करना भी आता है और अपने कल्चर को सहेजना भी उसके बाएं हाथ का काम है. अब राह के हर मोड़ पर किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है. कइयों का सहारा बनकर हजारों के लिए मिसाल बन रही हैं.


भले ही बराबरी की बात करने वाले लोग बराबरी के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ते हैं. लेकिन महिलाओं ने खेल का मैदान हो या अंतरिक्ष की उड़ान या फिर कोई भी क्षेत्र अपना हक बराबरी से लिया है.


अब महिला अमृता प्रीतम की तरह कलम से मोहब्बत का पैगाम भी दे सकती है तो गुंजन सक्सेना की तरह दुश्मनों के परखच्चे भी उड़ा सकती है. आज की महिला दुर्गा का स्वरूप है. जिस तरह मां दुर्गा के अपने हाथों से सृजन भी करती हैं और समाज के कल्याण भी करती हैं. 

वैसे ही आज की नारी घर, परिवार, कैरियर, बच्चों, देश की तरक्की, अर्थव्यवस्था,  मनोरंजन की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभा रही है. हम अब अबला नहीं हैं. कोई भी गलत इंसान हो या परिस्थिति तबला बजाने का दम भी रखते हैं. 

अब बंद कमरे से निकलने वाली सिसकियों की जगह बुलंद और साहसी हंसी ने ले ली है.

महिलाओं की बराबरी की बात करने वालों ने भी महिला आरक्षण को देख के नाक भौं सिकोड़ी है। टीवी के ऐड से लेकर फिल्मों की यही कहानी है। महिलाओं को कमजोर दिखा कर अपनी खाल संवारी है। अमां बंद कर दो अब की वुमानिया कइयों पर भारी है.

अब महिला दिवस की तस्वीर बदलने की बारी है. ऐ दुनिया वालों कब तक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों की हाजरी लगाओगे. औरतों की कलरफुल दुनिया की वेलकम करने की बारी है. ओ वुमानिया अब बदलने की बारी है...


happy women's day....

लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल

  कलयुग के आखिरी दिन तक श्री राम का जाप करते हुए बजरंगबली इसी धरती पर मौजूद रहेंगे। ऐसा हमारे ग्रंथों और पौराणिक कहानियों में लिखा है। लखनऊ ...