Tuesday 26 December 2017

इस साल इन सितारों की सजी डोली और बजी शहनाई



साल 2017 को खत्म होने में कुछ ही दिन बचे हैं. इस साल के खत्म होने से पहले एक बार फिर से उन हसीन लम्हों को लाए हैं. इस साल कई सेलिब्रिटी शादी के बंधन में बंध गए. कुछ स्टार्स ने पूरे शोर-शराबे के साथ तो कुछ ने चोरी-छिपे हाथों में मेहंदी और मांग में सिंदूर सजाया. इस साल इन फिल्मी सितारों ने की सजी डोली और चढ़े घोड़ी.  

अनुष्का शर्मा

साल की सबसे शॉकिंग और हार्ट ब्रेकिंग शादी रही विराट कोहली और अनुष्का की. ना जाने कितने दिल टूट गए. विराट और अनुष्का सबकी नजरों से दूर 11 दिसंबर को इटली जाकर शादी की, उसके बाद सोशल मीडिया के जरिए सारे फैंस को ये खुश खबरी दी.   

भारती सिंह

सबको गुदगुदाने वाली भारती और कॉमेडी शो के राइटर हर्ष लिम्बाचिया ने 3 दिसम्बर 2017 को गोवा में ग्रैंड वेडिंग 
रखी थी जहां, टीवी इंडस्ट्री की कई बड़ी हस्तियां शामिल थीं. हाल ही में दोनों की हनीमून तस्वीरें शेयर की थीं.

नील नितिन मुकेश

बॉलीवुड के मोस्ट हैंडसम नील ने भी शादी करके हजारों लड़कियों का दिल तोड़ दिया था. यह शादी 9 नवम्बर को हुई थी. रुकमणि के साथ नील की शादी अरेंज मैरिज थी.

सागरिका घाटगे

23 नवम्बर 2017 को अपने करीबी दोस्त और परिवार की मौजूदगी में सागरिका और जहीर खान ने शादी की.

सोफिया हयात  

24 अप्रैल को सोफिया ने अपने मंगेतर Vlad Stanescu से शादी की थी. Vlad रोमानिया के रहने वाले हैं और वो इंटीरियर डिजाइनर हैं. इस शादी में सोफिया के केवल करीबी शामिल हुए थे.

सामंथा रूथ प्रभु

वैसे तो कई शादियां हो चुकी हैं. लेकिन यह अब तक की सबसे महंगी शादी थी. सामंथा रूथ प्रभु शुक्रवार को साउथ के सुपरस्टार नागार्जुन के बेटे नागा चैतन्य के साथ 6 अक्टूबर को शादी की थी.
                                                                                                 मंदना करीमी

बिग बॉस फेम और एक्ट्रेस मंदना भी इस साल शादी के रिश्ते में बंध गए. गौरव गुप्ता को 2 साल डेट करने के बाद मंदाना ने 25 जनवरी 2017 में शादी की थी. ये शादी ज्यादा दिन तक चल नहीं सकी और अब उनके रास्ते अलग हो गए हैं.

पाओली डैम

फिल्म 'हेट स्टोरी' की लीड एक्ट्रेस पाओली ने बंगाली रीति-रिवाज से 4 दिसंबर को अपने बॉयफ्रेंड अर्जुन देब का हाथ थाम लिया था.

अमृता पुरी

अमृता ने अपने बॉयफ्रेंड इमरुन सेठी से बैंकॉक में 11 नवंबर को शादी की.

इलियाना डिक्रूज

इलियाना डीक्रूज की शादी की खबर से हर कोई सकते में है. उसी तरह इलियाना ने भी अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही शादी की है. हालांकि इस बात को भी इलियाना ने अपने फैंस के सामने अलग तरीके से रखा है. उन्‍होंने सीधे तौर पर अपनी शादी का खुलासा नहीं किया है.

Thursday 12 October 2017

मजाक ने बदल दी जिंदगी, बन गईं रिवॉल्वर दादी

भारत शानदार देश है. यहां तरह–तरह के लोग बसते हैं. कुछ लोग इतिहास बन जाते हैं या इतिहास बनाते हैं. जो इतिहास बनाते हैं,  उनकी कहानी सभी को प्रेरणा देती है. ऐसे ही लोगों में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के जोहड़ी गांव की 82 वर्षीय चन्द्रो तोमर हैं. चन्द्रो साधारण महिला नहीं बल्कि वह इंडिया में रिवॉल्वर दादी के नाम से फेमस हैं.

रिवॉल्वर दादी का सफर

दादी की निशानेबाजी सीखने का सफर रोमांचक है. एक बार मजाक में दादी ने बंदूक से निशाना लगाया और वह ठीक निशाने में जा लगी.
उन्होंने 65 साल की उम्र में शूटिंग सीखना शुरू किया था.
जिस उम्र में लोगों से हाथ-पैर कांपने लगते हैं, दादी सधे हुए हाथों से निशाना लगा रही थीं.
शुरू में उनका मजाक उड़ाया जाता था लेकिन उनकी निशानेबाजी देखकर सभी के मुंह पर ताला लग गया.
दादी हाथों को साधने के लिए रोज हाथ में पानी भरा जग लेकर प्रैक्टिस करने लगी.
इस पर उनके पति भी उनका मजाक उड़ाने लगे.
दादी घबराई नहीं बल्कि और जोरों से प्रैक्टिस करने लगी.
आख़िरकार दादी की सिद्दत से की हुई मेहनत रंग लाई.
आज वह देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रिवाल्वर दादी के नाम से फेमस हैं.
दादी ने स्टेट लेवल पर कई मेडल जीते हैं.
अब दादी अपने गांव की लड़कियों को भी ये कला भी सीखा रही हैं.
उन्होंने खुद की शूटिंग रेंज खोली है, जहां वह गांव की लड़कियों को ट्रेनिंग देती हैं.
इस उम्र में भी रिवॉल्वर दादी निशानेबाजी में इतनी माहिर हैं कि अपनी उम्र से कम लोगों को भी पीछे छोड़ सकती हैं.
उन्होंने रात दिन एक करके इस कला में महारथ हासिल की है.
चन्द्रो को कई नेशनल अवार्ड्स से नवाजा जा चुका है.
चन्द्रो तोमर को महिला व बाल विकास मंत्रालय ने 100 वुमन अचीवर्स में भी जगह दे चुकी है.
चन्द्रो कई कम्पटीशन्स में पार्टीसिपेट कर चुकी हैं.
चन्द्रो गृहस्थी के साथ खेतीबाड़ी भी सम्भालती हैं.

Friday 29 September 2017

नहीं हुआ था रावण का अंतिम संस्कार, इस जगह मौजूद है शव !


आज पूरे देश में दशहरे का जश्न मनाया जाएगा. गली, मोहल्ले और चौराहा हर जगह रावण के पुतले बने तो कुछ अधूरे से नजर आ रहे हैं. आज के दिन ही राम ने रावण का वध किया था और सीता मां को आजाद किया था. उसके बाद पूरे सम्मान के साथ उनके छोटे भाई को उनका शरीर सौंप दिया था. 

इसके बाद विभीषण ने अपने भईय्या का अंतिम संस्कार किया या नहीं यह तो वो ही जानें लेकिन एक रिसर्च में यह दावा किया गया है कि रावण का शव एक गुफा में रखा हुआ है.

आज भी श्रीलंका में कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, जो रामायण काल के इतिहास को बयां करते हैं. एक रिसर्च में श्रीलंका ने 50 ऐसे स्थल खोजने का दावा किया गया है, जिनका रिश्ता रामायण से हैं. एक ऐसी जगह है जहां आज भी रावण का शव रखा हुआ है. 

रावण की मृत्यु के बाद शव को एक गुफा में रखा गया था, जो श्रीलंका रैगला के जंगलों के बीच मौजूद है. रैगला के इलाके में रावण की यह गुफा 8 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है. 

इस गुफा की खोज श्रीलंका के इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर और वहां के पर्यटन मंत्रालय ने की थी. 
इस बात के बारे में तो सभी जानते हैं कि राम के हाथों रावण का वध हुआ था और रावण के अंतिम संस्कार के लिए उसके शव को रावण के भाई विभीषण को सौंपा गया था.

लेकिन रिसर्च सेंटर का ऐसा दावा है कि यहां रावण की गुफा है, जहां उसने तपस्या की थी. उसी गुफा में आज भी रावण का शव सुरक्षित रखा हुआ है. 

इसके अलावा और भी कई ऐसी जगह हैं, जहां रामायण काल के अंश मौजूद है. यहां मौजूद  अशोक वाटिका को सेता एलीया के नाम से जाना जाता है, जो कि नूवरा एलिया नामक जगह के पास स्थित है. 

Monday 15 May 2017

भंडारा खाने के साथ जानिए लखनऊ में बड़े मंगल की सॉलिड स्टोरी


मुस्कुराइए आप लखनऊ में हैं. जहां एक ओर पूरा देश धर्म जाति के नाम पर बिखरा हुआ है. वहीं लखनऊ में 400 साल पुरानी परंपरा लोगों को जोड़े हुए है. लखनऊ में बड़े मंगल का बहुत खास महत्व है. हनुमान जी के भक्तों के लिए यह किसी त्यौहार से कम नहीं हैं. ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले सभी मंगल 'बडा़ मंगल' के रूप में मनाए जाते हैं. आज के दिन भक्त जो भी हनुमान जी से जो मांगते हैं. उसकी मुराद जरुर पूरी होती है. भगवान शिव के 11 वें अवतार हनुमान जी को इस दिन अमर रहने का वरदान मिला था.
इसके पीछे की कहानी भी बहुत शानदार है. इस परम्परा की शुरुआत लगभग 400 वर्ष पूर्व मुगलशासक ने की थी. नवाब मोहमद अली शाह का बेटा सआदत अली खां एक बार गंभीर रूप से बीमार हो गए. उनकी बेगम रूबिया ने उनका इलाज कई जगह कराया लेकिन वह ठीक नहीं हुए. बेटे की सलामती की मन्नत मांगने वह अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर पहुंची.
मंदिर के पुजारी ने बेटे को मंदिर में ही छोड़ देने को कहा बेगम रूबिया रात में बेटे को मंदिर में ही छोड़ गईं. दूसरे दिन रूबिया को बेटा पूरी तरह स्वस्थ मिला. इसके बाद रूबिया ने इस पुराने हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. जीर्णोद्धार के समय लगाया गया प्रतीक चांदतारा का चिन्ह आज भी मंदिर के गुंबद पर लगा हुआ है.
मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद ही मुगल शासक ने उस समय ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगल को पूरे नगर में गुडधनिया (भुने हुए गेहूं में गुड मिलाकर बनाया जाने वाला प्रसाद) बंटवाया और प्याऊ लगवाए थे. तभी से इस बड़े मंगल की की नींव पड़ी.
इसके अलावा भी एक और कहानी है. नवाब सुजा-उद-दौला की दूसरी पत्नी जनाब-ए-आलिया को सपना आया कि उन्हें हनुमान मंदिर का निर्माण कराना है. सपने में मिले आदेश को पूरा करने के लिये आलिया ने हनुमान जी की मूर्ति मंगवाई. हनुमान जी की मूर्ति हाथी पर लाई जा रही थी. मूर्ति को लेकर आता हुआ हाथी अलीगंज के एक स्थान पर बैठ गया और फिर उस स्थान से नहीं उठा. आलिया ने उसी स्थान पर मंदिर बनवाना शुरू कर दिया जो आज नया हनुमान मंदिर कहा जाता है. ज्येष्ठ महीने में पूरा मंदिर बनकर तैयार हुआ. मंदिर बनने पर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई और बड़ा भंडारा हुआ.



Saturday 13 May 2017

गोलगप्पे को देखते ही जी ललचाए रहा ना जाए, अब जानिए इसकी हिस्ट्री


लड़का हो या लड़की, बच्चा हो या बूढ़ा सभी को पानी पुरी पसंद होती है. इसका नाम सुनते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है. इसका स्वाद एक है लेकिन इसके नाम अनेक हैं. लोग इसे चटकारे लेकर बिना रुके ही खाते जाते हैं. इस देखते ही जी ललचाने लगता है और पानी पुरी के शौकीन लोगों से रहा नहीं जाता है. 

कुछ लोग तो इस पानी पुरी को देखते ही आपे से बाहर हो जाते हैं. जब तक इन लोगों को इसका स्वाद जुबान में नहीं लगता. तब तक उनकी प्यास और भूख नहीं मिटती है. लेकिन क्या कभी इसे खाते वक्त आपने ये नहीं सोचा कि पहली बार पानी पुरी कहां बनी और इसका नाम क्या था.

इस महान पानी पुरी की शुरुआत मगध क्षेत्र से हुई थी, जिसे आज दक्षिणी बिहार के नाम से जाना जाता है. यहीं पर पहली बार यह बनाई गई थी. मूलतः इसका नाम फुल्की है. लेकिन अब यह देश के साथ विदेशों तक पहुंच गई.

देश के राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से पहचाना जाता है. इसके कई नाम हैं. यह कहीं पर पानी पताशे के नाम से यह फेमस है तो कहीं इसे पतासी कहा जाता है, तो कहीं पर बताशी. वहीं कुछ जगहों पर इसे गुपचुप, गोलगप्पे, फुल्की और पकौड़ी भी कहा जाता है. यह एक ऐसा स्ट्रीट फूड है जिसका स्वाद तो एक है, लेकिन नाम अनेक हैं.

इसे सिर्फ स्वाद और जायके लिए नहीं खाया जाता है. इसके कई फायदे भी हैं.

यह चटपटी और मीठी होने के साथ है. इसे खाने से मुंह छालों में काफी राहत मिलती है.

अगर पानी को हींग के साथ तैयार किया जाए तो यह एसिडिटी को भी खत्म कर देता है.

पानी पुरी मार्गरीटा, चॉकलेट पानी पुरी और पानी-पुरी शॉट्स भी काफी पॉपुलर हो रहे हैं. यहां तक की अब तो पानीपुरी आइसक्रीम मार्केट में आ चुकी है.

पानी पुरी को आप हाई कैलोरी फूड की कैटेगरी में रख सकते हैं. एक प्लेट में 4-6 पीस होते हैं, जिसमें लगभग 100 कैलोरी होती है.

फायदे के साथ इसके नुकसान भी हैं. इसे हद से ज्यादा खाना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद नहीं है.

वजन कम करने वाले इसे न खाएं तो ही बेहतर है. क्योंकि यह ऐसा जंक फूड है जो वजन बढ़ा सकता है.

Saturday 11 March 2017

पापा हिरण्यकश्यप और बुआ की बुराई को प्रह्लाद ने लगाया ठिकाने


वैसे तो हर त्यौहार की रंगत अलग होती है. लेकिन होली के क्या कहने हैं. लोग इस दिन सारी दुश्मनी भूल कर लोगों को गले लगाते हैं. दोस्तों के साथ टोलियों में निकलकर लोग इस दिन खूब मस्ती करते है. एक महीने पहले से सारी तैयारियां होने लगती हैं.
होलिका दहन के साथ लोग होली खेलते हैं. हर फेस्टिवल की तरह ही इसकी भी सॉलिड स्टोरी है.
हिरण्यकश्यप एक पापी राजा था जो अपने छोटे भाई की मौत का बदला भगवान विष्णु से लेना चाहता था. पावरफुल बनने के लिए हिरण्यकश्यप ने सालों तक तपस्या की. लास्ट में उसे वरदान मिल ही गया.  वह न तो पृथ्वी पर मरेगा न आकाश में, न दिन में मरेगा न रात में, न घर में मरेगा न बाहर, न अस्त्र से मरेगा न शस्त्र से, न मानव से मारेगा न पशु से इस वरदान के बाद वह खुद को अमर समझने लगा. और लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया. कुछ दिनों बाद उसके घर बेटे ने जन्म लिया,जिसका नाम प्रहलाद था. प्रह्लाद प्यारा सा बालक था. लेकिन भगवान की महिमा महान है. उसका बालक उसके जानी दुश्मन विष्णु का भक्त निकला.
कई बार बेटे को को समझाया लेकिन वह नहीं माना. उसके बाद पापा हिरण्यकश्यप ने बेटे को मारने का फैसला कर लिया. फिर क्या कई बार ट्राई मारा लेकिन बेटे को मौत की नींद नहीं सुला पाएं तो अपनी बहना होलिका को बेटे की सुपारी दे दी. क्योंकि होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती तो बुआ होलिका को बच्चे की मासूमियत पर जरा भी तरस नहीं आया और आग में बैठ गईं.
उसके बाद का नजारा देख हिरण्यकश्यप के होश उड़ गए, बहना तो राख बनकर किनारे लग गई लेकिन बेटे को कुछ नहीं हुआ. हिरण्यकश्यप का पारा पहले से हाई था अब बहना की मौत ने गुस्से को और बढ़ा दिया. हिरण्यकश्यप ने आव देखा न ताव बेटे को मारने के लिए खुद ही तैयार हो गए. उसके बाद विष्णु जी ने अपने फेवरेट भक्त की जान बचाने के लिए हिरण्यकश्यप को ठिकाने लगा दिया. तभी से होलिका दहन करने के बाद लोग खुशियाँ मनाने के लिए रंग खेलते हैं.  

होलिका और हिरण्यकश्यप की हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है. होलिका दहन में सभी अपनी बुराइयों को जला कर खत्म करते हैं. 

Friday 10 February 2017

टेडी डे : रूठों को मनाएगा गोलू मोलू भालू

आज का दिन टेडी डे के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. टेडी बियर्स धरती पर दिए जाने वाले सबसे प्यारे तोहफे होते हैं. इनमें बचपन और  मासूमियत का एहसास होता है. टेडी किसी रूठे को मनाने के लिए दिए जा सकते हैं और किसी का दिल जीतने के लिए भी दिए जाते हैं.
लड़कियों को टेडी से बहुत प्यार होता है. अगर आप उनके पास प्यारु सा भालू लेके जाएंगे तो वह खुशी में पागल भी हो सकती हैं या नहीं भी हो सकती हैं.


Thursday 9 February 2017

चॉकलेट डे पर घोले प्यार की मिठास


मूड चाहे कैसा भी हो लेकिन चॉकलेट खाने के बाद मूड एकदम शानदार हो जाता है. इसी वजह से प्यार उत्सव के तीसरे दिन चॉकलेट डे मनाया जाता है. 

लड़के –लड़कियों बच्चों-बूढ़ों सभी को चॉकलेट पसंद होती है. लेकिन लड़कियों को चॉकलेट कुछ ज्यादा ही पसंद होती है.

चॉकलेट खाने के बाद खुशी का ठिकाना नहीं होता और लोग इसकी मिठास में डूब जाते हैं. 
अगर कुछ गिले-शिकवे होते हैं. लोग उन्हें भी भूल जाते हैं.

आजकल लोग चॉकलेट के साथ गिफ्ट्स भी देते हैं. मार्केट में अब तो हर मूड के हिसाब से चॉकलेट मिलती है जिनके अपने फायदे होते हैं. इसलिए अगर आप पार्टनर को चॉकलेट देने जा रहे हैं तो उसके मूड और सेहत के हिसाब से ही उसे चॉकलेट दें.


खासकर ये दिन कपल के लिए खास होता है. अगर लड़ाई हो गई हो तो चॉकलेट डे पर एक चॉकलेट से अपनी बाबू सोना को मना सकते हैं.

वेटिकन सिटी और भगवान शिव का सॉलिड कनेक्शन, तो ये ज़रूर पढ़ लो



दुनिया में कई धर्म और संस्कृति के लोग हैं. धर्म कोई भी हो लेकिन उसका उद्भव सनातन धर्म यानी हिन्दू धर्म से ही हुआ है. ऐसा इतिहासकारों का मानना है. इतिहासकार पी.एन.ओक के मुताबिक, सभी धर्मों की उत्पत्ति हिन्दू धर्म से हुई है. ओक ने कई दावों से यह सिद्ध भी किया है. ओक ने कई उदाहरण भी पेश किए हैं, जिनमें से रोम का वेटिकन सिटी भी एक है.
ओक ने कहा, ‘वेटिकन वास्तव में संस्कृत शब्द 'वाटिका' से आया है और ईसाई धर्म 'कृष्णा नीति' से आया है.

ईसाई धर्म से बहुत पहले ही वेटिकन यानी कि वैदिक केन्द्र जैसे शब्द का अस्तित्व था.

ओक का दावा है कि वेटिकन सिटी भगवान शिव के शिव लिंग के आकार का है. यह पहले शिव मंदिर था.


हिन्दूओं के पवित्र प्रतीक शिवलिंग और वेटिकन शहर के प्रांगण की रचना में हैरान करने वाली समानता है.

शिव के माथे पर तीन रेखाएं (त्रिपुंड) और एक बिन्दु होती है. ये रेखाएं शिवलिंग पर भी समान रूप से अंकित होती हैं.

जिन तीन रेखाओं और एक बिन्दु का जिक्र यहां कर रहे हैं वह पिआजा सेन पिएट्रो के रूप में वेटिकन शहर के डिजाइन में भी मौजूद है.
रोम के वेटिकन शहर में खुदाई के दौरान एक शिवलिंग मिला था, जिसे ग्रिगोरीअन एट्रुस्कैन म्यूजियम (Gregorian Etruscan Museum) में रखा गया है.

इन सब के अलावा इस्लाम और ईसाई के धर्म के लोग जिस आमीन को बोलते हैं. वह भी ब्रह्मांड के सुर ओमका ही एक रूप है.

यह दुनिया धर्म के एक मजबूत आधार पर खड़ी है. इस दुनिया में अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं, जिनकी मान्यताएं एक-दूसरे से पूरी तरह भिन्न है. लेकिन सभी धर्मों को कहीं न कहीं हिन्दू धर्म जोड़ता है. हिन्दू धर्म में देवों के देव महादेव का सर्वोच्च स्थान है. शिव से सारी दुनिया का सृजन हुआ है.  


Tuesday 7 February 2017

इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये...

‘इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये... ये गाना अक्सर ऑटो वाले भईया फुल वॉल्यूम में बजाते हैं. जैसे-जैसे गाना आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे ऑटो की स्पीड भी तेजी से बढ़ने लगती है. शायद उनको भी कोई पसंद होगा पर इश्क का इजहार न हो पाया होगा. इसलिए ऑटो में ज्ञान बांटते फिर रहे हैं. उनकी स्टोरी भी बड़ी कमाल की है. फिर कभी फुर्सत में लंबी प्रेम कहानी को शॉर्ट स्टोरी शेयर करूंगी.

मुद्दे पर आते हैं सीधी बात नो बकवास... प्यार उत्सव की अगली कड़ी में रोजवा देने के बाद प्रपोजवा डे यानी इश्क का इजहार करने का दिन है. आज भी कई आशिक स्थल इन प्यार के पंछियों से गुलजार होंगे. भाई और बहन लोग कार्ड सिलेक्शन कर लिए होंगे या कर रहे होंगे. बस अब कहने की बारी है.

प्यार हुआ है तो उसका इकरार भी होना चाहिए. आपका दिल चाहे कितना भी डर रहा हो अगर इस वैलेंटाइन डे अपने पार्टनर के साथ सेलिब्रेट करना है तो प्रपोज तो करना पड़ेगा भाया.

प्रपोज डे का इंतजार ये खास लोग बड़ी सिद्दत से करते हैं. भले ही इस 
चक्कर में सारे काम छूट जाएं लेकिन इंतजार करना नहीं छोड़ेगे. कुछ तो ऐसे हैं जो हर साल इस दिन का वेट करते हैं. पर कह कुछ नहीं पाते. दिल की बात अपने दिलदार से कहने में कैसी शर्म.

प्यार हुआ अब इकरार की बारी है. इश्क का रास्ता मुश्किल है लेकिन मंजिल मालूम हो तो सब चलता है.

NOTE:  प्यार इश्क और मोहब्बत तो ठीक है लेकिन उसका इजहार और इकरार से पहले ये जानना बहुत ही आवश्यक है कि बंदा या बंदी आप में इंटरेस्टेड है या नहीं... वरना भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है... डीप में 


‘गुलाब डे’ से होती ‘प्यार उत्सव’ की शुरुआत, जल्दी करें कहीं मौका कोई और न ले उड़े


आज से ‘प्यार उत्सव’ का श्री गणेश हो गया है. यह उत्सव आशिकों की लाइफ के सबसे हसीन दिनों में से एक होता है. लेकिन समाज के ठेकेदारों को इस 8 दिन के उत्सव में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. खैर इनका क्या कर सकते ये ठेकेदार अपना काम कर रहे हैं और इस लाइलाज रोग के मरीज इस भागदौड़ भरी लाइफ में भी अपना काम करने में बिजी रहते हैं.
इस उत्सव की शुरुआत रोज डे यानी गुलाब दिन से होती है. 

स्कूल से लेकर कॉलेज की कैंटीन में, कालोनी के पार्क से लेकर बड़े-बड़े आशिक स्थलों तक, गली के नुक्कड़ से लेकर कूड़े और पान मसाला से सराबोर सड़कों पर ये प्यार के पंछी फड़फड़ाते नजर आ ही जाएंगे.

छोटी दुकान से लेकर बड़ी शॉप में आज गुलाबों की बहार है. मार्केट से लेकर फेसबुक की टाइमलाइन तक हर जगह बस गुलाब ही गुलाब नजर आ रहा है.

इस प्यार की नवइय्या को पार लगाने का काम करता है, ये छोटू सा प्यारा सा गुलाब. लोग आज के दिन अपने प्यारे या प्यारी को रोज देकर अपनी फीलिंग्स का इजहार करते हैं. साथ ही जो इस नाव पर पहले से सवार हैं रोजवा देकर अपने रिश्ते को और स्ट्रांग बनाते हैं. गुलाब के साथ अपने बाबू, सोना को गिफ्ट्स और चॉकलेट देकर इजहार करते हैं.

गुलाब डे पर दो तरह के काम किए जाते एक तो प्यार का इजहार, जिसे लाल गुलाब देकर और दूसरा अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकते तो पीला गुलाब देकर दोस्ती कर लेते हैं.

‘कुछ नहीं से कुछ तो’ ऐसा कई प्यार में बीमार लोग सोचते हैं. प्यार नहीं तो उससे दोस्ती का ही सहारा मिल जाए. इस सिचुएशन में इस तरह सोचने वालों को बस ये गाना डाउनलोड कर सुन लेना चाहिए. गाने के बोल इस प्रकार हैं- ‘जब प्यार किया तो डरना क्या प्यार किया कोई चोरी नहीं तो छुप आहें भरना क्या.’

आहें भर भी रहें हैं तो हम क्या कर सकते हैं. बस यही कह सकती हूँ ‘देर न हो जाए कहीं देर न हो जाए, कोई और उसे रोज न दे जाए.’  

NOTE : देर मत करिए क्योंकि आज के दिन कोई और भी आपके बाबू, सोना पर चील की नजर रखे हुए होगा, जो सिर्फ एक गुलाब देने का मौका तलाश कर रहा होगा.
ये तो थी रोज डे की बात अब अगले प्रोग्राम यानी डे के लिए कल तक सब्र चाटना पड़ेगा.

प्यार उत्सव की प्यारी लिस्ट

07 फरवरी रोज डे
08 फरवरी प्रपोज डे
09 फरवरी चॉकलेट डे
10 फरवरी  टैडी डे
11 फरवरी  प्रॉमिस डे
12 फरवरी  हग डे
13 फरवरी  किस डे

14 फरवरी  वेलेंटाइन डे

Wednesday 1 February 2017

ब्रह्मा जी की सर्जना में आया ट्विस्ट जब ‘वाणी की देवी’ ने की एंट्री


बसंत ऋतु की एंट्री होते ही प्रकृति में नई चेतना और उमंग भर जाती है. इंसान से लेकर पशु-पक्षी भी एक्साइटेड हो जाते हैं. हर दिन नयी उम्मीदों वाली आशा का सूर्योदय होता है. अगले दिन फिर नई उमंग के साथ शानदार एंट्री करता है. वैसे तो माघ का पूरा महीना स्पेशल एनर्जी देता है. लेकिन बसंत पंचमी का पर्व कण-कण में उत्साह भर देता है. प्राचीनकाल से इस दिन को ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती के हैप्पी बर्थडे के रूप में मनाया जाता है. आज के दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं.

जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू और बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है. चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं.

बसंत पंचमी की पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में मनायी जाती है. इस दिन पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं.
प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें बसंत लोगों का फेवरेट मौसम था. इस मौसम में बागों में, खेतों मे सरसों का सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता.

इस ऋतु का वेलकम करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था, इस दिन विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह बसंत पंचमी का कहलाता था.

बसंत पंचमी की स्टोरी

जग के पालनहार विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों और खासतौर पर मनुष्य की रचना की. अपनी बनाई गई रचना से ब्रह्मा जी खुश नहीं थे. उन्हें कुछ कमी लग रही थी तो क्या. पालनहार से परमीशन लेकर ब्रह्मा जी ने कमण्डल से जल छिड़का. जल छिड़कने के बाद कहानी में आया ट्विस्ट और पृथ्वी में कम्पन होने लगा.

वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई. यह शक्ति कोई और नहीं बल्कि चतुर्भुजी सुंदर स्त्री थी, जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था. अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी.

ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने की रिक्वेस्ट की. जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई. जलधारा में कोलाहल, पवन चलने से सरसराहट होने लगी. तब ब्रह्मा ने उन्हें वाणी की देवी सरस्वती कहा.

देवी सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है. ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं.

ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-

प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।

ये परम चेतना हैं. सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं. हममें जो आचार और मेधा है, उसका आधार सरस्वती ही हैं. इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है.
शास्त्रों के अनुसार, श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी.

बसंत पंचमी का पौराणिक महत्व

त्रेता युग में जब रावण ने सीता माता का किडनैप किया. उसके बाद प्रभु श्रीराम ने माता की खोज में दक्षिण की ओर बढ़े. इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें से एक दंडकारण्य भी था. यहीं शबरी ने राम की भक्ति में लीन होकर उन्हें चख-चखकर मीठे बेर खिलाये. दंडकारण्य का गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है. गुजरात के डांग जिले में शबरी मां का आश्रम था. वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे. आज भी लोग उस शिला को पूजते हैं, जिस पर श्रीराम आकर बैठे थे. शबरी माता का मंदिर भी है.


लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल

  कलयुग के आखिरी दिन तक श्री राम का जाप करते हुए बजरंगबली इसी धरती पर मौजूद रहेंगे। ऐसा हमारे ग्रंथों और पौराणिक कहानियों में लिखा है। लखनऊ ...