Monday 5 April 2021

एक दूसरे से है कोरोना और राजनीति का जय-वीरू सा याराना

कोरोना महामारी की एंट्री से करोड़ों लोग बर्बाद हो गए. लाखों लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ सैनिटाइजर से धोना पड़ा. कोरोना का कहर लगभग हर सेक्टर और हर किसी पर बरपा. बिजनेस, आर्थिक स्थिति आदि भी इसकी चपेट में आईं और अरबों का नुकसान झेला. कुछ कंपनियां और व्यापार पर ताला पड़ गया, जिसके खुलने की उम्मीद ना के बराबर ही है. लेकिन एक ऐसी नीति है जिसको सबसे ज्यादा फायदा कोरोना के आगमन से हुआ, जो कोरोना के साए में अच्छे से फल फूल रही है. इस नीति का नाम राजनीति है. कोरोना और राजनीति का साथ तो चोली दामन सा हो गया है. एक-दूसरे के बिना बिल्कुल अधूरे हैं. 
एक ओर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरे देश में डंका बज रहा है तो वहीं राजनीति की रोटियां सेंकने के लिए होने वाली रैलियों में जमकर सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना गाइडलाइन्स की मय्यत निकाली जा रही है. ज्यादा दूर क्यों जाना हाल ही में हुई रैलियों की तस्वीरें और वीडियो पर ही एक नजर डालिए. हमारी बात आपको पूरी सच्ची लगेगी. राजनीति पार्टी कोई भी हो. अपने मौके पर हर कोई जमकर चौका मारता है. चाहे राहुल की रैली हो या परमपूज्य मोदी जी की. अपना स्वैग दिखाने में पीछे नहीं रहते और खुद ही वही गलती कर रहे पार्टी के धुरंधर दूसरी पार्टी की बारात निकालने में लगे रहते हैं. यहां बारात का मतलब कुछ और है शादी वाली तो बिल्कुल नहीं. खैर छोड़िए समझ तो गए ही होंगे. 
कोरोना में लोगों को घर में रहने की सलाह देने वाले राजनेता अक्सर अपनी  दी हुई सलाह खुद ही भूल जाते हैं और जमकर मौज काटते हैं. कोरोना में सभी चीजों का भट्टा बैठ गया है. लेकिन राजनीति एकदम धाकड़ हो रही है, ताजा कोरोना के मामलों की जाए तो आंकड़े लाख के पार हो चुके हैं, लेकिन अभी भी लोगों की लापरवाही वैसी ही बनी हुई तो भइया घर में रहिए काम पर जाइए और मास्क और दो गज दूरी का ध्यान रखिए. क्योंकि आपके  और हमारे लिए घातक है. राजनीति थोड़े हैं, जो साथ में रहकर अपना फायदा और जनता- जनार्दन का खून चूसे. तो कोरोना और राजनीति की दोस्ती जय-वीरू जैसी हो गई है, जब एक मरेगा माने दुनिया से निकल लेगा तब ही हम आजाद होंगें. कोरोना गो बैक…

लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की खूबसूरत कहानी है बड़ा मंगल

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