आज सोचा कि कुछ लिखूँ पर क्या लिखूँ कुछ समझ नहीं आया ,एेसा क्या विषय लूँ जिस पर लिख सकूँ ।काफी देर तक सोचने के बाद भी कुछ समझ नहीं आया तो सोचा इस "कुछ नहीं "पर ही कुछ लिखूँ।
हमारी इस बिजी लाइफ में ऐसा बहुत कुछ होता है पर हम कुछ नहीं कहके टाल जाते है।रोजाना ऐसी बातें होती हैं जो बहुत कुछ होते हुए भी"कुछ नहीं " तो क्यूँ न आज इन कुछ नही बातों मतलब समझ लें।कुछ बातों के मतलब तो बहुत से हैं पर हम कुछ नही कहके नज़र अंदाज कर जातें है इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता लेकिन कभी -कभी बनते बनते बिगड़ जाती कभी बिगड़ने वाली बात बन जाती है जैसे हम कभी ऐसी बातें कह देते है जिससे सामने वाले को तकलीफ़ होना तो लाजमी है लेकिन अगर सामने वाले न सुना हो तो हम कुछ नही कहके टाल जाते है और दिल को दुखने से बचाया जा सकता है।बच्चे अगर शैतानी कर रहे है और कोई आ जाये और पूछे क्या हो रहा है तो जवाब होता है ककक्कक कुछ नही और हम बच जातें है।प्यार में होने वाली तकरार में ये कुछ नही बड़े काम आता है बुदबुदाने वाली आवाज में चाहे कुछ भी कहा हो पर पूछने पर कुछ नही ।कुछ नही बड़ा फायदेमंद साबित होता है।कभी कभी ये कुछ नही बनते कामों को बिगाड़ देता है ,अब किसी को अपने दिल के जज्बात को जाहिर करना है कहना तो बहुत कुछ है पर सामने आने पर बस कुछ नही ही मुंह से निकलता है।
नाराजगी है तो कुछ नही,खुश है तो कुछ नही ,कुछ कहना है तो कुछ नहीं ,कुछ नही है तो भी कुछ नही।कुछ की लाइफ तो इस कुछ नही के आस पास चक्कर लगा ती है।वो कुछ कहे तो कुछ नही ,वो कुछ समझे तो कुछ नही ।कितनों की गाड़ी इस कुछ नही के चक्कर मे पटरी से उतर जाती है।इसका इस्तेमाल सभलकर और सोच समझ कर करना चाहिये ।,बिगड़ी बाते भी बन जाती है,राहें संवर जाती है और रिश्ते भी चमक जाते है अगर संभल कर इसे इस्तेमाल करने की जरूरत है।
कुछ का तो तकिया कलाम होता है कुछ नहीं ,कुछ नही से बातों का आगाज़ और अंत भी कुछ नही पर ।हर सवाल का जवाब कुछ नहीं ये कुछ नही लोगों पर हावी हो जाता है और खुद को कुछ नही समझने लगते है।खुद को उदास और हारा हुआ मानने लगते है।इस कुछ नही को कम आँकना ही इनकी सबसे बड़ी गलती होती है। इस कुछ नही से कुछ नही होगा ये सोचना गलत है क्योंकि ये कुछ नही बड़े काम का है।अब इस कुछ नही से अपने काम बनाने की कोशिश करते है और बिगड़े काम संवारने की।
Wednesday, 9 September 2015
कुछ नहीं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
डुनिथ वेल्लालेज खेल की सच्ची भावना की मिसाल
एशिया कप 2025 जहां निगेटिविटी और विवादों में घिरा रहा। वहीं, 22 वर्षीय डुनिथ वेल्लालेज ने खेल की सच्ची भावना सबके सामने पेश की। एक ओर सभी को...

-
आज सब जने कुछ ना कुछ महिलाओं को लेकर लिख रहे हैं। सम्मान दे रहे हैं। तो हमारे अंदर की भी छोटी और थोड़ी बड़ी औरत चुलबुला गई. हम भी कुछ लिख दि...
-
वो कहते हैं ना इतिहास अपने आप को दोहराता है. या बाप की आदतें बच्चे में होती हैं. इसका जीता जागता उदाहरण हाल ही में सबने देखा होगा और ...
-
डेट और समय ठीक से याद नहीं है. लेकिन एक वर्कशाप में कुछ कठपुतलियों का शो देखा था. कठपुतलियों को देखना मुझे काफी अच्छा लगता है. बचपन...
No comments:
Post a Comment