Wednesday 25 January 2017

संविधान के 70 साल बाद भी नहीं मिले अधिकार, वंदेमातरम्


आज हम 70वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं. 26 जनवरी क्यों और कैसे मनाते हैं ये तो सभी को पता है. इतिहास को फिर से बता कर आपका टाइम नहीं वेस्ट करूंगी. बस कुछ मेन पॉइंट्स पर रोशनी डालने की कोशिश कर सकती हूँ. बाकी तो सब अव्वल दर्जे के समझदार हैं.

26 जनवरी 1950 में देश का सविंधान लागू किया गया था. शायद यही सोचकर की देश का विकास और उन्नति होगी. लेकिन दोनों ही बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.
हर साल की तरह इस साल भी इस राष्ट्रीय पर्व को बड़ी शान ओ शौकत के साथ मनाया जाएगा. 

पूरे देश में देशभक्ति के गानों की गूंज है. स्कूलों, कालेजों और राजपथ पर झांकियां और परेड होगी. सभी तिरंगे को सलामी देंगे.
हम बड़ी शान से दुनिया के सामने लोकतांत्रिक देश बने हुए हैं.

आजादी के बाद जब संविधान बना तब सबको यही लगा हमें जातिधर्मभाषाबोली और क्षेत्र के नाम पर हमारा बंटवारा नहीं होगा. सब एक समान होंगे.
संविधान के शिल्पकार डॉ भीमराव अंबेडकर ने भी एक बेहतर भारत की कल्पना की थी. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं.   

संविधान के मूल हक...

देश में रह रहे सभी के समान अधिकार और नियम हैं. लेकिन उनका ही पालन इस लोकतान्त्रिक देश में नहीं हो पा रहा. सभी नागरिकों को मूल अधिकार दिए गए हैं.
अपनी इच्छा से कहीं भी रह सकते हैं. कुछ भी बोल सकते हैं और कोई भी धर्म अपना सकते हैं. लेकिन असलियत तो कुछ और ही है. लोगों को उनके अधिकारों का ज्ञान ही नहीं है. 

अक्सर मॉडर्न इंडिया के लोगों को उनके अधिकारों की जानकारी ही नहीं होती है.
आज भी 14 साल से कम उम्र के बच्चे खेलकूद छोड़ मजदूरी कर रहे हैं. नियम और कानून का उल्लघंन हो रहा है. जिस देश में बच्चों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, वहीं उनसे बाल मजदूरी कराई जा रही है.
सबका विकास होगा, भरपेट खाना मिलेगा, युवाओं को नौकरी, बेरोजगारी दूर होगी
सबसे महत्वपूर्ण महिलाओं को सुरक्षा मिलेगी यह मात्र एक छलावा है. सरकार की आर्थिक और सामाजिक नीतियां सबकी मदद के लिए बनाई जाती लेकिन जैसी ही बनती हैं, वैसी धड़ाम से गिरती भी हैं. ज्ञान कुछ ज्यादा तो नहीं हो गया.

गणतंत्र का मतलब 

लोगों के लिए 26 जनवरी का मतलब जो भी होता हो लेकिन मेरे लिए तो यही है...
गणतंत्र का सही अर्थ जनता का राजजहां की सत्ता जनता के हाथों में हो. 
इस लोकतांत्रिक देश में लोग अपने वोट से सरकार पर भरोसा कर उसे चुनते हैं.
सरकार का बस यही काम है कि वह अपने सारे काम लोगों की भलाई में करे और सोचे.
अफ़सोस की बता है अक्सर ऐसा कुछ होता नहीं. फिर भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ सकते हैं. हर सुबह एक नए उजाले के साथ आती है. 

सभी को 26 जनवरी की शुभकामनाएं... वंदेमातरम्
देशभक्ति जाग गई...













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