Wednesday, 19 June 2019

भारत की शरण में विश्व के एकमात्र निर्वासित प्रधानमंत्री हैं लोबसांग सांगे



लोगों का अपने देश से पलायन करना एक ज्वलंत समस्या है. हर साल कितने ही लोगों को अपने देश, घर और मिट्टी से अलग होना पड़ता है. उन्हें अपना देश छोड़कर किसी और देश की शरण में जाना पड़ता है. आम लोगों को तो इस दर्द से गुजरना पड़ता है. लेकिन एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें अपना देश छोड़कर भारत की शरण लेनी पड़ी.
ये प्रधानमंत्री अपने देश से करीब 405 किलोमीटर दूर भारत में रहते हैं. इनका नाम है लोबसांग सांगे (Lobsang Sangay) है, जो निर्वासित तिब्बती हैं.
लोबसांग के बारे में
लोबसांग सांगे जन्म से भारतीय हैं और उनके पास अमेरिका की नागरिकता भी है. सांगे केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रधानमंत्री हैं.
दुनिया भर में शरणार्थी का जीवन जी रहे तिब्बतियों ने तिब्बती राजनेता और धर्मगुरु दलाई लामा के संन्यास के बाद 2011 में सांगे को पहली बार प्रधानमंत्री चुना.
सांगे 2016 में दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए.
सांगे ने 28 फरवरी, 2016 को तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
चीन-भारत सहित दुनिया का कोई देश सांगे को प्रधानमंत्री नहीं मानता.
60 साल पहले 1959 में दलाई लामा के नेतृत्व में डेढ़ लाख तिब्बती तिब्बत छोड़कर भारत आ गए और आज भी वे अपने देश नहीं लौट सके हैं. तिब्बती भारत में रहकर निर्वासित सरकार चला रहे हैं.



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