Monday 24 June 2019

टूट गया बुआ-बबुआ का रिश्ता, इन पार्टियों के गठबंधन को भी दे चुकी हैं जोर का झटका



बसपा सुप्रीमो ने सपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया है और उन्होंने ऐलान किया है कि वह अकेले ही विपक्षी पार्टियों से लोहा लेंगी. सपा-बसपा गठबंधन की बात करें तो मायावती ने 24 साल पुरानी दुश्मनी पर मिट्टी डालकर दोस्ती का हाथ बढ़ाकर एक-दूसरे के साथी बने थे, लेकिन ये साथ लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही कमजोर पड़ गया और आखिरकार बुआ-भतीजे का रिश्ता बरकरार नहीं रह पाया और गठबंधन टूट गया.
बीते रविवार को मायावती ने भतीजे अखिलेश यादव के लिए अलग ही रुख अपनाया और जमकर हमला बोला. सपा ऐसी पहली पार्टी नहीं है, जिसके साथ मायावती ने गठबंधन किया और बाद में खटास आई. आइए जानते हैं ऐसी पार्टियों के बारे में.

गठबंधन और पार्टियां

सपा से तोड़ा नाता

शुरू से शुरू करें तो बसपा की नींव 1984 रखी गई. 1993 में पहली बार गठबंधन का स्वाद चखा. बसपा ने मुलायम सिंह यादव की सपा के साथ मिलकर 1993 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव लड़ा. सपा 256 सीटों पर चुनाव लड़कर 109 पर जीत दर्ज की, वहीं बसपा 164 सीट पर लड़ी और 67 सीटें जीतीं. नतीजों के बाद मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने. मायावती 1 जून 1995 को वो मुलायम सरकार से समर्थन वापस लेने की तैयारी करने लगीं. इसके बाद ही 2 जून को लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड हुआ, जिसके बाद सपा-बसपा के रास्ते अलग हो गए.


बीजेपी से तोड़ा नाता

गेस्ट हाउस कांड के बाद 3 जून 1995 को मायावती ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बनी. मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती ने बीजेपी नेता पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर हमला बोला. लगातार टारगेट होने के चलते बीजेपी ने बसपा सरकार से 17 अक्टूबर 1995 को समर्थन वापस ले लिया.


कांग्रेस गठबंधन
1996 में बसपा ने कांग्रेस का हाथ थामा. लेकिन विधानसभा चुनाव में इसका कोई फायदा नहीं मिला और मायावती ने गठबंधन तोड़ दिया. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने से सरकार नहीं बनी और राष्ट्रपति शासन लग गया.

भाजपा से फिर मिलाया हाथ

बसपा ने 1997 में बीजेपी के साथ एक बार फिर हाथ मिलाया. इसके लिए दोनों पार्टियों के बीच 6-6 महीने के सीएम फॉर्मूले पर सहमति बनाई. लेकिन मायावती ने कल्याण सिंह को बतौर सीएम एक महीने भी काम करने नहीं दिया और 10 अक्टूबर 1997 को बसपा ने कल्याण सिंह सरकार से सर्मथन वापस ले लिया.


बीजेपी से नाता तोड़ा

2002 में विधानसभा चुनाव में बसपा और बीजेपी दोनों पार्टियों के बीच ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले पर सरकार बनाने के लिए सहमति हुई. मायावती मुख्यमंत्री बनीं और 1 साल 117 दिन की सरकार चलाने के बाद इस्तीफा दे दिया. इस तरह बीजेपी से एक बार फिर गठबंधन टूट गया.


जेडीएस गठबंधन

2018 में कर्नाटक में बसपा ने जेडीएस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और एक विधायक जीतने में सफल रही. ऐसा माना जा रहा था बसपा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी, लेकिन मायावती ने गठबंधन नहीं करने का ऐलान किया.


2018 में छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी के साथ बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था. नतीजे के बाद मायावती ने जोगी के साथ गठबंधन तोड़ लिया.

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